अयोध्या अपने शाब्दिक अर्थ के अनुसार यह अपराजित है.. यह नगर अपने २२०० वर्षों के इतिहास मे अनेकों युद्धों व संघर्षो का प्र..
आखिर कौन है कैश फॉर वोट काण्ड का असली गुनाहगार? राजदीप सरदेसाई और अहमद पटेल तो नहीं?
यह एक अनोखा मुकद्दमा है जिसमें सफेदपोश चोर तो आजाद घूम रहे हैं, लेकिन उन्हे पकड़वाने और बेनकाब करने वाले सींखचों के पीछे धकेले जा रहे हैं। देश के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा कि किसी को घूस लेने के लिए नहीं, बल्कि घूस देने के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी हो। जी हां, बात हो रही है कैश फॉर वोट मामले और आरोपी अमर सिंह की। दिल्ली पुलिस ने उन्हें जेल भेजने के पीछे आरोप ये लगाया है कि उन्होंने ‘कैश फॉर वोट’ मामले में आरोपियों को घूस की भारी रकम भिजवाई थी। इस मामले में खुद को व्हिसल-ब्लोअर (चोर पकड़ने के लिए आवाज लगाने वाला) बताने वाले पूर्व पत्रकार सुधीन्द्र कुलकर्णी को भी जेल भेज दिया गया।
ध्यान देने वाली बात यह है कि मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने अब तक किसी भी ऐसे व्यक्ति या राजनेता का नाम तक नहीं लिया है जिसे इस प्रकरण से लाभ पहुंचा था। शायद यही वजह रही कि बहस के दौरान स्पेशल जज़ संगीता धींगड़ा सहगल ने भी दिल्ली पुलिस से पूछ डाला कि आखिर वह चार्जशीट में शामिल कुछ ही लोगों को गिरफ्तार क्यों कर रही है? इससे पहले अमर सिंह के साथ फग्गन सिंह को जेल भेजते वक्त भी जज़ ने लगभग ऐसे ही सवाल किेए थे, लेकिन दिल्ली पुलिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था।
जुलाई 2008 में हुए इस कांड के समय यूपीए-1 सरकार सत्ता में थी और मनमोहन सिंह ही प्रधानमंत्री थे। सरकार बचाए रखने के लिए जरूरी सांसदों का आंकड़ा यूपीए के पास नहीं था और विश्वास मत पर वोटिंग होनी थी। तब कई सांसदों को मोटी रकम दे कर सरकार के पक्ष में वोटिंग करने का प्रलोभन दिया गया। भाजपा के तीन सांसदों के पास भी यह प्रस्ताव पहुंचा तो उन्होंने सुधीन्द्र कुलकर्णी के कहने पर स्टिंग ऑपरेशन के तहत यह रकम ले ली और सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया। बाद में वे इन रुपयों को संसद में ले गए और दिखाया कि कैसे थेले में भर कर उन्हें सरकार बचाने की कीमत दी जा रही थी। मामले की जांच दिल्ली पुलिस को दी गई तो उसने उल्टे शिकायत करने वालों को ही गिरफ्तार कर लिया। पैसे देने के आरोप में अमर सिंह को भी गिरफ्तार किया गया लेकिन अभी तक कांग्रेस या यूपीए की तरफ के किसी भी राजनेता से पूछताछ तक नहीं की गई।
अमर सिंह एक जाने-माने राजनेता हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने सांसदों को कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने के लिए पैसे भिजवाए थे। गौर करने वाली बात है कि मामला किसी ग्राम-पंचायत या जिला परिषद का नहीं, बल्कि देश पर शासन चलाने वाली संसद का था और वोटिंग से फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को पहुंच रहा था। लेकिन इसे क्या कहा जाए कि उसी कांग्रेस ने अमर सिंह को दोषी ठहरा दिया जिसने इस पूरे प्रकरण से फायदा उठाया। कांग्रेस खुद को पाक-साफ बता रही है, लेकिन यह सवाल अभी भी ज्यों का त्यों है कि आखिर करोड़ों रुपए आए कहां से और उनके बांटने की वजह क्या थी?
