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राष्ट्र विरोधी वक्तव्य पर अबू आज़मी को २ वर्ष का कारावास

समाजवादी पार्टी विधायक अबू आजमी को मुंबई की एक अदालत ने भड़काऊ
भाषण देने का दोषी करार दिया है। इस्लाम के नाम पर देश को बाँटने की
कोशिश करने वालों के मुँह पर करारा तमाचा जड़ते हुए मझगांव न्यायालय ने
आजमी को दो वर्ष कारावास के साथ-साथ 11 हजार (सहस्त्र) रुपये जुर्माने
की सजा सुनाई है। हालांकि आज़मी को सेशन कोर्ट (सत्र न्यायालय) में
अपील करने हेतु 30 दिन का समय दिया गया है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2000 में नागपाड़ा में सपा विधायक अबू आजमी ने अपने
राष्ट्र विरोधी बयान (वक्तव्य) में कहा था कि यदि मुस्लिमों को हाथ
लगाने की ज़ुर्रत की तो खून की नदियां बहा दी जाएंगी। चाहे हिंदुस्तान
के दो टुकड़े क्यों ना हो जाएँ। इस निंदनीय वक्तव्य के चलते उक्त
क्षेत्र मे सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी।
गौरतलब है कि ये वही अबू आज़मी हैं जो बाटला हाउस मे मारे गए आतंकवादी
के परिवार से सहानुभूति व्यक्त करने पहुँच गए थे। ऐसे मे न्यायालय का
यह फैसला स्वागतयोग्य है। यह फैसला किसी व्यक्ति विशेष के ही नहीं
अपितु उस सम्पूर्ण विकृत मानसिकता के खिलाफ है जो इस्लाम के नाम पर
नफरत को बढ़ावा देती है। अबू आज़मी जैसे लोग भारतीय मुस्लिमों के हितैषी
बने फिरते हैं किन्तु उन्हे देश की मुख्य धारा मे शामिल नहीं होने
देना चाहते। ये नहीं चाहते कि आम मुस्लिमों मे भारत के प्रति देशभक्ति
की भावना जाग्रत हो और वह स्वावलंबी बनकर राष्ट्र के विकास मे योगदान
दे। यह नफरत से भरी एक गहरी साजिश है ताकि मुस्लिम कौम अबू आज़मी जैसे
कठमुल्लों और आतंकवादियों के इशारों पर नाचते फिरें।
ऐसा भी नहीं है कि सभी भारतीय मुस्लिम इनके बहकावे मे आ जाते हैं
किन्तु कुछ लोग.... खासकर युवा वर्ग ऐसे कठमुल्लों के झांसे मे आकर
आतंक का रास्ता अपना लेते हैं और अंततः हजारों निर्दोषों की हत्या और
खुद की तथा अपने परिवार की बरबादी का कारण सिद्ध होते हैं। आज भारतीय
मुस्लिम समाज को डॉक्टर कलाम या वस्तानवी जैसे व्यक्तियों की आवश्यकता
है, नफरत का जहर घोलने वाले आज़मी या सर्वोच्च न्यायालय के सामने
तिरंगा जलाकर राष्ट्र का अपमान करने वाले शाहबुद्दीन की नहीं।
आशा है कि न्यायालय का फैसला अबू आज़मी जैसे राष्ट्रद्रोही तत्वों के
लिए एक कड़ा सबक साबित होगा।
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