मुझे आपको यह खुला पत्र लिखते हुए बड़ा खेद हो रहा है। मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं। यह भावना आज से नहीं है किन्तु उस समय स..
मोदी को बदनाम करने की योजना, कांग्रेस ने दस करोड़ रुपए तक खर्च किये

दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश कांग्रेस ने
नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने की योजना बनाई, जिसके लिए दस करोड़
रुपए तक खर्च किये गए। लेकिन खुद अपने ही विज्ञापन में मोदी की
प्रशंसा कर फंसी कांग्रेस ने इस अभियान पर फिलहाल रोक लगा दी है।
उधर, विज्ञापन मामले में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश के नेताओं को तलब
किया है जबकि सभाओं में विज्ञापन का उल्लेख कर मोदी खुद की पीठ
थपथपाने लगे है। गणतंत्र दिवस पर गुजरात प्रदेश कांग्रेस ने राज्य के
विकास पर एक विशेष परिशिष्ट तैयार कराया था जिसमें अब तक के सभी
मुख्यमंत्रियों की उपलब्धियों का बखान करते हुए राज्य के विकास का
श्रेय हर एक गुजराती से जोड़ दिया गया था।
इस विज्ञापन में प्रदेश कांग्रेस ने कुछ शब्दों से मोदी पर कटाक्ष
करने की कोशिश भर की थी। लेकिन मोदी की राजनीतिक कुशलताओं के पुल
बांधकर वह अब खुद ही फँस गयी है। गुजरात प्रदेश में राजनीति की परख
रखने वाले बताते है कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री मोदी को बदनाम करने के
लिए करीब दस करोड़ रुपये के विज्ञापन अभियान तैयार किए। इसके जरिए
टीवी, अखबार तथा विशेष परिशिष्ट जारी कर जनता को जागरुक किया जाना था।
इसके लिए अहमदाबाद की एक एजेंसी को सालाना पचास लाख से एक करोड़ रुपये
देकर राजनीतिक सलाहाकार के रूप में भी नियुक्त किया गया। लेकिन
कांग्रेस का यह अभियान पहले ही चरण में औंधे मूंह गिर पड़ा।
कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष वाघेला एवं प्रदेश अध्यक्ष
मोढवाडिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने मोदी को एक लाख करोड़ रुपये के
घोटालों, कैग की रिपोर्ट से उजागर हुई साढे छब्बीस हजार करोड़ की
अनियमितताओं के साथ लोकायुक्त तथा फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में घेरने
की रणनीति बनाकर पहली बार हाशिए पर ला दिया था। लेकिन अति उत्साह में
गुजरात विकास पर समालोचना वाला विज्ञापन जारी कर कांग्रेस मात खा
बैठी।
अब जनता को स्वयं सोचना होगा की एक पार्टी दूसरी पार्टी के सु-शासन
में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है अव्यवस्था का माहौल बना रही है, और
इतना ही नहीं १० करोड़ जितनी बड़ी रकम भी फूंक रही है। यही रकम अगर
बिना सत्ता में आये विकास या जन-हित में लगाये तो जनता स्वयं इन्हें
वोट करेगी और सर-माथे रखेगी। देश एक बड़े दौर से गुजर रहा है, जहाँ
चिंतन की आवश्यकता है। चिंतन केवल इतना ही नहीं की संस्कृति और भाषा
का विकार, विकास, विदेशी या स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, विदेशों से
आतंकवाद या युध्द का खतरा अपितु चिंतन इस बात का कि कितने जयचंद इस
देश को खोखला करने पर तुले हैं उनके विरुद्ध कैसा अभियान चलाया जाए
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