सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म ३१ अक्तूबर वर्ष १८७५ को गुजरात के बोरसद तालुक के एक गाँव करमसद में हुआ था | वल्लभभाई के पिता ..
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, अन्ना पर जमकर बरसे राहुल गांधी
जन लोकपाल कानून के लिए अन्ना हजारे के नए रुख से कांग्रेस हैरान है तो बेहद नाराज भी। अभी हिसार और बाद में उत्तर प्रदेश समेत पांच चुनावी राज्यों में कांग्रेस को वोट न देने की अन्ना की अपील को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकार और संगठन ने तुरंत पलटवार भी कर दिया।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी खुद मैदान में उतरे और दो टूक कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई सिर्फ राजनीतिक और लोकतांत्रिक तौर-तरीकों से ही लड़ी जा सकती है। वहीं कांग्रेस ने अन्ना को भाजपा के साथ बताने और उनकी नीयत पर सवाल उठाने के साथ ही आगाह किया कि वह सरकार का भरोसा न तोड़ें और राजनीतिक एजेंडा चलाने की कोशिश न करें।
कांग्रेस और सरकार में अन्ना के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया के दो प्रमुख सबब थे। एक तो खुलकर अन्ना ने पहली बार कांग्रेस को वोट न देने का संदेश जारी किया। दूसरे, उन्होंने राहुल गांधी की राजनीति के लिहाज से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले अनशन का एलान किया है। यही कारण है कि दिल्ली में युवाओं के बीच राहुल गांधी ने टीम अन्ना के नए आंदोलन की शुरुआत से पहले ही प्रहार किया।
संसद में पहले ही टीम अन्ना के तौर-तरीकों पर कठोरता से प्रहार कर चुके राहुल गांधी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई सिर्फ राजनीतिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही लड़ी जा सकती है। लोकतांत्रिक तरीके से तैयार प्रणाली ही भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से लड़ सकती है। इससे पहले कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन और महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने अन्ना को ताकीद की कि उन्होंने जब कहा कि उनकी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है तो हमने भरोसा किया। नेक इरादे से उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं उनका राजनीतिक कारणों से दुरुपयोग नहीं होने देना चाहिए।
सरकार की नीयत पर सवाल उठाए जाने पर द्विवेदी ने अन्ना को नसीहत दी कि हजारे को लोकपाल मुद्दे पर राष्ट्र के सामूहिक विवेक पर भरोसा रखना चाहिए, जिसका प्रतिनिधित्व संसद करती है। लोकपाल जब भी आएगा यह मजबूत और कारगर होगा। इस मुद्दे पर पहले से कोई धारणा तय कर लेना सही नहीं है। केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने बेहद विनम्रता के साथ अन्ना को भाजपा के साथ खड़ा कर उनके एजेंडे को राजनीतिक करार दे दिया।
उन्होंने कहा कि भाजपा तो पहले से ही हमारे खिलाफ थी, अब अन्ना भी हो जाएं तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने अन्ना से अधीर न होने का आग्रह किया और कहा कि शीतकालीन सत्र में विधेयक आने पर पहले से ही कोई धारणा बना लेना कतई ठीक नहीं होगा।
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने अन्ना के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक करार देते हुए कहा कि अन्ना कह रहे हैं कि अगर शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक पारित नहीं होगा तो वह कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे, लेकिन वह खुद उस समय का इंतजार नहीं करना चाहते।
Share Your View via Facebook
top trend
-
१३६ वें जन्म दिवस पर सरदार वल्लभ भाई पटेल को शत शत वंदन
-
शहीद खुदीराम बोस के जन्मदिवस पर शत शत नमन, जिन्हें १८ वर्ष की आयु में मृत्युदंड मिला
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 ई. को बंगाल में मिदनापुर ज़िले के हबीबपुर गाँव में त्रैलोक्य नाथ बोस के यहाँ हुआ था। खुद..
-
अब नासिर हुसैन के बचाव में आगे आए शाहरुख खान ...
अब बॉलिवुड स्टार शाहरुख खान इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन के .. -
रामदेव अब ग्राम, कस्बों और शहरों की सीमाओं को लांघ महानगरों में : पुणे नागरिक संगठन
भ्रष्टाचार के विरुद्ध एवं काले धन को वापस लाने के विषय पर केंद्र सरकार के विरुद्ध आर पार का युद्ध लड़ रहे बाबा रामदेव की त..
-
'अन्ना का आंदोलन जनता के लिए खतरा, कुछ हजार की भीड़ से नहीं बन सकते जनता की आवाज' : शशि थरूर
जन लोकपाल बिल पर सरकार को झुकाने वाले अन्ना हजारे पर अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने निशाना साधा है। पहली बार सांसद बने..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)