हिन्दू-राष्ट्र के गौरव क्षत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई का जन्म सन् 1597 ई. में सिन्दखेड़ के अधिपति जाघवराव के यहां हुआ।..
ग्लोबल वॉर्मिग की चक्रीय गति तेज : 15000 पादप प्रजातियां खत्म!

अल्मोड़ा, तो मानवीय चूक ने ग्लोबल वॉर्मिग की चक्रीय गति को तेज
कर दिया है! जी हां, वैज्ञानिकों की शोध रिपोर्ट पर गौर करें तो
वैश्विक चुनौती को इंसान ने ही चौगुना कर दिया है। नतीजतन बेतहाशा
तापवृद्धि व जलवायु परिवर्तन से कुछ ही अंतराल में रबी व खरीफ की फसल
में 50 से 70 फीसद गिरावट आई है। विज्ञानी आगाह करते हैं, यदि हिमालयी
क्षेत्र में तापमान वृद्धि पर जल्द नियंत्रण न किया गया तो 15 वर्ष के
भीतर 10 से 15 वनस्पति प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।
दरअसल, ग्लोबल वॉर्मिग नैसर्गिक प्रक्रिया है। फिलवक्त दुनिया ग्लोबल
वॉर्मिग के पांचवें दौर से गुजर रही है। एक चक्र लाखों साल में पूरा
होता है। मगर मानवीय गतिविधियों मसलन, वनों का अंधाधुंध दोहन,
दावाग्नि व क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सीएफसी) गैसों के बेतहाशा उत्सर्जन
ने चक्रीय गति को काफी बढ़ा दिया है। उत्तराखंड सेंटर ऑन क्लाइमेट
चेंज (यूसीसीसी) के समन्वयक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो.जेएस रावत के
अनुसार तापमान लगातार बढ़ रहा है और यह सिलसिला नहीं थमा तो आने वाले
15 सालों में 10 से 15 फीसद वनस्पतिक प्रजातियां लुप्त हो जाएंगी।
यानी हर साल तापवृद्धि से ही एक प्रजाति इतिहास बनेगी।
प्रो.रावत इस चुनौती से पार पाने को भू-गणित के अध्ययन की वकालत भी
करते हैं, ताकि पर्यावरण को मजबूत कवच मिल सके। बकौल प्रो.रावत तापमान
वृद्धि के लिए अकेली कार्बन गैस जिम्मेदार नहीं है। मानव जनित करीब
दर्जन भर क्रियाकलाप जलवायु परिवर्तन में नकारात्मक रोल अदा रहे हैं।
भूगर्भीय प्लेटों से भी तापवृद्धि विज्ञानियों के मुताबिक भूगर्भीय
प्लेटों के खिसकने से भी गर्मी बढ़ती है। यही नहीं पृथ्वी के घूमते
वक्त आकार में परिवर्तन अर्थात कभी अंडाकार तो कभी वृत्ताकार रूप में
आने आदि कारण भी तापमान वृद्धि में सहायक साबित होते हैं। पर्यावरणीय
आघात से मानवीय मनोविज्ञान प्रभावित जलवायु परिवर्तन में क्लाइमेट शॉक
यानी पर्यावरणीय आघात भी पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहा है। इससे फसल
चक्र व मानवीय मनोविज्ञान एवं पेड़-पौधे भी प्रभावित हो रहे हैं।
वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो.जेएस रावत का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को
सही परिपेक्ष्य में समझना होगा और जियोग्रेफिक इनफॉर्मेशन सिस्टम
(जीआईएस) व जियोग्रेफिक पोर्टल सिस्टम (जीपीएस) पर आधारित शोध की महती
जरूरत है। अमूमन विश्व के ज्यादातर वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन को
ग्लोबल वॉर्मिग से जोड़ते हैं। मगर इसके हर पहलू को सही परिपेक्ष्य
में समझना होगा। हिमालयी क्षेत्र में .74 डिग्री तापमान में वृद्धि
तथा रात में तापमान शून्य तो दिन में एकाएक 26 डिग्री के पार पहुंचना
भी कहीं न कहीं पर्यावरणीय खतरे के प्रति आगाह करता है।
दीप सिंह बोरा, जागरण
Share Your View via Facebook
top trend
-
जीजाबाई जैसी मां मिलीं तो देश को शिवाजी मिले
-
इचलकरंजी में सेवा भारती के आरोग्य और शिक्षा प्रकल्प
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में, इचलकरंजी क्षेत्र के पिछड़े वर्ग क..
-
सोनिया गांधी ने राजीव गांधी द्वारा घूस में लिए गए पैसे को... : सोनिया गांधी का सच
जब श्वेजर इलस्ट्रेटे ने यह आरोप लगाया कि सोनिया गांधी ने राजीव गांधी द्वारा घूस में लिए गए पैसे को राहुल गांधी के खाते म..
-
स्वामी की याचिका पर चिदंबरम को कोर्ट से झटका : 2G स्पेक्ट्रम घोटाला
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में वित्त मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारी और सीबीआई अधिकारी को बतौर गवाह कोर्ट में १७ दिसंबर को पेश होन..
-
नरेन्द्र मोदी की और कितनी अग्नि परीक्षाएं?
पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं। किनारे पर खड़े रहने वाले कभी नहीं डूबते। लेकिन किनारे पर खड़े रहने वाले लोग कभी तैरना ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)