भारत में राहुल गांधी का जादू खत्म हो रहा है? यह प्रश्न अब युवा कांग्रेस में भी गंभीर हो गया है। भारतीय युवा कांग्रे..
मुसलमानों के साथ नाइंसाफी के लिए संघ जिम्मेदार : राहुल, मुस्लिम संगठनों ने कहा हास्यास्पद
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के बयान पर उलमा और मुस्लिम संगठनों
ने मिला-जुली प्रतिक्रिया जाहिर की, राहुल गांधी ने ब्यान दिया कि, "
मुसलमानों के साथ नाइंसाफी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
जिम्मेदार है। " इन लोगों का कहना है कि अगर मुसलमानों की
हालत के लिए संघ जिम्मेदार है, तो कांग्रेस ने उनकी हालत बेहतर बनाने
के लिए क्या कदम उठाए।
कुछ लोगों ने इस राहुल के इस बयान को तारीफ के काबिल बताया, लेकिन कुल
मिलाकर समस्त लोग यह बात मानने को तैयार नहीं कि मुसलमानों की गरीबी
के लिए जिम्मेदार सिर्फ संघ परिवार है।
वहीं जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख कारी मुहम्मद उस्मान का कहना हैं,
राहुल के अनुसार अगर सांप्रदायिक अधिकारियों के कारण
मुसलमानों को उनके हक नहीं मिल रहे हैं, तो सवाल यह उठता है कि आप
क्या कर रहे थे। आपकी जिम्मेदारी थी कि उन अधिकारियों पर नजर
रखते। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने पिछले शासनकाल में भी वादे
किए थे। ऐसे में लोग उन पर कैसे भरोसा कर लें।
मजलिस उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद ने राहुल गांधी के
बयान को हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि यह बात अजीब लगती है कि
कांग्रेस के शासन में संघ परिवार ने मुसलमानों का हक मारा और
उनका दुरुपयोग किया है। उनके बयान से लगता है कि संघ ने
सत्ता पर कब्जा कर लिया है। इसका मतलब तो यह हुआ कि मुसलमानों
के साथ नाइंसाफी होती रही और कांग्रेस तमाशा देखती रही।
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मिल्ली काउंसिल के महासचिव डॉ. मंजूर आलम का कहना है कि एक नौजवान और
भविष्य का बड़ा लीडर या प्रधानमंत्री इस तरह का बयान देता है तो उसे
पहले इस इमेज को बदलना होगा कि बोलो सब कुछ और करो कुछ नहीं। इस बयान
पर भरोसा इसलिए करना चाहिए कि दो साल बाद फिर चुनाव होने हैं।
अगर वे इस पर खरे नहीं उतरते हैं, तो फिर मुसलमान विकल्प तलाश
करेगा।
उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. अख्तर उल वासे कहते हैं,
राहुल ने बयान देकर यह स्वीकार कर लिया कि मुसलमानों की हालत
खराब है। यह तारीफ के काबिल है। इससे देश के प्रजातंत्र का
धर्मनिरपेक्ष चेहरा खुलकर सामने आएगा।
- साभार दैनिक जागरण
आई.बी.टी.एल विचार : राहुल गाँधी को चाहिए की वह
अपने पीछे खड़े उन राजनैतिक सलाहकारों की एक नयी टीम खड़ी करें जो
उन्हें उचित रास्ता दिखा सके अन्यथा वह कांग्रेस जैसी सेकुलर पार्टी
की छवि को एक " नकारात्मक सोच वाली पार्टी जिसके पास न विकास
का कोई मॉडल है न विकास के कोई दावे हैं " के रूप में
प्रस्तुत करें ... सदैव मुद्दा यह नहीं होना चहिये की आपने क्या किया
या आप कहा थे अब तक, जनता के मध्य जाकर ये सन्देश दीजिये की आप क्या
करने में सक्षम हैं। मीडिया के माध्यम से अपने आपको भारत का युवराज
बनवा लेना शायद आपको सही कदम लगे लेकिन इतना तो आप जानते ही होंगे की
भारत वर्ष में कितने टी.वी. सेट हैं ... आशा है आप
भारत के लिए कुछ अच्छा कर पाने में सक्षम होंगे सभी को आपके उत्तर
प्रदेश चुनाव प्रचार-प्रसार के पश्चात कांग्रेस पार्टी के उदय को
देखने की लालसा है ...
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