नई दिल्ली जब योजना किसी और को मुनाफा देने के लिए बने तो घाटा होना लाजमी है? ऐसे ही सौदों की वजह से डीटीसी (दिल्ली परिवहन न..
मेरी शिक्षा मातृभाषा में हुई, इसलिए ऊँचा वैज्ञानिक बन सका - अब्दुल कलाम

उच्च तकनीकी क्षेत्र जैसे उपग्रह निर्माण जिसे उच्च तकनीक कहा जाता
जो बहुत कठिन एवं क्लिष्ट तकनीक होती है, उसमें आज तक कोई विदेशी
कंपनी इस देश में नहीं आई | भारत जिसने १९९५ एक आर्यभट्ट नमक उपग्रह
अंतरिक्ष में छोड़ा एवं उसके उपरांत हमारे अनेकों उपग्रह अंतरिक्ष में
गए है | अब तो हम दूसरे देशों के उपग्रह भी अंतरिक्ष में छोड़ने लगे है
इतनी तकनीकी का विकास इस देश में हुआ है यह संपूर्ण स्वदेशी पद्दति से
हुआ है, स्वदेशी के सिद्धांत पर हुआ है एवं स्वदेशी आंदोलन की भावना
के आधार पर हुआ है | इसमें जिन वैज्ञानिकों ने कार्य किया है वह
स्वदेशी, जिस तकनीकी का उपयोग किया गया है वह स्वदेशी, जो कच्चा माल
उपयोग किया गया है वह स्वदेशी, इसमें जो तकनीक एवं कर्मकार लोगों का
सहयोग प्राप्त हुआ वह सब स्वदेशी, इनको अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने
हेतु जो कार्य हुआ है वह भी हमारी प्रयोगशालाएं स्वदेशी इनके नियंत्रण
का कार्य होता है वह प्रयोगशालाएं भी स्वदेशी तो यह उपग्रह निर्माण
एवं प्रक्षेपण का क्षेत्र स्वदेशी के सिद्धांत पर आधारित है |एक और
उदाहरण है " प्रक्षेपास्त्रों के निर्माण " (मिसाइलों को बनाने) का
क्षेत्र आज से तीस वर्ष पूर्व तक हम प्रक्षेपास्त्रों के लिए दूसरे
देशों पर निर्भर थे या तो रूस के प्रक्षेपास्त्र हमे मिले अथवा
अमेरिका हमको दे किंतु पिछले तीस वर्षों में भारत के वैज्ञानिकों ने
विशेष कर " रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन " (डी.आर.डी.ओ.) के
वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम कर प्रक्षेपास्त्र बनाने की स्वदेशी
तकनीकी विकसित की १०० ,२०० ,५०० ... से आगे बढ़ते हुए आज हमने ५०००
किमी तक मार करने की क्षमता वाले प्रक्षेपास्त्रों को विकसित किया है
| जिन वैज्ञानिकों ने यह पराक्रम किया है परिश्रम किया है वह सारे
वैज्ञानिक बधाई एवं सम्मान के पात्र है, विदेशों से बिना एक पैसे की
तकनीकी लिए हुए संपूर्ण स्वदेशी एवं भारतीय तकनीकी पद्दति से उन्होंने
प्रक्षेपास्त्र बना कर विश्व के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया | जिन
वैज्ञानिकों ने यह सारा पराक्रम किया सारा परिश्रम किया महत्व की बात
उनके बारे में यह है की वह सब यहीं जन्मे, यहीं पले-पढ़े, यहीं
अनुसंधान (रिसर्च) किया एवं विश्व में भारत को शीर्ष पर स्थापित कर
दिया |
श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, भारत में प्रक्षेपास्त्रों की जो परियोजना
चली उसके पितामहः माने जाते है | श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी से जब
एक दिवस पूछा गया की आप इतने महान वैज्ञानिक बन गए, इतनी उन्नति आपने
कर ली, आप इसमें सबसे बड़ा योगदान किसका मानते है तो उन्होंने उत्तर
दिया था की " मेरी पढ़ाई मातृभाषा में हुई है अतैव मैं इतना
ऊँचा वैज्ञानिक बन सका हूँ ", आपको ज्ञात होगा कलाम जी की १२
वीं तक की पढ़ाई तमिल में हुई है | उसके उपरांत उन्होंने थोड़ी बहुत
अंग्रेजी सीख स्वयं को उसमें भी दक्ष बना लिया किंतु मूल भाषा उनकी
