छात्र राजनीति में रहते हुए हम लोग अक्सर एक नारा लगाते थे..सत्ता के हम सभी दलाल, फिर भी भारत मां के लाल। उस वक्त जोश था, हो..

नैसर्गिक आपदाएँ प्रस्थापित समाज जीवन को तहस-नहस कर देती है|
लेकिन मनुष्य कुछ ही समय में समाज व्यवस्था पुन: कायम कर लेता है| इस
प्रक्रिया में, आपदा में विस्थापित हुए लोगों के पुनवर्सन के लिए किए
गए सेवा कार्य अपना अलग महत्त्व रखते है|
२००९ में, ओडिशा के पास समुद्र में आए तूफान (चक्रावात) ने समुद्र
किनारे के पास के अनेक भाग उद्ध्वस्त कर डाले| इस तूफान में परिवार का
छत्र खो चुके बच्चों के पुर्नवास के लिए, कटक में जशोदा सदन द्वारा
स्थापित ‘गोकुल’ ऐसा ही महत्त्वपूर्ण उपक्रम है|
इस तीन मंजिला भवन में आधुनिक जीवनावश्यक सारी सुविधाएँ उपलब्ध है|
यहॉं के बच्चों के शारीरिक, भावनिक एवं धार्मिक-आध्यात्मिक विकास का
ध्यान रखा जाता है| समीप की शाला में इन बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था
की गई है| पुस्तकें और अन्य आवश्यक शालेय साहित्य संस्था की ओर से ही
दिया जाता है| पढ़ाई में सहायता के लिए रोज दो अभ्यास सत्र होते है| इन
सत्रों में, बच्चों को मार्गदर्शन करने के लिए संस्था द्वारा शिक्षकों
की नियुक्ति की गई है| कुछ स्वयंसेवक भी इन बच्चों की पढ़ाई में नियमित
सहायता करते है| मासिक परीक्षाओं द्वारा बच्चों की परीक्षा के लिए
तैयारी की जाती है| इसके अतिरिक्त वार्षिक परीक्षा के समय विशेष
तैयारी वर्ग भी लिए जाते है|
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Read in English : Jashoda Sadan : Gokul for
cyclone-hit children
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सत्संग के अंतर्गत रोज सायंकाल प्रार्थना के बाद, बच्चों को
सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक विषयों से संबंधित कहानियॉं सुनाई
जाती है| गोकुल में स्वाधीनता दिवस, गणतंत्र दिन, सरस्वती पूजा, गणेश
पूजा, होली, राजा संक्रांति, खुदुरुकुनी, राखी, कृष्णजन्माष्टमी,
दुर्गा पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति आदि कार्यक्रम और
त्यौहार उत्साह से मनाएँ जाते है|
यहॉं के बच्चों ने अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अपनी अलग
पहेचान बनाई है| बच्चों को सफाई का महत्त्व सिखाया जाता है| डॉक्टर इन
बच्चों की नियमित जॉंच करते है| आवश्यकतानुसार बच्चों पर उपचार किए
जाते है| रुग्ण बच्चों के उपचार के लिए विशेष कक्ष की व्यवस्था
है|
बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए संगीत-नृत्य आदि ललित कलाओं से
संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते है| शारीरिक विकास के लिए खेल और
योग की भी व्यवस्था है|
व्यावहारिक एवं सांस्कृतिक शिक्षा उपक्रम के अंतर्गत बच्चों के लिए
प्रति वर्ष राज्य के महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अभ्यास-सहल (एज्युकेशनल
टूर्स) आयोजित की जाती है| व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत ग्रीष्म और
शीतकाल की छुट्टियों में सिलाई, चॉक निर्माण आदि के प्रशिक्षण शिबिर
लिए जाते है|
संकट ने इन बच्चों को एक-दूसरे के समीप लाया है; अब वे, भावनिक
स्तर भी एक-दूसरे से जुड़ चुके है| आज वे सब इस विशाल जसोदा परिवार का
हिस्सा बन गए
है|
संपर्क
जशोदा सदन
विश्वनाथ मंदिर कॉम्प्लेक्स, कॉलेज चौक
कटक, ओडिशा (भारत) ७५३००३
ई-मेल : [email protected]
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