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केंद्रीय बजट की सात फीसद राशि सीधे पंचायतों को दी जाये - केएन गोविंदाचार्य
राजनीतिक दलों पर पंचायतों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए
चिंतक और राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक गोविंदाचार्य ने कहा कि संघीय ढांचा तभी मजबूत
होगा जब लोकतंत्र के सबसे निचले निकाय को सशक्त बनाया जाएगा.
जंतर- मंतर पर आंदोलन के तत्वावधान में आयोजित धरने को संबोधित करते हुए
गोविंदाचार्य ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था पेश किए जाने के बाद से
पिछले 20 वर्षो में सभी राजनीतिक दलों ने पंचायतों को पूर्ण अधिकार
सम्पन्न बनाने की प्रतिबद्धता को नजरअंदाज किया है.
उन्होंने पंचायतों के सशक्तिकरण, अविरल व निर्मल गंगा, राजनीतिक चुनाव
सुधार तथा भ्रष्टाचार एवं कालाधन के विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए
देशव्यापी अभियान चलाने की भी घोषणा की. गोविंदाचार्य ने कहा कि
पंचायतों को केंद्रीय बजट का सात प्रतिशत प्रदान करने की पहल की जानी
चाहिए.
केंद्रीय बजट यदि 2.5 लाख करोड़ का है और देश में 2.5 लाख गांव हैं.
इस हिसाब से प्रत्येक पंचायत के खाते में 30 लाख रुपए आएंगे. गांवों
से बड़े पैमाने पर पलायन के लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. देश
के 5 हजार शहर व 75 हजार गांवों में भारत की 80 करोड़ आबादी रहती है.
शेष देश के पिछड़े पांच लाख गांवों में 40 करोड़ लोग रहते हैं.
सरकार पलायन रोकने की बात करती है लेकिन भूमि अधिग्रहण के नाम पर
लोगों को उजाड़ रही है. भारत के अलावा दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है
जहां सदियों से गांवों में आधारभूत ढांचे का विकास नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में निवेश नहीं बढ़ रहा है और खेती के
प्रति लोगों की रुचि घटती जा रही है. पिछले 20 वर्षो से यह बात चल रही
है कि पंचायतों को वित्तीय अधिकार प्रदान किए जाएं लेकिन यह बात
चर्चाओं तक ही सीमित है.
राजनीतिक दल सत्ता पर काबिज होने वाले गिरोह बनकर रह गए हैं. पंचायतों
के सशक्तिकरण, अविरल व निर्मल गंगा, राजनीतिक चुनाव सुधार व
भ्रष्टाचार एवं कालाधन के विषय पर जागरूकता फैलाने का अभियान चलाया
जाएगा.
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