अगर किसी की गरीबी तय करने का पैमाना सिर्फ यही है कि वह रोज़ाना कितना खर्च करता है तो हमारे देश में सबसे ज्यादा गरीब तो न..

महिला समाज की रीढ़ है| रीढ़ ही कमजोर होगी तो समाजव्यवस्था का ढ़ांचा
ढहने में समय नहीं लगेगा| यही बात ध्यान में रखकर ‘अबलाश्रम’ अनाथ
महिलाओं के पुनर्वसन में जुटा है| यह आश्रम, अनाथ महिलाओं के पुनर्वसन
और देखभाल का काम जिस आत्मीयता से करता है, वह इस आश्रम की विशेष
पहेचान है|
इस आश्रम की स्थापना स्व. चक्रवर्ती व्यंकट वरदा अयंगार ने की थी| वे
तत्त्ववादी इंसान थे, स्वयं के आचरण से समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत
करने में विश्वास रखते थे| उस समय, महिलाओं के पुनर्वसन का एक कदम,
इस रूप में उन्होंने कृष्णम्मा नाम की बालविधवा के साथ विवाह किया|
इसके लिए उन्होंने समाज का बहिष्कार भी सहा|
विवाह के बाद, इस परिवार ने अपने घर के प्रांगण मेंही अबलाश्रम शुरू
किया! कुछ ही समय में आश्रित महिलाओं की संख्या इतनी बढ़ी कि, आश्रम के
लिए जगह कम पडने लगी| १९०७ में नगर पालिका ने आश्रम के लिए जगह दी|
अयंगार ने, लोगों से मिली सहायता से १९११ में आश्रम के लिए इमारत
बनाई| आज आश्रम पंजीकृत है| निर्वाचित प्रतिनिधियों की संस्था आश्रम
का संचालन करती है| अनेक संस्थाओं के सहयोग से अबलाश्रम पुनर्वसन के
उपक्रम कार्यांवित करता है|
सरकारी महिला सुधार गृह में से १६ साल की आयु प्राप्त होतेही महिलाओं
को वहॉं से निकाल दिया जाता है| ऐसी महिलायें गलत रास्तेपर ना जाए
इसलिए इन महिलाओं को अबलाश्रम में प्रवेश दिया जाता है| अबलाश्रम की
युवतीयॉं कर्नाटक की विभिन्न कंपनीयों में या कारखानों में काम करती
हैं| उनको आर्थिकदृष्टीने स्वावलंबी बनाने का संस्था का प्रयत्न रहता
है| इसी कारण आज यहॉं की युवतीयॉं बायोकेमेस्ट्रि, लॉ और कॉमर्स में
ग्रॅज्युएट हुई है| स्कूल छोड चुकी और पढ़ने में रुचि ना रखनेवाली
युवतियों के लिए सिलाई, स्क्रीन प्रिटिंग, बूक बाईंडिंग, टायपिंग,
कंप्युटर ऑपरेटर, नर्सिंग जैसे स्वयंरोजगार उपलब्ध करानेवाले
प्रशिक्षण वर्ग भी आश्रम के द्वारा चलाए जाते है| आश्रम में निर्मित
वस्तुएँ बाजार में बेची भी जाती है|
व्यक्तित्व विकास के अंतर्गत इन महिलाओं को खेल और योग की सुविधा भी
दी जाती है| दुर्घटना की शिकार महिलाओं के लिए समुपदेशन के साथ मानसिक
उपचार की भी व्यवस्था है| इसी प्रकार आश्रमवासी महिलाओं की सहायता के
लिए स्त्रीरोगविशेषज्ञ, मानसिक उपचार तज्ञ, वकील, सामाजिक
कार्यकर्ताओं की सेवा भी उपलब्ध है|
आश्रम का प्रयास रहता है कि, आश्रम की अधिक से अधिक युवतियॉं अपना
परिवार बसाए| किसी युवती को स्थाई राजगार मिलने के बाद आश्रम चाहता है
कि, वह युवती विवाह कर अपना घर बसाए, या बाहर, महिलाओं के वसतीगृह में
अपनी व्यवस्था करे| यदि युवती विवाह करना चाहती है तो आश्रम पालक की
जिम्मेदारी निभाते हुए उसके लिए वर संशोधन करता है| प्रगतिशील विचारों
के युवक इन युवतियों को पत्नी के रूप में अपनाने के लिए तैयार रहते
है|
संपर्क
अबलाश्रम
१२५, डॉ. डी. व्ही. जी. मार्ग
बसवनगुडी, बंगलोर (भारत) ५६ ०० ०४
इ-मेल : [email protected]
कैसे पहुँचे
बसवनगुडी बंगलोर और जयनगर की सीमा पर बसा है|
हवाई मार्ग : बंगलोर हवाई अड्डा शहर से ४० किलोमीटर दूर| भारत के साथ
विदेश के भी प्रमुख शहरों से जुड़ा है|
रेल मार्ग : बंगलोर मॅजेस्टिक, बंगलोर कॅन्टोनमेंट (मॅजेस्टिक से ८
किलोमीटर दूर) और यशवंतपुर (मॅजेस्टिक से १० किलोमीटर दूर) यह तीन
बंगलोर के मुख्य रेल स्टेशन है|बंगलोर मॅजेस्टिक भारत के सब
मुख्य शहरों से जुड़ा है|
सड़क मार्ग : कोचीन, त्रिवेंद्रम, चेन्नई, मुंबई, गोवा और म्हैसूर के
साथ कर्नाटक के सभी शहरों के लिए बंगलोर से बस सेवा उपलब्ध|
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