गुलामी नए रूप में : आज चारों ओर घन अन्धकार है एक समाज नहीं एक देश नहीं समुची मानवता एवं समूची प्रकृति के ..
अन्ना ने कहा ६५ वर्ष बाद किसान आत्महत्या करते हैं, सरकार चिंतित है तो एफडीआइ से पहले उनका कुछ करे
जनलोकपाल बिल और भ्रष्टाचार विरोध की नई जंग छेड़ने का आह्वान कर
चुके अन्ना हजारे ने सरकार के खिलाफ बुधवार को नया मोर्चा खोल दिया।
खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले की आलोचना करते
हुए हजारे ने कहा, यह देशवासियों को गुलामी की तरफ ले जाएगा और सरकारी
दावों के विपरीत इससे किसानों को फायदा नहीं होगा।
अन्ना हजारे ने बुधवार को रालेगण सिद्धि में बुधवार को संवाददाता
सम्मेलन में कहा, को लेकर पिछले कई दिनों से संसद ठप है, छोटे
कारोबारी परेशान हैं। अगर लोग कह रहे हैं कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
नहीं होना चाहिए तो आखिर क्यों आप जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा,
ब्रिटिश व्यापार के लिए भारत आए और दो सौ साल से ज्यादा समय तक हम पर
राज किया, हमें गुलाम बनाया। क्या आप इसकी पुनरावृत्ति चाहते हैं।
हजारे ने कहा, विदेशी निवेशक आब- ओ-हवा बिगाड़ देंगे।
सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। गांधीवादी नेता ने कहा, अगर सरकार
किसानों के कल्याण को लेकर इतनी ही गंभीरता बरतती तो आजादी के 65 साल
बाद भी किसान आत्महत्या नहीं करते। उन्होंने कहा, वह इस मुद्दे पर
राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति की हिमायत करते हैं।
साभार दैनिक जागरण
Share Your View via Facebook
top trend
-
फुटपाथ पर जीने वाले लोगों की संख्या, विदेशी कंपनियों के कारण बढ़ रही है
-
तेल-आधारित अर्थव्यवस्था का विकल्प सोचना ही होगा
अब यह कहना कि भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्णतः कच्चे तेल पर आधारित हो चुकी है बिलकुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगा ! मशीनीकरण के इ..
-
नरेन्द्र मोदी की और कितनी अग्नि परीक्षाएं?
पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं। किनारे पर खड़े रहने वाले कभी नहीं डूबते। लेकिन किनारे पर खड़े रहने वाले लोग कभी तैरना ..
-
पर्दा पर्दा बेपर्दा : फतवा, मुस्लिम वर्ग और लोकतंत्र
प्रायः मुस्लिमों के द्वारा यह पंक्तियाँ अक्सर सुनने में आती हैं कि जर, जोरु और जमीन हमेशा पर्दे में रहनी चाहिये। जर अर्थ..
-
नक्सली हमले में 11 पुलिसकर्मी शहीद
रायपुर, 20 अगस्त : छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में शुक्रवार शाम नक्सली हमले में 11 पुलिस कर्मियों के शहीद होने की सूचना है। ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)