
मेघालय मे दूर दूर पर्वतों मे बसे गॉंव, घनी बारीश, भयंकर ठंड,
आनेजाने के लिए रास्ता नही, कोई सुविधा नही, और इतनी बडी संख्या मे
लोग यहॉं रहते है| लेकिन डॉक्टर की संख्या बहोत ही कम होने से यहॉं के
सभी लोगो के बिमारी का इलाज नही हो पाता था| थोडे बहोत अंतर से उत्तर
पूर्वांचल के सभी विभागो मे स्वास्थ्य की यही स्थिती रही| १९९९ मे
सेवा भारती का आरोग्य रक्षक प्रकल्प असम से शुरू हुआँ| धीरे धीरे पूरे
उत्तर पूर्व मे फैल गया है| आज की स्थिती मे ५००० गावों में आरोग्य
रक्षक कार्यरत है|
हर गॉंव में एक आरोग्य रक्षक युवा या युवती रहती है| इन्हे निरंतर
प्रशिक्षण देकर गॉंव के स्वास्थ्य की प्राथमिक रक्षा का दायित्व दिया
जाता है| कई गॉंव से रुग्णालय तथा डॉक्टर दूर होने से बीमारी बढने तक
लोग इलाज के लिए नही आते| ऐसे मे बीमारी बढने का खतरा रहता है| आरोग्य
रक्षक के रहते बीमारी की पहचान बहुत जल्दी हो जाती है और लोगों को
अस्पताल चलने का आग्रह भी किया जाता है| आरोग्य रक्षक, बीमार व्यक्ती
को स्वयं अपने साथ अस्पताल ले आते है, या फिर सेवा भारती के
चलचिकित्सालय (मोबाईल क्लिनिक) के आने पर इन रुग्णों की चिकित्सा
कराते है| स्वास्थ्य की दृष्टि से दैनिक जीवन में स्वच्छता एवं आहार
की जानकारी भी वे लोगों को देते है|
आरोग्य रक्षक स्वयंसेवी भाव से काम करते है, इन्हे कोई मानधन नही दिया
जाता| प्रशिक्षण के लिए आने जाने का प्रवास खर्च और प्रशिक्षण साहित्य
दिया जाता है| इनके पास एक बॅग मे आयुर्वेदिक, होमिओपॅथिक व ऍलोपेथिक
दवाएँ हमेशा रहती है|
प्रशिक्षण चलते है, और साहित्य भी इन्ही भाषाओं मे दिया जाता है|
आरोग्य रक्षक योजना कअब अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, बोडो, खॉंसी आदि
भाषाओं मे आरोग्य रक्षकों के संचालन करने के लिए पूर्णकालिक डॉक्टर भी
कार्यरत है| प्रति वर्ष १००० या अधिक रोगियों पर उपचार करनेवाले
आरोग्य रक्षकों के लिए गुणात्मक विकासार्थ प्रगति वर्ग लिए जाते है|
इसमे ५०० आरोग्य रक्षकों ने विशेष नैपुण्य प्राप्त किया है|
आरोग्य रक्षक जहॉं रहते है उस गॉंव मे और कई संगठनात्मक काम भी शुरू
है| १७० गांवों मे महिला आरोग्य रक्षक संस्कार केंद्र चला रही है|
आतंकग्रस्त क्षेत्र में भी आरोग्य रक्षक का विरोध नहीं होता| उत्तर
पूर्वांचल के अलावा देश के अन्य प्रांतों मे भी आरोग्य रक्षक योजना
कार्यरत है|
सम्पर्क:
सेवा भारती मेघालय
द्वारा शांती मर्विन
र्हायनो लास्ट स्टॉप रोड
पानी टाकी नजीक
लबान, शिलॉंग
७९३००४
मेघालय (भारत)
फोन : ०३६४ २२२११२०
मोबाईल : ०९४३६११९१५७
ई मेल : [email protected]
कैसे पहुँचे शिलॉंग :
हवाई मार्ग : शिलॉंग का उमरोई हवाई अड्डा केवल कोलकाता से जुडा है|
समीप का हवाई अड्डा १०० कि.मी. दूर गुवाहाटी का है| गुवाहाटी भारत के
सभी प्रमुख शहरोंसे हवाई मार्ग से जुडा है|
रेल मार्ग : शिलॉंग से समीप रेल स्टेशन गुवाहाटी का है| गुवाहाटी का
पलटन बजार रेल स्टेशन उत्तर-पूर्व फ्रन्टियर रेल मार्ग का प्रमुख
स्टेशन है|
सडक मार्ग : गुवाहाटी से सडक मार्ग से भी शिलॉंग पहुँच सकते है| राज्य
परिवहन की नियमित बस सेवा भी उपलब्ध है|
......
Share Your View via Facebook
top trend
-
रामलीला मैदान की रावण लीला पर सर्वोच्च न्यायालय का विचित्र फैसला
-
नरेंद्र मोदी ने उठाई पाकिस्तानियों के लिए वीजा में रियायत देने की मांग
अहमदाबाद. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मांग की है कि पाकिस्तान से अजमेर शरीफ दरगाह पर जियारत के लिए आने..
-
इंटरनेट का नाम बदनाम न करो : इन्टरनेट उपभोक्ता केवल कांग्रेस विरोधी क्यूँ हैं ?
इंटरनेट का नाम बदनाम न करो यही कोई आठ-दस साल पहले जब बड़े पैमाने पर सरकार ने डिजिटल तकनीक के उपयोग के लिए अरबों की खरीदा..
-
अल्पसंख्यक हिंदुओं की त्रासदी
सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति उन देशों में काफी बदतर है जहां वे अल्पसंख..
-
कोक-पेप्सी से कैंसर : बाबा रामदेव के बाद अब अमेरिका ने माना, शोध में साबित हुआ
जहा भारत में एक लंबे समय से योग गुरु बाबा रामदेव कोक, पेप्सी को स्वास्थ्य के लिए खतरा बता रहे है और इसको “टॉयलेट क..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)