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कैलेण्डर 'सोनिया' के अनुसार 21 दिसंबर 2013 को धरती नष्ट हो जाएगी ...
धरती नष्ट होने की Mayan calendar की भविष्यवाणी के ग़लत साबित होने का देश अभी ठीक से जश्न भी नहीं मना पाया था कि ख़बर है कि सोनिया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसम्बर 2013 को धरती नष्ट हो जाएगी।
जानकारों के मुताबिक सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह का अगले छह आठ महीनों में महंगाई बढ़ाने का जो कार्यक्रम है अगर उसे ठीक से लागू कर दिया गया तो 21 दिसम्बर 2013 तक धरती नष्ट हो जाएगी।
मगर आप उनकी रणनीति पर नज़र डालें तो पाएंगे कि उनका इरादा इस साल के आख़िर तक धरती (भारत पढ़ा जाए) नष्ट करने का ही है।
इसे यूं समझिए कि ढाई साल पहले (छब्बीस जून 2010) पेट्रोल की कीमतों को डी कंट्रोल करने के बाद से अब तक दो दर्जन बार इसमें इज़ाफा हो चुका है। ख़बर है कि पेट्रोल और दिग्विजय सिंह के बाद अब सरकार डीज़ल को भी अपने नियंत्रण से मुक्त करने जा रही है। डीज़ल की कीमत बढ़ने से परिवहन महंगा होगा। जिसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। तनख्वाह आम आदमी की बढ़ नहीं रही, महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। ऊपर से सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या भी सीमित कर दी गई है।
इस सबका असर ये होगा कि जल्द ही आम आदमी को लगने लगेगा कि ऐसी ज़िंदगी से तो मौत अच्छी है।
मुझे लगता है ये स्थिति कुछ और समय तक बनी रही, तो जून आते आते देश में सामूहिक आत्महत्याओं का दौर शुरू होगा।
इन आत्महत्याओं को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार डीज़ल पर सब्सिडी बढ़ा देगी। लोगों को आत्मदाह के लिए सस्ता डीज़ल उपलब्ध करवाया जाएगा।
कुएं में कूदकर जान देने वालों के लिए वो खाली कुओं में पानी भरवाएगी। सरकारी कर्मचारी गांव गांव जाकर लोगों को पेड़ों पर फांसी का फंदा लगाना सीखाएंगे। ऐसे फंदों के लिए सरकार मुफ्त रस्सी उपलब्ध करवाएगी।
इस तरह लोगों के पेड़ पर लटककर जान देने पर सरकार अपनी पीठ थपथपाएगी। वो जनता को बताएगी कि अगर पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाकर उसने पेड़ों को कटने से न बचाया होता, तो ये लोग कैसे पेड़ पर लटककर अपनी जान दे पाते।
सुहेल सेठ ने आगे कहा कि बहुत मुमकिन है कि बढ़ती महंगाई और सरकार द्वारा आत्महत्या करने में आम आदमी की मदद के बाद सितम्बर तक देश की अस्सी फीसदी जनता स्वर्ग सिधार जाए।
इसके बाद मई 2014 में लोकसभा चुनाव है। बहुत संभावना है कि चुनावों से छह महीने पहले कांग्रेस देश की कमान मनमोहन सिंह से छीनकर, राहुल गांधी को सौंप दे और अगर ऐसा हुआ, तो जो लोग महंगाई से बच गए होंगे, वो ये दिन देखने से पहले खुद ही आत्महत्या कर लेंगे।
और अगर कुछ ढीठ इस पर भी नहीं मानें तो दिग्विजय सिंह को राष्ट्रपति बनाने का रास्ता भी खुला है।
— ख़बरबाज़ी, जिसके सभी सूत्र फर्ज़ी हैं। हम सिर्फ आपका ध्यान खींचने के लिए जाली ख़बरें पेश करते हैं और बिना किसी शर्मिंदगी के ये बात कबूल भी करते हैं। हमारा मक़सद मनगढ़ंत ख़बरों के ज़रिए आपके लिए साफ़-सुथरा व्यंग्य पेश करना है, और हां, ऐसा कर हम कोई विशेष तीर भी नहीं मार रहे। हमारी कोशिश बस आपको खुश करने की है, भले ही इसके लिए हमें खुद ही मसखरा क्यों न बनना पड़े।
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