राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किस प्रकार व्यक्ति निर्माण का कार्य कर मानवता को नए नए रत्न प्रदान करता है, इसके उदाहरणों की कमी..
हमें कांग्रेस की गलतियों से सीखना है, मध्यावधि चुनाव की तैयारी में भाजपा
केंद्र सरकार में मचे घमासान से उत्साहित भाजपा ने मध्यावति चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सरकार के घमासान को आत्मघाती स्थिति करार देते हुए संगठन व सहयोगियों को मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दो दिनों के मंथन में भाजपा ने अपनी अंदरूनी कमजोरियों को पढ़ते हुए साफ किया कि हमें कांग्रेस की गलतियों से सीखना होगा और एकजुटता व सहयोगियों को साथ लेकर भावी विकल्प के लिए तैयार रहना होगा।
इससे पार्टी ने बैठक से दूर रहे नेताओं को भी इशारों में साफ संकेत दे दिए है। कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन अपने अंदरूनी विवादों की छाया में गुजारने के बाद भाजपा नेतृत्व ने अपनी रणनीति व तेवर दोनों बदले। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने मार्गदर्शन में केंद्र की संप्रग सरकार पर सीधा प्रहार कर कार्यकारिणी में ऊर्जा भरने व कार्यकर्ताओं को भावी संघर्ष का सीधा संदेश देने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार आत्मघाती स्थिति (सुसाइडल मोड) में है। आजादी के बाद ऐसी स्थिति पहली बार बनी है। सरकार भ्रष्टाचार में गहराई तक धंसी है और उसे सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। हमें तैयार रहना चाहिए कि कभी भी कुछ भी हो सकता है।
बैठक को संबोधित करते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सरकार की खबर लेते हुए अपनी पार्टी को भी कड़ी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि बढ़ी कीमतों के कारण अलोकप्रिय व भ्रष्टाचार के कारण बदनाम हुई संप्रग सरकार को लेकर जनता में घृणा भाव है और अब यह बहुत दिन नहीं चल पाएगी।
संकेतों में ही सही, लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं को दो टूक कहा कि कांग्रेस की गलतियों से हमें सबक सीखना होगा। पार्टी में एकजुटता व सभी को साथ लेकर चलना होगा। पार्टी में सुषमा के इस बयान को नरेंद्र मोदी व येद्दयुरप्पा की अनुपस्थित से जोड़ कर देखा जा रहा है। बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका अधिकार तो शुरू से ही कम था, लेकिन अब स्थितियों से निपटने का आत्मविश्वास भी कम हो गया है।
प्रणब मुखर्जी व चिदंबरम के विवाद से साफ हो गया है कि सरकार में सामूहिक जिम्मेदारी का भाव ध्वस्त हो गया है। पार्टी महासचिव रविशंकर प्रसाद द्वारा पेश किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में भी संप्रग सरकार पर जमकर प्रहार किए गए।
बैठक में कुछ नेताओं का मानना था कि आडवाणी अपने भाषण में अपनी यात्रा को लेकर उठे सवालों पर भी स्थिति साफ कर दें, लेकिन आडवाणी ने साफ कर दिया कि वह नागपुर में खुद व बाद में दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर चुके है, इसलिए अब कुछ कहने की जरूरत नहीं है। हालांकि बैठक में आडवाणी की यात्रा में संगठन की पूरी ताकत लगाने का फैसला किया गया।
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