पढ़ाई की तमिल रही | कलाम जी के अतिरिक्त इस परियोजना में
जितने और भी वैज्ञानिक है उन सभी की मूल भाषा मलयालम, तमिल, तेलगु,
कन्नड़, बांग्ला, हिंदी, मराठी, गुजराती आदि है अर्थात हमारी
मातृभाषा में जो वैज्ञानिक पढ़ कर निकले उन्होंने स्वदेशी तकनीकी का
विकास किया एवं देश को सम्मान दिलाया है | परमाणु अस्त्र निर्माण एवं
परिक्षण भी श्री होमी भाभा द्वारा स्वदेशी तकनीकी विकास के स्वप्न,
उसको पूर्ण करने हेतु परिश्रम की ही देन है | अब तो हमने परमाणु
अस्त्र निर्माण एवं परिक्षण के अतिरिक्त उसे प्रक्षेपास्त्रों पर लगा
कर अंतरिक्ष तक भेजने में एवं आवश्यकता पढ़ने पर उनके अंतरिक्ष में
उपयोग की सिद्धि भी हमारे स्वदेशी वैज्ञानिकों ने अब प्राप्त कर ली है
| यह भी संपूर्ण स्वदेशी के आग्रह पर हुआ है | अब तो हमने पानी के
नीचे भी परमाणु के उपयोग की सिद्धि प्राप्त कर ली है संपूर्ण स्वदेशी
तकनीकी से निर्मित अरिहंत नामक परमाणु पनडुब्बी इसका ज्वलंत प्रमाण है
| जल में, थल में, अंतरिक्ष में हमने विकास किया | यह सारी विधा का
प्रयोग स्वदेशी वैज्ञानिकों ने किया, स्वदेशी तकनीकी से किया, स्वदेशी
आग्रह के आधार पर किया एवं स्वदेशी का गौरव को संपुर्ण विश्व में
प्रतिष्ठापित किया |
यह कार्य उच्च तकनीकी के होते है प्रक्षेपास्त्र, उपग्रह, परमाणु
विस्फोटक पनडुब्बी, जलयान, जलपोत महा संगणक (सुपर कंप्यूटर) निर्माण
आदि एवं इन सब क्षेत्रों में हम बहुत आगे बढ़ चुके है स्वदेशी के पथ पर
| स्वदेशी के स्वाभिमान से ओत प्रोत भारत के महा संगणक यंत्र " परम
१०००० " के निर्माण के जनक विजय भटकर (मूल पढ़ाई मराठी ) की कथा सभी
भारतियों को ज्ञात है, उनके लिए प्रेरक है | इतने सारे उदाहरण देने के
पीछे एक ही कारण है वह यह की भारत में तकनीकी का जितन विकास हो रहा है
वह सब स्वदेशी के बल से हो रहा है, स्वदेशी आग्रह से हो रहा, स्वदेशी
गौरव एवं स्वदेशी अभिमान के साथ हो रहा है | नवीन तकनीकी हमको कोई ला
कर नहीं देने वाला, विदेशी देश हमे यदि देती है तो अपनी २० वर्ष
पुरानी तकनीकी जो उनके देश में अनुपयोगी, फैकने योग्य हो चुकी है |
इसके उदाहरण है जैसे कीटनाशक, रसायनिक खाद निर्माण की तकनीकी स्वयं
अमेरिका में बीस वर्ष पूर्व से जिन कीटनाशकों का उत्पादन एवं विक्रय
बंद हो चुका है एवं उनके कारखाने उनके यहाँ अनुपयोगी हो गए है |
अमेरिका १४२ विदेशी कंपनियों के इतने गहरे गहरे षड्यंत्र चल रहे है
इन्हें समझना हम प्रारंभ करे अपनी आंखे खोले, कान खोले दिमाग खोले एवं
इनसे लड़ने की तैयारी अपने जीवन में करे भारत स्वाभिमान इसी के लिए
बनाया गया एक मंच है जो इन विदेशी कंपनियों की पूरे देश में पोल खोलता
है एवं पूरे देश को इनसे लड़ने का सामर्थ्य उत्पन्न करता है | हमे इस
बात का स्मरण रखना है की इतिहास में एक भूल हो गई थी जहांगीर नाम का
एक राजा था उसने एक विदेशी कंपनी को अधिकार दे दिया था इस देश में
व्यापार करने का परिणाम यह हुआ की जिस कंपनी को जहांगीर ने बुलाया था
उसी कंपनी ने जहांगीर को गद्दी से उतरवा दिया एवं वह कंपनी इस देश पर
अधिकार कर लिया ०६ लाख ३२ सहस्त्र ०७ सौ इक्यासी (६,३२,७००)
क्रांतिकारियों ने अपने बलिदान से उन्हें भगाया था |
सम्बंधित लेख - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
भोजन की बात करें तो हम इतने भाग्यशाली है
कोई दूसरा देश...
