मैं जेपी से अमेरिका में १९६८ में मिला था जब वह क्वेकर्स नामक एक अमेरिकी संस्था के प्रायोजित दौरे पर अमेरिका आये हुए थे। ..
श्री अमरनाथ यात्रा अवधि सम्बंधित विवाद पर पूज्य श्री श्री रविशंकर जी का वक्तव्य

मैं श्री अमरनाथ यात्रा पर जाने को आतुर शिवभक्तों को यह स्पष्ट
करना चाहता हू कि हम सब भी यात्रा को ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि से ही
प्रारंभ करना चाहते थे। हमारे ऊपर किसी संस्था अथवा व्यक्ति की ओर से
हमारे ऊपर कोई किसी प्रकार का दबाव नहीं था। यात्रा संचालन में आने
वाली व्यवस्थागत दिक्कतों के कारण ही यह निर्णय लेना पड़ा है। यात्रा
की व्यवस्थाएं देखने के लिए एक उपसमिति का गठन किया गया था जिसमें
मेरे अतिरिक्त जूना पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद जी और स्वामी
ज्ञानानंद जी भी थे।
# Statement on reduced duration of Sri Amarnath Yatra by
Sri Sri
हम सब ने गहन विचार विमर्श किया तथा प्रशासन और सेना द्वारा भी हम को
समक्ष मौसम की परिस्थितियों तथा बर्फ साफ़ करने में लगने वाले समय की
जानकारी दी गई। सब प्रकार की व्यवस्थाओं की यथोचित जानकारी, मौसम की
परिस्थितियों का अध्ययन तथा सहस्त्रों यात्रियों के आने हेतु समुचित
प्रबंधों को देखते हुए ही यह निर्णय लिया गया कि यात्रा को इस वर्ष
जून के अंत में प्रारंभ किया जाए।
आज की परिस्थिति में भी वाहन 5-10 फीट बर्फ जमा है। हम संसाधनों के
अभाव में सहस्त्रों शिवभक्तों की जान खतरे में नहीं डाल सकते थे।
हमारा यह मत था कि यात्रा सुरक्षित तथा आरामदायक होनी चाहिए। इस वर्ष
के लिए शौच तथा चिकित्सा की बेहतर व्यवस्थाएं की गयी हैं। स्थितियां
इतनी खराब हैं कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हर वर्ष पवित्र गुफा पर
होने वाली प्रतीकात्मक पूजा को भी इस वर्ष शेषनाग पर करना पड़ा।
मैंने राज्य सरकार को कहा है कि बालटाल में यात्रा के लिए
मौसम-सापेक्ष पथ का निर्माण किया जाए ताकि आने वाले वर्षों में इस
प्रकार की समस्याएं न आये तथा यात्रा पूरी व्यवस्था के साथ पूरे समय
तक चल सके। हमें दी गई मौसम की जानकारी के अनुसार अभी वहां बहुत बर्फ
जमा है तथा सेना भी उसको हटाने में अक्षम है। वर्तमान परिस्थितयों में
यात्रा आने वालो भक्तों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
मैं जानता हू कि पूर्व के इतिहास के कारण लोगों के मन में संशय
है परन्तु मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हू कि हमारे ऊपर कोई दबाव नहीं
है। यदि किसी प्रकार का दबाव डालने का प्रयास किया भी जाता तो मैं और
बाकि संत कब के इस अमरनाथ बोर्ड से त्यागपत्र दे देते। हमारा मत है कि
जम्मू-कश्मीर की सरकार सही मंशा के साथ सब प्रकार से सहयोग दे रही
है।
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