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संयुक्त राष्ट्र से मिलेंगे दिल्ली मेट्रो को 6.3 लाख कार्बन क्रेडिट, यूएनओ ने की सराहना

नई दिल्ली राजधानी में मेट्रो के चलते आवोहवा में जो बदलाव आया इसकी संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने सराहना की है। दिल्ली जैसे शहर में मेट्रो के चलते हर साल 6.3 लाख टन प्रदूषण स्तर में गिरावट आई है तो इसके लिए यूएनओ ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को 6.3 लाख कार्बन क्रेडिट देने का फैसला लिया है। डीएमआरसी दुनिया की पहली संस्था होगी जिसे यूएनओ बिल्कुल प्रदूषण नहीं पैदा करने के एवज में कार्बन क्रेडिट प्रदान करेगी।
डीएमआरसी का मानना है कि मेट्रो से यात्रा करने वाला हर व्यक्ति जो अपनी कार व बस में सफर नहीं करता है, हर 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए लगभग सौ ग्राम कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा में कमी लाने में योगदान देता है। दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फिलहाल 190 किलोमीटर मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हुआ है। इसमें लगभग 18 लाख लोग यात्रा करते हैं। यदि इन लोगों ने मेट्रो के बजाए कार, बस, दो पहिया, ऑटो आदि से यात्रा की होती तो इससे बड़ी मात्रा में कार्बन डाइआक्सॉइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, एचसी, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकलती।
इस प्रकार डीएमआरसी ने शहर के वातावरण में इन नुकसानदेह गैसों के निकलने में कमी लाने में सहायता दी। इसे देखते हुए यूनाइटेड नेशन द्वारा क्योटो प्रोटोकॉल के तहत क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म (सीडीएम) लागू करने के लिए प्रमाणित किया है कि डीएमआरसी ने उत्सर्जन में कटौती की। इस तरह डीएमआरसी को अगले सात सालों के लिए हर वर्ष लगभग 47 करोड़ रुपये मूल्य के कार्बन क्रेडिट मिले हैं। दिल्ली मेट्रो के प्रवक्ता अनुज दयाल बताते हैं कि दुनिया की किसी अन्य मेट्रो को इस बात के लिए कार्बन क्रेडिट नहीं मिले हैं क्योंकि यूनाइटेड नेशन बॉडी ने कमी लाने के दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए बहुत कठोर नियम बनाए हुए हैं।
उन्होंने बताया कि मेट्रो ने दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले 91 हजार से अधिक वाहनों को हटाने में मदद की है। मेट्रो ट्रेन के चलते प्रति यात्री ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाई गई है। मेट्रो का पर्यावरण संबंधी मुख्य पहलू यह है कि दिल्ली में यात्रियों को आने-जाने के साधनों में कमी को दूर किया गया है।
डीएमआरसी का दावा है कि मेट्रो से यात्रा करने वाला हर व्यक्ति जो अपनी कार व बस में सफर नहीं करता है, हर 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए लगभग सौ ग्राम कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा में कमी लाने में योगदान देता है और इस प्रकार ग्लोबल वॉर्मिग में कमी लाने में वह सीधे योगदान देता है।
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