दोपहर की शादी में थ्री पीस सूट स्वीकार, भले
ही चर्म रोग क्योँ न हो
भारत में ७ लाख ३२ हज़ार गुरुकुल एवं विज्ञान
की २० से अधिक शाखाएं थीं
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
आवश्यकता अविष्कार की जननी है हमे जिसकी आवश्यकता थी हमने उसका
अविष्कार किया विश्व के देशों में जो दवाईयां २०-२० वर्षों से बंद हो
गई है जिन्हें 'क', 'ख', 'ग' वर्गीय विष (ए,बी,सी, क्लास ) जो बहुत ही
भयंकर विष है ऐसी दवाईयां ला कर विदेशी कंपनियां भारत में विक्रय करती
है ऐसी ५ सहस्त्र दवाइयों की हमने सूची बनाई है जिनमें से कुछ
औक्सिफन बुटाजोंन, फिनाइल बुटाजों, एक्टइमाल, एल्जिरिअल, बूटा
कार्दिडान, बूटा प्रोक्सिवान ये सात दवाएँ है जो ब्रिटेन में
पश्चिमी जर्मनी, फ्रांस, ईटली, फिनलैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया,
न्यूजीलैंड, मलेशिया, इज़राइल, जॉर्डन एवं हमारे पड़ोसी बंगलादेश तक में
पिछले २० वर्षों से प्रतिबंधित है | जब यह सहस्त्रों करोड़ो रूपये
लूटती है उसका बहुत दुःख होता है १९४७ तक मात्र १० करोड़ रु. की दवाएँ
विक्रय करते थे आज ७० सहस्त्र करोड़ रु से भी अधिक की दवाएँ विक्रय
करते है जिनमें से अधिकांश की तो हमे आवश्यकता ही नहीं है जस्टिस हाथी
कमीशन ने स्पष्ट रूप से कहा था की भारत में जितने भी रोग है उनके
निवारण हेतु एलोपेथी की मात्र ११७ प्रकार की दवाइयों की आवश्यकता है
परंतु आज देश में ८४,००० (84,000) प्रकार की दवाइयों का विक्रय हो रहा
है|
अत: हम सबको यह लूट समझनी होगी एवं इस मकडजाल से बहार निकलना होगा,
समझना होगा - हम प्रातः आँख खुलते ही हम उनके चंगुल में फंस चुके होते
हैं बस सवेरा हुआ हम इन कंपनियों द्वारा निर्मित ब्रुश, टूथपेस्ट
हमारे हाथों में आ जाते हैं फिर साबुन हैं क्रीम हैं ब्लेड हैं तरह
तरह के सौंदर्य प्रसाधन हैं लगभग हम शरीर की सफाई ही प्रारंभ करते हैं
इन कम्नियों के द्वारा बनाये गए सामानों से आज भारत की अर्थव्यवस्था
पूरी तरह से उन कंपनियों की गुलाम बन चुकी है ...
अधिक जानकारी के लिए राजीव भारत खंड एवं भारत स्वाभिमान समाचार को पढ़ सकते
हैं!
Share Your View via Facebook
top trend
-
कमाई डीटीसी की, लाभ निजी कंपनियों को ― दिल्ली परिवहन निगम को करोड़ों का चूना
-
कांग्रेसियों ने दिखाए बाबा रामदेव को काले झंडे
पिथौरागढ़ भारत स्वाभिमान यात्रा पर निकले बाबा रामदेव को पिथौरागढ़ जिले में कांग्रेसियों के विरोध का सामना करना पड़ा। बेरीन..
-
गुजरात काँग्रेस के दुष्प्रचार, चुनाव आयोग मे शिकायत दर्ज
गुजरात काँग्रेस अपने ही झूठ के जाल मे फँसती नज़र आ रही है। गुजरात विधानसभा चुनाव मे काँग्रेस द्वारा जारी भ्रामक विज्ञापनो..
-
संघ और भाजपा में दम है तो रोके सांप्रदायिक हिंसा बिल : सलमान खुर्शीद
केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एन.ए.सी) क..
-
अमरनाथ यात्रा रोकने के लिए सरकार ने की जम्मू में धारा १४४ लागू
अपने पूर्व निर्धारित एवं घोषित कार्यक्रम के अनुसार विश्व हिन्दू परिषद् ज्येष्ठ पूर्णिमा अर्थात आज ३ जून से अमरनाथ ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)