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अन्ना का अनशन 'सांप्रदायिक शक्तियों' को मजबूत करने का षड़यंत्र - जमियत-ए-उलेमा हिंद

मुस्लिमों की शीर्ष संस्था जमियत-ए-उलेमा हिंद खुल कर अन्ना के
विरोध में सामने आ गयी है | संस्था ने अन्ना हजारे के मंगलवार से शुरू
हो रहे तीन दिवसीय अनशन को साम्प्रदायिक शक्तियों का षड़यंत्र बताया है
और कहा है कि यह उन्हें मजबूत करेगा | संस्था ने कहा कि वैसे तो वो
भ्रष्टाचार के विरुद्ध है पर अन्ना के अनशन का विरोध इसलिए कर रही है
क्योंकि उसे विश्वास है कि इससे 'सांप्रदायिक शक्तियाँ' प्रबल होकर
उभरेंगी | कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह के सुर में सुर मिलाते
हुए संस्था ने कहा कि अन्ना हजारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
तत्वाधान में कार्य कर रहे हैं | ये सभी बातें संस्था के महराष्ट्र
प्रदेश महासचिव मौलाना हलिमुल्लाह काजमी ने कही |
मौलाना ने कहा कि पहले के अनुभव रहे हैं कि जब भी किसी
"धर्मनिरपेक्ष सरकार के विरुद्ध" कोई राष्ट्रव्यापी
आन्दोलन हुआ है, तब "सांप्रदायिक शक्तियाँ" सत्ता में आई हैं | मौलाना
ने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार मुस्लिमों की
दशा सुधारने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है अतः ऐसे आंदोलनों से
मुस्लिमों को दूर रहने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसा करने से कांग्रेस
सरकार कमज़ोर होगी और 'सांप्रदायिक शक्तियों' को सहायता मिलेगी |
इसी बीच मुस्लिमों की एक और महत्वपूर्ण संस्था ऑल इंडिया उलेमा कौंसिल
ने कहा है कि वह इस विषय पर अपना मत मंगलवार को ही स्पष्ट करेगी |
सोमवार को अरविन्द केजरीवाल के घर हुई मुस्लिम संगठनों की बैठक में
दोनों संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे |
ज्ञात हो कि पहले जामा मस्जिद के इमाम सैयद बुखारी भी भारत के
मुस्लिमों को इस आन्दोलन से इसलिए दूर रहने को कहा था कि यह
इस्लाम-विरोधी है क्योंकि इसमें भारत माता की जय एवं वन्दे मातरम के
नारे लगते हैं | तब अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी बुखारी की मान
मनौव्वल के लिए गए थे | कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के अतिरिक्त
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ मुस्लिम नेता आज़म खान ने भी यही सारे आरोप
अन्ना हजारे पर लगाये हैं |
आईबीटीएल दृष्टिकोण : धर्मनिरपेक्षता और
साम्प्रदायिकता का रोना रोकर राष्ट्रीय आंदोलनों में शामिल न होना और
यहाँ तक कि उनका विरोध भी करना कुछ मौलानाओं एवं कुछ मुस्लिम संस्थाओं
का इतिहास रहा हैं | यह विरोध भी "हम पहले मुस्लिम हैं, बाद में
भारतीय" की हीन मानसिकता को उजागर करता है | इन संस्थाओं के कृत्य तो
शर्मनाक हैं ही, इनके तुष्टिकरण में लगे इंडिया-अगेंस्ट-करप्शन के
सदस्यों के इमाम बुखारी की चापलूसी करने जाना और संघ से दूरी सिद्ध
करने के लिए धरती-आकाश एक कर देना भी अल्पसंख्यक-तुष्टिकरण की उसी
घातक कांग्रेसी मानसिकता का पोषण करना है जो एक बार देश का विभाजन
करवा चुकी है | संघ पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाने वाले ये
भूल जाते हैं कि १० वर्षों से संघ का मुस्लिम संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय
मंच मुस्लिम युवाओं को जोड़ कर राष्ट्र की मुख्यधारा में ला रहा है और
उन्हें राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में लगा रहा है | पढ़ें यहाँ: (१)
आर.एस.एस का असर - कश्मीरी मुस्लिम चाहते हैं हटे
३७०, भारत में मिले पाक और चीन के कब्जे वाला कश्मीर (२).
मुस्लिम युवाओं की पसंद बन रहा है आरएसएस का मुस्लिम
मंच - २७ राज्यों के २०० जिलों में पकड़
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