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अजमेर धमाकों में संघ को बदनाम करने के लिए एनआईऐ ने दिया था १ करोड़ की रिश्वत का प्रस्ताव
अजमेर धमाकों के दो आरोपियों ने अलग अलग दाखिल याचिकाओं में ऐसी
बात कह दी है जो पूरे राष्ट्र और प्रत्येक राष्ट्रभक्त के लिए
स्तब्धकारी है। कांग्रेस-नीत केंद्र सरकार द्वारा आतंकी घटनाओं की
जांच के लिए बनायीं गयी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईऐ) जिस पर हिन्दू
संगठन अक्सर जानबूझ कर जेहादियों को छोड़ कर हिन्दू आतंकवाद का हौवा
खड़ा करने का यन्त्र होने का आरोप लगाते रहे हैं, उस पर अब ऐसा ही आरोप
अजमेर धमाकों के दो आरोपियों ने लगाया है।
अभियुक्तों ने कहा है कि एनआईऐ ने उन्हें संघ प्रचारक सुनील जोशी की
हत्या के सिलसिले में संघ के ही तीन बड़े नेताओं का नाम लेने के लिए १
करोड़ रुपयों की रिश्वत का प्रस्ताव दिया गया था। एजेंसी ने आरोपों का
खंडन किया है। एजेंसी का इन दोनों पर आरोप है कि इन दोनों ने विस्फोटक
खरीदे थे और उन्हें अजमेर दरगाह पर रखा था।
Eng : NIA offered 1 Crore of bribe to name RSS leaders in
Ajmer blast case
इन दोनों के अभिवक्ता जगदीश राणा ने कहा है कि इन दोनों से १६ अप्रैल
से १९ अप्रैल के बीच रोज ५-५ घंटे पूछताछ के दौरान इन्हें रिश्वत का
प्रस्ताव किया गया कि यदि ये जोशी हत्या में संघ के वरिष्ठ नेताओं का
नाम ले लेते हैं तो एजेंसी इन पर लगाये गए आरोप वापस ले लेगी और १
करोड़ रुपये भी दिलवा देगी। राणा ने याचिका में अभियुक्तों के हवाले
से कहा है कि दोनों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और ये सब
राजनैतिक इशारे पर किया गया। उनके अनुसार केंद्र सरकार एनआईऐ का
प्रयोग झूठे साक्ष्य बनाने के लिए भी कर रही है। याचिका में एनआईऐ के
उन अधिकारियों के नाम भी दिए गए हैं जिन्होंने अजमेर कारावास में
रिश्वत का प्रस्ताव रखा था और उन नामों में एक डीआईजी भी शामिल
है।
उधर एनआईऐ ने अपेक्षित रूप से इन आरोपों को निराधार बताया है। चूंकि
दोनों पहले ही आरोपी हैं, इसलिए उनकी इस याचिका का वैधानिक महत्त्व
अधिक नहीं है। ज्ञात हो कि इससे पहले प्रख्यात समाजसेवी एवं मुस्लिम
राष्ट्रीय मंच बना कर भारतीय विशेषकर कश्मीरी मुस्लिमों को राष्ट्र की
मुख्यधारा में जोड़ने के कार्य में वर्षों से लगे संघ के अति-वरिष्ठ
कार्यकर्ता इन्द्रेश कुमार को कांग्रेस-शासित राजस्थान की पुलिस ने इस
मामले में आरोपी बनाया था। पर काफी समय बीत जाने पर भी एनआईऐ उनके
विरुद्ध कोई साक्ष्य न ही जुटा सकी है, न ही बना सकी है।
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