बाजारवाद का एक कुत्सित लेकिन कामयाब फार्मूला यह है कि पहले ‘दर्द’ तैयार करो फ़िर उसकी दवा बेचने भी निकल पडो. ब..
राहुल गाँधी जितनी फंडिंग नहीं कर रहे हैं वरुण गाँधी, मीडिया से दूर

यह तो सभी जानते हैं कि वरुण गांधी तब से चक्कर काट रहे हैं जब
राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में कोई अभियान शुरू नहीं किया था। वरुण
स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे परन्तु अपने उम्मेदवार को लड़ा रहे हैं।
अपने लोकसभा क्षेत्र पीलीभीत के चार विधानसभा क्षेत्रों में वरुण
गांधी गांव-गांव जाकर वोट मांग रहे हैं। सुबह से शाम तक वे छोटी-बड़ी
25-26 सभाओं को संबोधित करते हैं। वे गरीब लोगों की बेटियों की शादी
कराते हैं। कहते हैं - यह बहुत ही पुण्य का काम है। सांसद बनने के बाद
पीलीभीत के हर गांव में सात-आठ लोगों की बेटियों की शादी तो करा ही
चुका हूं। अपने पैसे से।
वे भाषण नहीं देते। मतदाताओं से बातचीत करते हैं। सब ठीक-ठाक तो है?
बताइए क्या समस्याएं हैं? कभी हल्का सा मजाक कर लेते हैं - मेरा चुनाव
निशान क्या है - गोभी का फूल या कमल का फूल? दो मिनट का भाषण। फिर हाथ
उठवा कर अपने प्रत्याशी को जिताने का वादा लेना। बरखेड़ा के अधिकतर
गांवों को जोडऩे वाली सड़कें कच्ची हैं। नालियां बजबजा रही हैं। एक
गांव में लोग वरुण से सड़क की मांग करते हैं। वे कहते हैं सड़क बनवाना
मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। हां, सोलर लाइटें ले लो। मैं
पांच-छ: सोलर लाइटें लगवा दूंगा। आपका गांव जगमगाएगा। थोड़ा रुककर
कहते हैं कि सड़क के लिए भी जिलाधिकारी से बात कर लूंगा। आपने इतने
ज्यादा वोटों से जिताया तो मेरी जिम्मेदारी है कि आपकी सभी जरूरतें
पूरी करूं।
ज्ञातव्य है कि वे लगभग 3 लाख वोटों से जीते थे। वरुण स्वयं कहते हैं
- 'प्रवक्तानंद का यहां एक भी वोट नहीं है। यह समझिए कि मैं ही लड़
रहा हूं।' तो उन्हें टिकट ही क्यों दिया? 'बस उन्होंने मांगा और मैं
मना नहीं कर पाया।' प्रवक्तानंद के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर
वरुण के मामा वीएम सिंह लड़ रहे हैं। बसपा से वर्तमान विधायक अरशद
खान, सपा से हेमराज वर्मा और कांग्रेस जोगिंदर सिंह। वीएम मेनका गांधी
के ममेरे भाई हैं। 1993 में पूरनपुर से जनता दल के विधायक थे। उसके
बाद से लगातार लड़े और हारे। पिछला लोकसभा चुनाव वरुण के खिलाफ
कांग्रेस के टिकट पर लड़ा। टिकट बंटवारे को लेकर प्रदेश नेतृत्व से
मतभेद हुए और पार्टी छोड़ दी।
Share Your View via Facebook
top trend
-
‘छत्तीसगढ़ फतह’ के बाद स्वामी अग्निवेश जैसे पेशेवर मध्यस्तों का अगला निशाना बना है ओडिशा
-
०१ दिसंबर को सांकेतिक धरना एवं जनवरी से आन्दोलन की चेतावनी : बाबा रामदेव
भारत स्वाभिमान यात्रा पर निकले योग गुरु बाबा रामदेव ने गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में रविवार को कहा कि यदि केन्द्रीय सरकार लोक..
-
अयोध्या पर फैसला सुनाने वाले जजों को मारना चाहता था सिमी, पाकिस्तान करवाता है हमले
प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के उन जजों को हत्या की साजिश रची थी, जिन्होंने अयोध्या विवा..
-
अमरनाथ यात्रा रोकने के लिए सरकार ने की जम्मू में धारा १४४ लागू
अपने पूर्व निर्धारित एवं घोषित कार्यक्रम के अनुसार विश्व हिन्दू परिषद् ज्येष्ठ पूर्णिमा अर्थात आज ३ जून से अमरनाथ ..
-
सोनिया गांधी के आशीर्वाद से बना गवर्नर : अजिज कुरैशी
उत्तराखंड के नवनियुक्त राज्यपाल अजिज कुरैशी का कहना है कि सोनिया गांधी के आशीर्वाद से उन्हें राज्यपाल का पद मिला है। मीड..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)