कुलकर्णी ने भी कहा कि यह एक स्टिंग ऑपरेशन था और उन्होंने भ्रष्टाचार को सामने लाने की कोशिश की थी। कुलकर्णी एक पुराने पत्रकार हैं और वाजपेयी सरकार में मीडिया सलाहकार भी रह चुके हैं। हालांकि करीब दो साल पहले उन्होंने भाजपा को आधिकारिक रूप से छोड़ दिया था, लेकिन अभी भी उन्हें पार्टी की विचारधारा के करीब ही माना जाता है। एक लंबे अर्से से वे अपनी बेटी के पास अमेरिका में थे और इस मामले में गवाही देने खुद ही अदालत में हाजिर हुए थे। दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कुलकर्णी पर आरोप लगाया था कि यूपीए-1 सरकार के कार्यकाल में विश्वास मत को प्रभावित करने के लिए कुलकर्णी ने मास्टरमाइंड का रोल निभाया।
अमर सिंह ने अभी तक अपनी जुबान नहीं खोली है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर वे कुछ भी बोले तो कई चेहरों पर से नकाब उठ जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस को यह निर्देश दे चुकी है कि वह कम से कम यह तो पता करे कि आखिर इतने रुपए आए कहां से थे। अमर सिंह के वकील के तौर पर उतरे पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी का दावा है कि अहमद पटेल इस मामले के प्रमुख कर्ता-धर्ता थे। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई का नाम भी सीधे तौर पर चर्चा में आ रहा है क्योंकि उनके चैनल आईबीएन ने ही ये स्टिंग ऑपरेशन किया था। खास बात यह रही कि आईबीएन ने इस स्टिंग ऑपरेशन का टेलीकास्ट ही नहीं किया। करीब ढाई हफ्ते बाद जब भारी दबाव के बाद आईबीएन ने खबर दिखाई भी तो एक छोटा हिस्सा ही सामने आया। अहमद पटेल के घर हुए स्टिंग का कहीं जिक्र तक नहीं आया।
अगर इमानदारी से खोजे जाएं तो सारे सुबूत और गवाह आज भी मौजूद हैं जिनके जरिए लोकतंत्र को कलंकित करने वाले असली गुनाहगारों कर पहुंचा जा सकता है, लेकिन दिल्ली पुलिस तो मानो आंख-कान मूंदे पड़ी है।
धीरज भारद्वाज ||
Share Your View via Facebook
top trend
-
अपराजेय अयोध्या : अयोध्या एक यात्रा
-
मुंबई में भारी बारिश, लगातार हो रही बारिश के कारण जन-जीवन अस्त व्यस्त
मुंबई में पिछले चार दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.
मुंबई की लाइफ़ लाइन कही जान..
-
गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति में राज्यपाल की नीयत पर सवाल
राज्यपाल का पद एक बार फिर विवादों में है। इस बार गुजरात की राज्यपाल की नीयत पर उंगली उठाई जा रही है। घटना की पृष्ठभूमि में..
-
दोपहर की शादी में थ्री पीस सूट पहनना स्वीकार, भले ही चर्म रोग क्योँ न हो : भारत का सांस्कृतिक पतन
-
अन्ना की प्रस्तावित यात्रा में यूपी को प्राथमिकता
लोकपाल के मुद्दे पर अनशन कर चुके अन्ना हज़ारे अपनी प्रस्तावित यात्रा भले ही अपने पैतृक नगर से शुरू करें, लेकिन उसका पहला प..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
IBTL Gallery
-
-
Shri Maheish Girri Ji addressing Social Activists at IBTL Volunteers' Meet
-
The MahaKumbh of Discipline at Indore : RSS' Malwa Prant Ekatrikaran
-
Meenakshi Lekhi Ji addressing the audience : IBTL Bharat Samvaad
-
Tajinder Bagga and Meenakshi lekhi : Hunger Strike in support of Indigenous Peoples of Assam
-
Comments (Leave a Reply)