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32 रुपये खर्च की गरीबी रेखा इतनी बेतुकी भी नहीं : मोंटेक

32 रुपये रोजाना खर्च की गरीबी रेखा पर हो रही आलोचनाओं के बीच योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने फिर इसका बचाव किया है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में शहर में रोजाना 32 रुपये और गांव में 26 रुपये खर्च करने वाले को गरीब नहीं माना है। उसी हलफनामे के संदर्भ में अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती को लिखे पत्र में आहलूवालिया ने कहा है कि अपने देश की परिस्थितियों में 32 रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से पांच व्यक्तियों के परिवार के लिए 4824 रुपये का मासिक खर्च पर्याप्त तो नहीं, लेकिन बेतुका भी नहीं कहा जाएगा।
आयोग की गरीबी रेखा की आलोचना पर आहलूवालिया ने कहा, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ग्रामीण इलाकों के लिए 3905 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 4824 रुपये की गरीबी रेखा को क्रूर मजाक बताया है। दरअसल वे इस मासिक आमदनी को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन में तब्दील करके देख रहे हैं, जो 32 रुपये और 26 रुपये बैठ रही है। उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा का मतलब ही है कि उसके नीचे रहने वाले के लिए स्थितियां सुविधाजनक नहीं होंगी। आयोग द्वारा गरीबी को कम करके आंकने के राज्यों के आरोप पर उन्होंने कहा कि कई राज्यों में गरीबों की वास्तविक संख्या से ज्यादा बीपीएल कार्ड जारी किए गए हैं। जबकि कई जरूरतमंदों को कार्ड नहीं दिए गए हैं।
मालूम हो कि गैर सरकारी संस्था राइट टू फूड कैंपेन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सरकार की गरीबी रेखा को चुनौती दी है। इसी याचिका के संदर्भ में योजना आयोग ने हलफनामा दायर किया है, जिस पर विवाद उठा है। इस मामले में अटार्नी जनरल वाहनवती आयोग की पैरवी कर रहे हैं।
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