राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ बयानबाजी के लिए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के खिलाफ स्थानीय कोर्ट में मानहान..
टीम अन्ना के एक और सहयोगी मेधा पाटकर ने अलगाववादियों के सुर में सुर मिलाकर गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पाटकर ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफास्पा) को कश्मीर समस्या की जड़ करार दिया है। इससे पहले प्रशांत भूषण ने पाकिस्तानी सरकार के रुख की हिमायत करते हुए कहा था कि कश्मीर की जनता अगर जनमत के जरिए विभाजन के पक्ष में फैसला करती है तो उसे देश से अलग कर देना चाहिए। विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने रविवार को कवयित्री व आंदोलनकर्ता इरोम चानू शर्मीला के छेड़े गए अभियान के तहत अफास्पा हटाने के लिए श्रीनगर में रैली निकाली, जिसमें करीब साठ लोगों ने हिस्सा लिया।
इस पहले लाल चौक स्थित प्रेस कॉलोनी में धरना भी दिया गया। पाटेकर ने कहा कि इस कानून के कारण लोगों का लोकतंत्र से विश्वास उठ चुका है। जब तक यह कानून रहेगा तब तक राज्य में शांति बहाल नहीं हो सकती। इस कानून से लोग दहशत में हैं। वह खुलकर सांस नहीं ले पा रहे हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए कि इन कानूनों को हटाकर लोगों को आजादी से सांस लेने दी जाए। तभी यहां के लोगों के दिल जीते जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर एक जटिल समस्या है। इसके लिए अफास्पा को हटाना जरूरी है। मणिपुर, पंजाब, असम व जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस कानून का खामियाजा भुगतना पड़ा है। कश्मीर समस्या सियासी ढंग से ही हल की जा सकती है।
कश्मीर में जनमत संग्रह के बारे में उन्होंने कहा कि हम यहां अफास्पा हटाने की मांग लेकर आए हैं। फिलहाल हमें इसी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य प्रशांत भूषण के कश्मीर पर दिए गए बयान पर पाटकर ने कहा कि यह उनकी निजी राय है। केंद्र को कश्मीर समस्या से संबंधित रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि वार्ताकारों की सिफारिशों के साथ केंद्र को कश्मीरियों की सिफारिशों पर भी गौर करना चाहिए। कश्मीरी अफास्पा हटाने की सिफारिश कर रहे हैं। सरकार को जनशक्ति को ध्यान में रखते हुए अफास्पा हटाना ही होगा।
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