मुंबई एयरपोर्ट पर 9/11 की तर्ज पर हमले की आशंका से जुड़ी खुफिया चेतावनी के बाद महाराष्ट्र के सभी हवाई अड्डों की सुरक्..
अगर अन्ना को संघ से जोड़ें, तो क्या राहुल गाँधी को अपराधी मान लें
आर.एस.एस. को स्वघोषित परिभाषा के अनुसार सोचने वाले व्यक्तियों का एक समूह, (जो संघ का मात्र इस हेतु से प्रतिकार करता है क्यों कि उसके वैचारिक दृष्टिकोण के उत्तर इस समूह के पास नही होते) अब एक ठहाका लगाने योग्य प्रमाण को ले कर अन्ना को संघ के साथ संबंधित करना चाहता है। किंतु यदि ये मान भी लिया जाये कि दो व्यक्तियों की फोटो एक साथ होने के कारण दोनो के वैचारिक दृष्टिकोण आपस मे मिलते हैं तो इस तर्क से राहुल गांधी की फोटो जो कि एक अपराधी के साथ (समाचार स्त्रोत : स्टार न्यूज़) थी, स्वयं मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और उनके दलों के सभी राष्ट्रभक्तों की फोटो नारायण दत्त तिवारी जी के साथ भी उपलब्ध है (क्या ये माना जाये कि वो भी नारायाण दत्त तिवारी की तरह अपने पद और शक्ति का उपयोग करते हैं)
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
In Eng : If Anna's of RSS, shall Rahul Gandhi be deemed a
criminal?
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
राजीव गांधी व सोनिया गांधी की फोटो क्वात्रोचि के साथ उपलब्ध (?)
हो सकती है, और सिर्फ फोटो ही क्यों, कांग्रेस के एक विधायक की तो १३९
सीडी भंवरी देवी के साथ उपलब्ध है तो क्या कांग्रेस के समस्त आंदोलनो
के लक्ष्य भी उस सीडी के आधार पर घोषित कर दिया जाये? और फोटो सिर्फ
आज की राजनीतिज्ञों की ही नही, वरन जवाहर लाल नेहरू की लेडी माउंट
बेटेन के साथ फोटो पत्रों के साथ उपलब्ध है, या फिर एक बार संपूर्ण
संसद की फोटो ली जाये, और सभी पक्ष विपक्ष को एक ही थाली के चट्टे
बट्टे घोषित कर देना चाहिये, क्योंकि वो सभी फोटो मे एक साथ हैं।
राजनैतिक शालीनता की सीमाओं का उल्लंघन कर के इस प्रकार के आरोप और
भाषा (बेनी प्रसाद वर्मा व मनीष तिवारी) से सत्ताओं पर विराजमान या
समर्थक समूहों का आचरण निंदनीय है, जो अन्ना को यह कहते हैं कि
संविधान बदलने का अधिकार उनका है वह पहले भी कई बार संविधान में अपनी
सुविधा और सत्ता सुख को निरंतर बनाये रखने के लिये संशोधन कर चुके
हैं। किसी भी प्रकार से आंदोलन को तोडने का जो विकट परिश्रम जारी है,
क्या यह परिश्रम राष्ट्रहित के कार्यों मे लगाने मे कष्ट होता है?
# बाएं मुलायम सिंह नानाजी देशमुख के साथ | दायें दिग्विजय सिंह
(नकारात्मक बोलने वाले) नानाजी देशमुख के साथ
जो व्यक्ति अन्ना की फोटो दिवंगत नानाजी देशमुख के साथ होने पर प्रश्न
खडा करते हैं क्या वह अपनी फोटो के भी नाना जी देशमुख के साथ होने पर
स्वयं के ऊपर भी वही प्रश्न चिह्न लगायेंगे जो वो अन्ना के ऊपर लगा
रहे हैं?
— किशोर बड़थ्वाल (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, यह उनके व्यक्तिगत
विचार हैं)
Share Your View via Facebook
top trend
-
9/11 जैसा खतरा: मुंबई में मिसाइलें तैनात, वायुसेना-नौसेना भी तैयार
-
कनॉट प्लेस के खुले हुए मेनहोल, कीचड़ से सना गलियारा, हल्की बारिश में जमा पानी : राष्ट्रमंडल खेलों का काम अब भी जारी
अगले साल लंदन में संपन्न होने वाले ओलंपिक खेल आयोजन से संबंधित एक रिपोर्ट वास्तव में हमें आईना दिखाने के लिए काफी है। इस र..
-
ब्रेनवाश के कारण रोबोट की तरह किया काम : अजमल कसाब
मुंबई हमला मामले में मौत की सजा पाए आतंकवादी अजमल आमिर कसाब ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि घृणित अपराध को अंजाम देने के..
-
कांग्रेस की चली तो अब भारत से गौ-मांस का निर्यात कानूनी रूप से होगा, वीएचपी का मुखर विरोध
जैसे आकाश का ओर-छोर नहीं होता, पाताल की गहराई नापी नहीं जा सकती, उसी प्रकार लगता है कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सर..
-
यह गरीब नहीं, ढोर होने का पैमाना है : डॉ. वेदप्रताप वैदिक
अगर किसी की गरीबी तय करने का पैमाना सिर्फ यही है कि वह रोज़ाना कितना खर्च करता है तो हमारे देश में सबसे ज्यादा गरीब तो न..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)