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हैंगर में टँगे सूट की तरह हैं राहुल, डेविड मलफ़र्ड का भेजा संदेश : विकीलीक्स

अमरीकी राजनयिकों के लीक हुए केबल के मुताबिक़ कांग्रेस पार्टी में युवराज जैसी अहमियत रखने वाले राहुल गाँधी को चार साल पहले जब एक प्रमुख राजनीतिक पद दिया गया था तो उस समय वह 'हैंगर में टँगे हुए सूट की तरह थे'. राजनीतिक संदर्भ में ये मुहावरा ऐसे नेता के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसका कोई ख़ास प्रभाव न हो. पार्टी प्रमुख सोनिया गाँधी ने 2007 में राहुल गाँधी को युवा मामलों को देखने वाला पार्टी महासचिव नियुक्त किया था और उस क़दम के ज़रिए ये संदेश स्पष्ट रूप से गया था कि राहुल गाँधी ही पार्टी के युवराज हैं.
अमरीकी दूतावास की ओर से भेजे गए एक गुप्त संदेश के मुताबिक़ उस समय मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले राहुल गाँधी की राजनीति के बारे में लोगों को बहुत कुछ पता नहीं था. ये संदेश भारत में अमरीकी राजदूत डेविड मलफ़र्ड ने भेजा था और उस पर उनके हस्ताक्षर भी थे.
विकीलीक्स वेबसाइट की ओर से जारी हुए केबल के अनुसार, "राहुल एक एम्प्टी सूट (हैंगर में टँगे सूट की तरह जिसकी कोई उपयोगिता न हो) की तरह हैं और जो लोग उन्हें अहमियत नहीं देते, राहुल को उन्हें ग़लत साबित करना होगा."
'समझ दिखानी होगी'
केबल के अनुसार, "ऐसा करने के लिए उन्हें प्रतिबद्धता, गहरी समझ और व्यावहारिक ज्ञान दिखाना होगा. उन्हें उस मैले और बेदर्द काम में अपने हाथ गंदे करने होंगे जिसे भारतीय राजनीति कहा जाता है."
राहुल गाँधी अब भी पार्टी महासचिव पद पर हैं और माना जाता है कि 2009 में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद उन्होंने कैबिनेट मंत्री का पद ठुकरा दिया था.
पिछले महीने जब उनकी माँ सोनिया गाँधी इलाज के लिए विदेश गईं तो जिन चार लोगों को पार्टी चलाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी उनमें से एक राहुल गाँधी भी थे.
यूँ तो नेहरू-गाँधी परिवार के नेताओं को कांग्रेस में अपने आप ही नेता मानने की परंपरा सी है मगर अमरीकी केबल में चेतावनी दी गई थी कि सिर्फ़ राहुल का पारिवारिक नाम गाँधी ही उनका राजनीतिक भविष्य नहीं सँवार पाएगा.
उसके अनुसार, "सिर्फ़ पारिवारिक विरासत के आधार पर उन्हें शीर्ष पद मिल तो जाएगा मगर भारत में दीर्घकालिक सफल राजनीतिक भविष्य के लिए इतना भर काफ़ी नहीं होगा."
― बीबीसी हिंदी
एक अमेरिकी केबल की मानें तो छह साल पहले तक कांग्रेस और गांधी परिवार
में प्रियंका गांधी को राहुल गांधी से ज्यादा तेज तर्रार माना जाता
था।
अमेरिकी राजनयिक रॉबर्ट ओ ब्लेक ने 2005 में राजनीतिक विश्लेषक और
समीक्षक सईद नकवी से बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट भेजी थी। नकवी ने
कहा था कि राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी उनके मित्र थे और वह गांधी
परिवार के शुभचिंतक हैं। लेकिन बकौल नकवी, कांग्रेस की भीतर की खबर
रखने वाले और सोनिया गांधी के बेहद करीबी लोग यह मानते हैं कि राहुल
गांधी कभी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। उनकी राय में इसमें
राहुल का व्यक्तित्व आड़े आएगा।
ब्लेक ने नकवी से बातचीत के आधार पर तब लिखा था कि राहुल को कांग्रेस
ने जो जिम्मेदारी दी थी, उसे लेकर राहुल ने पार्टी को नाउम्मीद ही
किया था। नकवी के मुताबिक राहुल गांधी ने अमेठी में दिखने के सिवाए
उत्तर प्रदेश के लिए कुछ नहीं किया है और यूपी के लोगों पर भी उनका
कोई असर नहीं है। इससे कांग्रेसियों का उत्साह कम हो रहा है और ऐसी
संभावना कम ही बन रही है कि कांग्रेस प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम
सिंह यादव और उनकी समाजवादी पार्टी को निकट भविष्य में सत्ता से बाहर
कर पाएगी।
नकवी ने यह भी कहा कि गांधी परिवार हमेशा से इस बात पर जोर देता रहा
था कि प्रियंका गांधी राजनीति में आएं क्योंकि उन्हें ज्यादा समझदार
और दक्ष माना जाता है। सोनिया गांधी के बारे में नकवी ने कहा कि वह भी
भारतीय माओं की तरह अपने बेटे के लेकर चिंतित रहती हैं। नकवी ने यह भी
अनुमान लगाया कि सोनिया गांधी ने अपने ही फैसले के विरुद्ध जाकर राहुल
गांधी को अपना उत्तराधिकारी चुना।
नकवी का यह भी कहना था कि गांधी परिवार में अब कोई भी ऐसा नहीं बचा
जिसकी शख्सियत करिश्माई हो। इंदिरा गांधी परिवार की अंतिम प्रभावशाली
नेता थीं और यदि उनकी हत्या नहीं हुई होती तो राजीव गांधी भी दोबारा
नहीं चुने जाते। नकवी ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस में यह आम
धारणा है कि राहुल गांधी की राजनीतिक क्षमता अपने पिता राजीव गांधी से
बेहद कम है।
ब्लेक ने नकवी से बातचीत के आधार पर लिखे गोपनीय संदेश के अंत में
अपनी ओर से टिप्पणी भी की थी। इसमें उन्होंने लिखा कि नकवी ने जैसी
तीखी टिप्पणी की, अभी तक हमने उतनी तीखी टिप्पणी नहीं सुनी है। जबकि
हमारे कांग्रेस के संपर्क हमेशा ये कहते रहे हैं कि सोनिया गांधी एक
दूरदर्शी नेता हैं। हालांकि राहुल गांधी के बारे में ऐसी अच्छी
टिप्पणी करने वाले कांग्रेसी कम ही हैं। अपने राजनीतिक साथियों के
विपरीत राहुल गांधी दिल्ली के सामाजिक परिदृश्य से भी गायब रहते
हैं।राहुल गांधी से हम बहुत कम ही बार मिले हैं लेकिन हर बार वो हमेशा
लो प्रोफाइल ही दिखते हैं और स्वयं को अपने करीबी मित्रों तक ही सीमित
रखते हैं।
―भास्कर
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