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राम सेतु पर डा. स्वामी की याचिका : वैकल्पिक नौवहन मार्ग पर शीर्ष न्यायालय ने मांगी रिपोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को देश के दक्षिणी भाग के चारों ओर राम
सेतु की बजाय धनुष्कोडी के जरिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाने की संभावना
पर प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को उसके
सामने पेश करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एच एल दत्ता और सी के प्रसाद की पीठ ने सरकार को
जाने-माने पर्यावरणविद् आर के पचौरी की अध्यक्षता वाली समिति की
रिपोर्ट को विभिन्न पार्टियों को भेजने को भी कहा है।
अदालत ने रिपोर्ट पर विचार के लिए मामले को २३ मार्च तक के लिए
मुल्तवी कर दिया।
प्रधानमंत्री ने जुलाई २००८ में पचौरी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय
समिति का गठन किया था। इस समिति का गठन २२४० करोड़ रुपये के
विवादास्पद सेतु समुद्रम शिपिंग चैनल प्रोजेक्ट (एसएससीपी) के समाधान
के लिए किया गया था।
एसएससीपी में उथले सागर और 'रामार सेतु' और एडम्स ब्रिज के नाम से
पहचाने जाने वाले द्वीपों की श्रृंखला के जरिए एक नौवहन मार्ग बनाकर
भारत और श्रीलंका के बीच पाल्क खाड़ी और मन्नार की खाड़ी को जोड़ने का
प्रस्ताव है।
प्रोजेक्ट को २००५ में हरी झंडी दिखाई गई लेकिन बाद में राम सेतु के
नष्ट होने के फैसले को लेकर इसका विरोध शुरु हो गया। माना जाता है कि
इस सेतु को श्रीराम ने श्रीलंका पहुंचने के लिए बनाया था।
कई याचिकाओं में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इसका विरोध किया गया। इनमें
से अधिकतर याचिकाओं को मद्रास उच्च न्यायालय से शीर्ष अदालत भेजा गया
था।
२१ अप्रैल २०१० में उच्चतम न्यायालय ने एसएससीपी पर अस्थायी रोक लगा
दी। अदालत ने कहा कि इसे राम सेतु की बजाय धनुष्कोडी से वैकल्पिक
मार्ग की संभावना पर पर्यावरणीय लिहाज से 'पूरे और विस्तृत' विश्लेषण
का इंतजार करना होगा।
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