तेलंगाना के लिए बसें, ऑटो रिक्शा सब बंद, 48 घंटों का रेल-रोको आंदोलन शुरु

Published: Saturday, Sep 24,2011, 13:57 IST
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आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हड़ताल, हैदराबाद

आंध्र प्रदेश में अलग तेलंगाना राज्य के समर्थन में पिछले 12 दिनों से चल रही अनिश्चित काल की हड़ताल के तहत शनिवार से 48 घंटों का रेल-रोको आंदोलन शुरु हो गया है. हैदराबाद सहित सभी दस ज़िलों में कोई ट्रेन नहीं चल रही है और लाखों यात्री जगह-जगह पर फंसे हुए हैं.

परिवहन निगम की बसें पिछले छह दिनों से नहीं चल रही हैं और इलाक़े के लाखों ऑटो रिक्शा चालक भी शनिवार से दो दिनों की हड़ताल पर चले गए हैं.

इसकी वजह से पूरे तेलंगाना क्षेत्र में परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ गई है.

सामान्य जनजीवन को और भी अस्तव्यस्त करने का कारण पेट्रोल पंपों की हड़ताल बन गई है.

इतना ही नहीं शराब की दुकानें और नाई भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं.

पटरियों पर धरना
शनिवार से शुरु हुए 48 घंटों के रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए तेलंगाना संयुक्त संघर्ष समिति और उससे जुड़े राजनीतिक दलों के नेता शनिवार की सुबह छह बजे से ही कई स्थानों पर रेल की पटरियों पर बैठ गए हैं.

इनमें तेलंगाना राष्ट्र समिति, भारतीय जनता पार्टी, सीपीआई एमएल न्यू डेमोक्रेसी के नेता भी शामिल हैं.

यूँ तो पूरे तेलंगाना क्षेत्र में जहाँ से भी रेल की पटरियाँ गुज़र रही हैं वहां पर हज़ारों लोग बैठ गए हैं लेकिन उनका सबसे बड़ा जमावड़ा सिकंदराबाद, मौला अली, काजीपेट, निज़ामाबाद, आदिलाबाद, पेद्दापल्ली, खम्मम और नलगोंडा रेलवे स्टेशनों पर है क्योंकि आंध्र क्षेत्र और दूसरे राज्यों की ट्रेनें यहीं से होकर गुज़रती हैं.

मौला अली पर धरना दे रहे तेलंगाना संयुक्त संघर्ष समिति के नेता प्रोफ़ेसर कोदंडा राम ने कहा कि 30 से ज़्यादा स्थानों पर तेलंगाना के लोग पटरियों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम करेंगे और वहीं खाना पकाकर खाएंगे.

कई स्थानों पर तेलंगाना समर्थकों ने रेल पटरियों और स्टेशनों को खेल के मैदान में बदल दिया है.

सैकड़ों ट्रेनें रद्द, कई का मार्ग बदला
हालाँकि हर स्टेशन पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों को भारी संख्या में तैनात किया गया है लेकिन उन का काम केवल शांति बनाए रखना है और वो आंदोलनकारियों को स्टेशनों और पटरियों से हटाने की कोई करवाई नहीं कर रहे हैं.

हड़ताल के आह्वान के मद्देनज़र दक्षिण मध्य रेलवे पहले ही सौ के क़रीब एक्सप्रेस ट्रेनों और 267 यात्री ट्रेनों को रद्द कर चुकी है.

लम्बी दूरी की 56 ट्रेनों का रास्ता बदल दिया गया है और वो तेलंगाना के इलाक़े में आए बिना ही दूसरे मार्गों से चल रही हैं.

दूसरे क्षेत्रों और राज्यों से तेलंगाना आने वाली ट्रेनों को विशाखापटनम, विजयवाड़ा, गुंटूर और कुरनूल पर ही रोका जा रहा है.

हैदराबाद में लगभग तीन सौ लोकल ट्रेन सेवाओं को रद्द कर दिया गया है.

रेल पटरियों पर धरना देने वाले तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायक तारक रामराव ने कहा, "तेलंगाना समर्थक रेल रोकने पर इसलिए मजबूर हुए क्योंकि गत 12 दिनों से चल रही हड़ताल पर अब तक राज्य और केंद्र सरकार ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है और तेलंगाना के साढ़े चार करोड़ लोगों की एक जायज़ मांग को अनदेखा करने की कोशिश की है."

कोयले की कमी
इस बीच सिंगरेनी के खदानों में कोयले का उत्पादन बंद हो जाने से परेशान राज्य सरकार ने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को लुभाने की कोशिश करते हुए कहा है कि अगर खदान मज़दूर एक दिन काम करेगा तो उसे दो दिनों का वेतन दिया जाएगा.

यानी एक मजदूर को एक दिन के लिए लगभग एक हज़ार रूपए मिलेंगे.

तेलंगाना के संगठनों और सिंगरेनी मजदूरों की यूनियन ने इसे सरकार की एक साज़िश बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है.

इधर रेल मार्ग बंद रहने से दूसरे राज्यों से कोयला लाने की कोशिशों में भी बाधाएं आ रही हैं और बिजली का उत्पादन और भी घट जाने की आशंका है.

अगर ऐसा हुआ तो बिजली की कटौती की अवधि और भी बढ़ानी पड़ेगी.

फ़िलहाल बड़े नगरों में दो घंटे की, छोटे नगरों में चार घंटे की और ग्रामीण इलाक़ों में आठ घंटे की बिजली कटौती चल है.

कांग्रेस में नाराज़गी
इस बीच तेलंगाना के कांग्रेसी नेताओं में इस बात को लेकर नाराज़गी और बेचैनी बढ़ रही है कि केंद्र सरकार और कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व अभी भी लगातार खामोश है.

ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि तेलंगाना के कम से कम चार मंत्री और 20 कांग्रेसी विधायकों ने तेलंगाना की जनता के दबाव के आगे झुकते हुए जल्द ही त्याग पत्र देने का मन बना लिया है.

इससे एक क़दम आगे जाते हुए एक विधायक दामोदर रेड्डी ने कहा है कि वो कांग्रेस छोड़ने और राज्य में कांग्रेस की सरकार को गिराने के लिए भी तैयार हैं.

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