होली पर निर्भीक ब्रज का रंग : बरसाने की लठामार होली

Published: Friday, Mar 02,2012, 18:10 IST
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गीतों में भगवान से अफसर तक सभी को सुनाते हैं खरी-खरी : ब्रज की विश्व प्रसिद्ध लठामार होली शुक्रवार को राधारानी के गांव बरसाने में मनाई गई! होली के लिए बरसाने के श्रीजी लाड़ली मंदिर में नंदगांव के गोस्वामी समाज के लोग परंपरागत आमंत्रण लेकर बुधवार को पहुंचे। नंदगांव का आमंत्रण मिलते ही बरसाना गांव में उत्सव का माहौल बन गया। गोस्वामी समाज गायन में नंदगांव का पाण्ड़ो आयों, ब्रज बरसाने में... गाकर आमंत्रण स्वीकार किया गया।

होली खेलने नंदगांव आने का आमंत्रण स्वीकार करने के साथ ही श्रीजी मंदिर के गोस्वामियों ने नंदगांव को शुक्रवार को बरसाने आने का न्यौता दिया। शुक्रवार को जब नंदगांव के हुरयारे बरसाने आएंगे तो यहां की गोपियां लाठियों से उनका स्वागत करेंगी। इससे पूर्व बरसाने में होली का उत्साह शुरू हो गया। बृहस्पतिवार की शाम बरसाना के मंदिर में श्रीजी को लड्डओं का प्रसाद लगाया जाएगा। प्रसाद लगाने के बाद हजारों कुन्तल बूंदी व खोए के लड्डओं से भक्तों के साथ होली खेली जाएगी।

बेर, अंगूर और संतरे पर रहेगा प्रतिबंध : श्रीजी मंदिर में बृहस्पतिवार को लड्डुओ की बरसात हुई, वहीं बेर, अंगूर और संतरा मंदिर में लाने पर प्रतिबंध रह। युवतियों के साथ छेड़छाड को रोकने के उद्देश्य से इन फलों को मंदिर परिसर के अंदर ले जाने पर रोक लगाई गई।

तीसरी आंख से होगी निगरानी : लड्ड होली में अवांछनीय तत्वों पर निगरानी करने के लिए मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। आधा दर्जन से अधिक कैमरों से चोरों के अलावा शोहदों पर नजर रखी

पांच सेक्टरों में बंटा बरसाना : बरसाने की विश्व प्रसिद्ध लठामार होली की सुरक्षा के लिए कस्बे को पांच सेक्टरों में बांटा गया है। पांचों सेक्टरों पर पुलिस उपाधीक्षक तैनात किए गए हैं। इसके अलावा यातायात व्यवस्था सुचारु रखने के लिए मंदिर से कुछ दूरी पर आठ पार्किंग स्थल बनाये गए हैं।

एसपीआरए ने जांची व्यवस्थाएं : पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ह्रदेश कुमार ने बुधवार को बरसाना जाकर लड्डू होली और लठामार होली के लिए सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

फुल हुए होटल, धर्मशाला : बरसाना में होने वाले महाआयोजन में भाग लेने के लिए देश-दुनिया से लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। आलम यह है कि बरसाना के सभी होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाउस फुल हो गए हैं।

होली खेलूं गोकुल में, रोके काहे मौ को दरोगा। ओ रे माखनचोर..। मारूं पिचकारी तोरे मुंह पे रे दरोगा, का करेगा रे माखनचोर। फाग के ये गीत गाकर अंतापाड़ा का 70 वर्षीय फूसीराम रोज रात को होली गेट चौराहे पर पुलिस कर्मियों को ललकारता है। कभी-कभी माखनचोर की जगह अभद्र शब्द प्रयोग करता है। बेचारे पुलिस कर्मी फाग रंग में रंगे इस वृद्ध से कुछ नहीं कहते। यही होली का वो रंग है जो सिर्फ कान्हा की नगरी में ही देखने में मिलता है।

मतदान का पर्व समाप्त होने के बाद ब्रजवासियों पर होली का रंग चढ़ने लगा है। घर के चबूतरों से लेकर मंदिरों तक मंगलवार रात से ही फाग के गीत सुनाई देने लगे हैं। मस्ती का ही दूसरा नाम होली है। इस त्योहार की ब्रज क्षेत्र में अलग ही धूम है। पूरी दुनिया से लोग इस त्योहार में भाग लेने के लिए मथुरा में आते हैं।

चाहे बरसाने की लमार होली हो या दाऊजी का हुरंगा। यहां होली का हर रंग देखने को मिलता है। सभी में कुछ समान है तो वह है गीत संगीत। होली के गीतों को ही फाग कहा जाता है। ब्रजवासी जब मस्त होकर फाग गाते है तो वह यह नहीं देखते कि किसकी झाम उतार रहे हैं। भगवान से लेकर अफसर तक सभी मस्ती में सराबोर गायकों का निशाना बन जाते है। कृष्ण को ही अपना सब कुछ मानने वाले ब्रज के लोग जब अपनी मस्ती में आते हैं तो भगवान को भी कलुआ जैसे विभिन्न चिढ़ाने वाले संबोधन से पुकारते हुए फाग गाते हैं। राधा रानी को श्रीजी कह कर पुकारने वाले लोग जब होली के रंग में रंग जाते हैं तो वह भी बरसाने की छोरी हो जाती हैं। ब्रजभूमि के आनंद में झूमते रसिक गाते हैं, मेरो खुल गयौ बाजू बंद, रसिया होली में.।

होली के गीत सिर्फ कृष्ण और राधा तक ही सीमित नहीं है। होली खेल रहे शिवशंकर, गौरा पार्वती के संग.. गाकर भोले नाथ को भी इस महा आयोजन में शामिल कर लेते हैं। ब्रज के मंदिरों में होली तो बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है, लेकिन जनता के साथ होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को बरसाने की लड्डू होली से शुरू हो जाती है।

साभार वृन्दावन टुडे | वन्दे मातृ संस्कृति | facebook.com/VandeMatraSanskrati

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