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रंगभरी एकादशी, श्री काशी विश्वनाथ जी द्वारा आशीर्वाद पाने का पर्व
फाल्गुन शुक्ल-एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है | इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और काशी में होली का पर्वकाल प्रारंभ हो जाता है | प्रतिवर्ष श्री काशी विश्वनाथ का भव्य श्रृंगार रंगभरी एकादशी, दीवाली के बाद अन्नकूट तथा महा शिवरात्रि पर होता है |
यह पर्व काशी में माँ पार्वती के प्रथम स्वागत का भी सूचक है | जिसमे उनके गण उन पर व समस्त जनता पर रंग अबीर गुलाल उड़ाते, खुशियाँ मानते चलते है | जिसमे सभी गलियां रंग अबीर से सराबोर हो जाते है और हर हर महादेव का उद्गोष सभी दिशाओ में गुंजायमान हो जाता है और एक बार काशी क्षेत्र फिर जीवंत हो उठता है जहाँ श्री आशुतोष के साक्षात् होने के प्रमाण प्रत्यक्ष मिलते है | इसके बाद श्री महाकाल श्री काशी विशेश्वेर को सपरिवार मंदिर गर्भ स्थान में ले जाकर श्रृंगार कर अबीर, रंग, गुलाल आदि चढाया जाता है |
साभार : वन्दे मातृ संस्कृति | facebook.com/VandeMatraSanskrati
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