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आज से पाकिस्तान तक पहुंचेगी सुखोई की दहाड़, जोधपुर में एसयू-30 की तैनाती
पश्चिमी सीमा पर हवाई सुरक्षा घेरा मजबूत करने के लिए जोधपुर एयरबेस पर सुपरसोनिक लड़ाकू विमान सुखोई-30 के स्क्वाड्रन की तैनाती शनिवार से हो जाएगी। इसमें मिसाइल रखने की क्षमता है। पुणे के लोहेगांव से इस स्क्वाड्रन को शिफ्ट करने की प्रक्रिया एक महीने से चल रही थी। सुखोई-30 जोधपुर एयरबेस से 2450 किमी/घंटे की रफ्तार से पांच मिनट में लाहौर पहुंच सकता है।
शनिवार को स्क्वाड्रन विधिवत काम शुरू कर जोधपुर एयरबेस पर सक्रिय हो जाएगा। तेज रफ्तार से उड़ान भरने वाले मल्टी रोल फाइटर सुखोई-30 के पायलट जल्द नियमित अभ्यास शुरू करेंगे। वे अभ्यास के लिए जोधपुर से जैसलमेर में चांधन फायरिंग रेज के अलावा बीकानेर व बाड़मेर में उतरलाई तक उड़ान भरेंगे।
वायुसेना की सक्रियात्मक क्षमता बढ़ेगी :
वायुसेना सूत्रों के अनुसार सुखोई के जोधपुर एयरबेस पर तैनातगी के साथ वायुसेना की सक्रियात्मक क्षमता बढ़ जाएगी। साथ ही पाकिस्तान से सटी राजस्थान, पंजाब, गुजरात व जम्मू-कश्मीर तक की सीमा पर हवाई सुरक्षा मजबूत हो जाएगी। वायुसेना ने सीमा पार की गतिविधियों को देखते हुए जैसलमेर व बीकानेर की हवाई सुरक्षा के लिए फलौदी एयरबेस बनाया था, ताकि ऑपरेशनल गतिविधियों के लिए उतरलाई, जैसलमेर व बीकानेर के साथ सीमा पर तत्काल लड़ाकू विमान पहुंच सकें। जोधपुर एयरबेस सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए अब सुखोई-30 की तैनातगी कर सुरक्षा घेरा और अधिक मजबूत किया जा रहा है।
बह्मोस मिसाइल से बढ़ेगी एयरबेस की ताकत :
सुखोई-30 में ब्रह्मोस मिसाइल में रखने की क्षमता है। जरूरत पडऩे पर सुखोई बमबारी के साथ मिसाइल से अचूक निशाना भी दाग सकता है। वर्ष 1997 में जोधपुर से वायुसेना के दक्षिण पश्चिम वायु कमान का मुख्यालय गांधी नगर चला गया था। अब सुखोई की तैनातगी से जोधपुर एयरबेस की ताकत पहले से कई गुना बढ़ जाएगी। बीते महीने पाकिस्तानी मीडिया में सीमा पर भारत के 15 शहरों को निशाने पर लेते हुए मिसाइल तैनात करने की खबरों के मद्देनजर जोधपुर में सुखोई की तैनातगी को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है
पाकिस्तान और चीन से मिल रही चुनौती के मद्देनजर भारतीय वायुसेना शनिवार से बड़ी पहल कर रही है। अब पाकिस्तान से सटे जोधपुर (राजस्थान) के आसमान पर लड़ाकू विमान सुखोई-30 उड़ेंगे और इसकी दहाड़ पड़ोसी पाकिस्तान तक पहुंचेगी।
रक्षा प्रवक्ता एसडी गोस्वामी ने दैनिकभास्कर डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि स्क्वाड्रन एक अक्टूबर से ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे। वहीं, वायु सेना के सूत्रों के अनुसार, शनिवार से जोधपुर में 16 एयरक्रॉफ्ट की तैनाती हो जाएगी। युसेना ने लोहेगांव और बरेली स्थित अपने स्टेशनों को सुखोई एमकेआई 30 के लिए स्क्वाड्रन तैयार करने के बेस के रूप में चुना है। इसी के तहत 31 स्क्वाड्रन ‘द लॉयन’ को लोहेगांव (पुणे) एयरबेस से जोधपुर शिफ्ट किया गया है।
चार दशक पुराना स्क्वाड्रन
वायुसेना के स्क्वाड्रन 31 का गठन 1 सितंबर 1963 को पठानकोट में किया गया था। उस समय इसके पास फ्रेंच मिस्ट्री एयरक्राफ्ट थे। इस दौरान 1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसे पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया था।
इसके पास 1973 से 1983 तक मारुत एयरक्राफ्ट थे। इसी प्रकार 1983 से 2003 तक इस स्क्वाड्रन में मिग 23 विमान थे। उसके बाद यह सुखोई विमान की तैयारी में लग गया। अब अक्टूबर 2011 से यह जोधपुर एयरबेस पर सक्रिय हो जाएगा।
एक घंटे में 2450 किमी
इस लड़ाकू विमान की खासियत इसी से समझी जा सकती है कि सुखोई एक घंटे में 2450 किमी तक पहुंच जाता है। देश की पश्चिमी सीमा के लिए यह काफी अहम होगा। एक बार उड़ान भरने के साथ वह आठ हजार किलो तक के हथियार लेकर 5200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है।
सुखोई-30 एमकेआई का लाइसेंस उत्पादन भारत में रूसी सुखोई कंपनी के साथ हुए के करार के आधार पर किया जा रहा है। अगले कुछ सालों में केंद्र सरकार भारतीय वायु सेना को और अधिक सुखोई-30 एमकेआई और हल्के लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने के लिए 64 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च करेगी। इन विमानों का उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करेगा।
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