कारगिल और न्योमा वायु पट्टी को उन्नत बनाएगी वायुसेना
जम्मू-कश्मीर के लद्दाख इलाके को नापाक निगाहों से बचाने की कवायद तेज हो गई है। पाकिस्तान और चीन से लगने वाले इस क्षेत्र में अपनी क्षमता को मजबूत बनाने के लिए भारतीय वायुसेना (आइएएफ) कारगिल तथा न्योमा में लड़ाकू और मालवाहक विमानों के परिचालन के लिए वायु पट्टी को उन्नत बनाएगी। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ की बात पिछले दिनों प्रकाश में आई थी।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन ने सोमवार को कहा, रक्षा मंत्रालय ने न्योमा वायु पट्टी के विस्तार को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब इस प्रस्ताव को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की स्वीकृति का इंतजार है। वर्तमान वायु पट्टी के विस्तार से वायुसेना को प्रतिरक्षा और आक्रमण दोनों विकल्पों को मजबूती मिलने का उल्लेख करते हुए
उन्होंने कहा, हम कारगिल पट्टी का भी विस्तार करना चाहते हैं ताकि सभी तरह के विमानों का परिचालन संभव हो सके। ब्राउन ने कहा कि इन दोनों वायु पट्टियों पर सी 130जे और सी 17 जैसे सभी प्रकार के आधुनिक मानवाहक विमानों का परिचालन हो सके, इसके लिए काफी काम किए जाने की जरूरत है।
इसके साथ ही आने वाले समय में इन पर लड़ाकू विमानों के परिचालन की भी योजना है। ब्राउन ने सालाना वायुसेना दिवस के मौके पर संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, जहां तक न्योमा वायु पट्टी का प्रश्न है, हम 12 हजार फुट का रनवे तैयार करना चाहते हैं और इतना स्थान उपलब्ध होने से सभी तरह के विमानों का परिचालन संभव हो सकेगा, जिसमें लड़ाकू व मालवाहक विमान और हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
कारगिल में इस संबंध में आधारभूत ढांचा उपलब्ध होने के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, जहां तक कारगिल का प्रश्न है, यह छोटी वायु पट्टी है जिसकी लम्बाई छह हजार फुट और चौड़ाई 100 फुट है। हम इस पट्टी से एएन 32 मालवाहक विमान का परिचालन कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि न्योमा और कारगिल वायु पट्टी पर वायु सेना किस प्रकार के लड़ाकू विमानों का परिचालन करना चाहती है, ब्राउन ने कहा, इस विषय में हमारी पहली प्राथमिकता यहां से भारी मालवाहक विमानों का परिचालन करने का है।
इसके बाद हम कुछ लड़ाकू विमानों का परिचालन की क्षमता का विकास करेंगे। सतर्कता बरतें जवान : लद्दाख में चीन की चुनौती का सामना कर रही भारतीय सेना को हर कीमत पर वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। चीनी सेना के लद्दाख के सीमांत इलाकों में लगातार घुसपैठ करने से क्षेत्र के हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इसका जायजा लेने के लिए दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनायक ने जवानों से कहा कि सीमा की गरिमा को कोई ठेस न पहुंचे, इसके लिए कड़ी सतर्कता बरती जाए।
जनरल मंगलवार को विश्व के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर का दौरा कर जवानों का हौसला बढ़ाएंगे। वह क्षेत्र में तैनात सेना की हेलीकॉप्टर यूनिट का निरीक्षण भी करेंगे। उन्होंने चीन से लगते पूर्वी लद्दाख की मौजूदा चुनौतियों व उनसे निपटने के लिए सेना द्वारा की गई तैयारियों के बारे में सेना की 14 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने से जानकारी ली। लेह में अधिकारियों और जवानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लद्दाख के चुनौतीपूर्ण हालात में सेना का ऊंचा मनोबल सराहनीय है। उन्हें पूरा विश्वास है कि जवान सभी मुश्किलों का हिम्मत से सामना करेंगे।
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