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प्रणब के दबाव में हुआ रिलायंस का १५०० करोड़ का अर्थदंड क्षमा
सेबी के पूर्व अधिकारी का आरोप, प्रणब के दबाव में हुआ रिलायंस का
१५०० करोड़ का अर्थदंड क्षमा, प्रधानमंत्री को भी बताया था |
सेबी के पूर्व सदस्य के एम अब्राहम ने पद छोड़ने से डेढ़ माह पूर्व
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर सूचित किया था कि किस प्रकार
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सेबी पर शक्तिशाली कॉर्पोरेट घरानों को
बचाने के लिया दबाव डाल रहे थे | फर्स्टपोस्ट ने इस आशय का समाचार
प्रकाशित किया है | वित्त मंत्री सहारा, रिलायंस इंडस्ट्रीज तथा
रिलायंस (अनिल अम्बानी समूह) की सहायता कर रहे थे | प्रधानमंत्री
कार्यालय से १ जून २०११ की इस पत्र की प्रति प्राप्त की गयी है |
अब्राहम के पत्र में बतलाया गया है कि सेबी के अध्यक्ष यू के सिन्हा
उन पर मुकेश अम्बानी की कम्पनी को बचाने के लिए दबाव डाल रहे थे | यदि
ऐसा न होता तो रिलायंस पर १५०० करोड़ का आर्थिक दंड लग गया होता
क्योंकि सेबी कि जाँच में प्रथम दृष्टया रिलायंस का अपराध सिद्ध हो
चुका था | अब्राहम का पत्र वित्त मंत्री की भूमिका की ओर स्पष्ट रूप
से इंगित करता है |
अब्राहम ने स्वयं कहा कि सेबी के अध्यक्ष का रिलायंस के मामले को
"मैनेज" करने की बात वित्त मंत्री की इन मामलों में "रूचि" इंगित करते
हैं तथा अध्यक्ष सिन्हा किस दबाव में कार्य कर रहे हैं, इस का भी
प्रमाण प्रस्तुत करते हैं | अब्राहम ने मनमोहन सिंह से इस विषय में
उचित हस्तक्षेप करने की भी विनती की थी तथा कहा था कि सेबी के नियामक
तंत्र पर कॉर्पोरेट का स्पष्ट दबाव है | ज्ञातव्य है कि वित्त
मंत्रालय ने अब्राहम का कार्यकाल बढ़ाने से मन कर के उन्हें सेवानिवृत
होने पर विवश कर दिया था | यद्यपि वित्त मंत्रालय ने अब्राहम के
आरोपों को "तथ्य से परे" बताकर पल्ला झाड लिया है पर सेबी के इस पूर्व
सदस्य ने वित्त मंत्री और कॉर्पोरेट कि सांठ-गाँठ पर १५०० करोड़ का
प्रश्न-चिह्न तो लगा ही दिया है |
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