अगस्त में महँगाई की दर बढ़कर ईकाई से दहाई के अंक के करीब पहुँच गई. भारत सरकार की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक प..
यूपीए में मतभेद, सड़कों पर बीजेपी: मनमोहन का पुतला फूंकने वाले सपाइयों पर पड़ी मार
रसोई गैस की कीमतें बढ़ाने को लेकर होने वाली बैठक फिलहाल टल गई
है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले
उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की शुक्रवार को बैठक
होनी थी। इसमें रसोई गैस के दाम बढ़ाने पर फैसला लिए जाने की संभावना
थी। इस बात की संभावना है कि यह बैठक अगले हफ्ते हो।
महंगाई के मुद्दे पर सरकार पर चौतरफा दबाव पड़ रहा है। विपक्षी पार्टी
बीजेपी महंगाई के मुद्दे पर सड़कों पर उतर गई है। उत्तर प्रदेश में
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतर गए। वे पेट्रोल की
कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पुतला फूंक
रहे थे कि पुलिस ने उन्हें पानी की बौछार मार कर तितर-बितर किया।
यूपीए में शामिल सहयोगी पार्टियां भी रसोई गैस का दाम बढ़ाए जाने के
प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। हालांकि इसके बावजूद एक बार फिर लोन
महंगा होने का रास्ता जरूर साफ कर दिया गया है। पिछले 18 महीनों में
12वीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते हुए रिजर्व बैंक ने रीपो और
रिवर्स रीपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर दी है। अब रीपो
रेट 8.25 पॉइंट और रिवर्स रीपो रेट 7.25 पॉइंट हो गया है। इस बढ़ोतरी
का असर कार और होम लोन पर पड़ेगा। बैंक ग्राहकों से इसके लिए ज्यादा
ब्याज दर वसूलेंगे (विस्तृत खबर रिलेटेड आर्टिकल में पढ़ें)।
तेल कंपनियों ने गुरुवार को पेट्रोल की कीमत 3.14 रुपये प्रति लीटर
बढ़ा कर गुरुवार को ही जनता पर भारी बोझ लाद दिया है। इसके बाद एलपीजी
गैस के दाम बढ़ाने की तैयारी में लगी सरकार को घटक दलों के ही विरोध
का सामना करना पड़ा। यूपीए गठबंधन में शामिल डीएमके, तृणमूल कांग्रेस
और एनसीपी दाम बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। समझा जाता है
कि सहयोगी दलों के इसी रुख के चलते शुक्रवार को होने वाली बैठक टाल दी
गई। सूत्रों के मुताबिक यूपीए सरकार की योजना इस महीने के अंत तक इस
मुद्दे पर फैसला लेकर इसे दिसंबर से लागू करने की है।
महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों पर सरकार की इस संभावित मार को यूपीए
में शामिल कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां भी महसूस कर रही हैं। यही वजह
है कि कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां सरकार के एलपीजी गैस का दाम
बढ़ाने के फैसले का विरोध कर रही हैं। डीएमके ने ईजीओएम की
प्रस्तावित बैठक का बहिष्कार किया, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी इस
मुद्दे पर सरकार का विरोध करने का फैसला किया है। रेल मंत्री और
तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी का कहना है कि उन्हें ईजीओएम
बैठक की जानकारी मीडिया के जरिए मिली थी। दूसरी तरफ, बीजेपी के
कार्यकर्ता महंगाई के मुद्दे पर दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध
प्रदर्शन कर रहे हैं। बीजेपी पेट्रोल के दाम समेत तमाम जरूरी चीजों का
दाम बढ़ाए जाने का विरोध कर रही है। बीजेपी ने यह चेतावनी भी दी है कि
अगर सरकार ने एलपीजी के दाम बढ़ाए तो वह पूरे देश में प्रदर्शन
करेगी।
ईजीओएम की बैठक में पेट्रोलियम मंत्रालय के उस प्रस्ताव पर विचार किया
जाना था, जिसमें आयकर अदा करने वाले लोगों के लिए साल भर में महज चार
सिलेंडर ही रियायती दर (सब्सिडी के साथ) पर देने की बात कही गई है।
इससे ज़्यादा सिलेंडर लेने पर बाज़ार भाव पर ही रसोई गैस मिलने की बात
इस प्रस्ताव में है। ईजीओएम की बैठक में रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी
कितनी कम की जाए और मेट्रो और बड़े शहरों में एक परिवार को एक साल में
सब्सिडी वाले कितने सिलेंडर दिए जाएं, जैसे अहम सवालों पर फैसला लिया
जाना था।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों को सस्ती दरों (सब्सिडी
के साथ) पर सिलेंडर देने का मुद्दा भी आज होने वाली बैठक के एजेंडे
में शामिल था। पेट्रोलियम मंत्रालय गैस की कीमत में 100 फीसदी तक
बढ़ोतरी चाहता है। मंत्रालय के प्रस्ताव में गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर
की कीमत 400 रुपये बढ़ाने की वकालत की गई है। फिलहाल दिल्ली में
सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत 394 रुपये है। बिना सब्सिडी के
इसकी कीमत लगभग 750 रुपये होगी।
गैस सिलेंडर पर सब्सिडी खत्म करने के पीछे सबसे बड़ा तर्क तेल
कंपनियों को हो रहा घाटा है। तेल कंपनियों को डीजल, घरेलू गैस और
केरोसीन को लागत से सस्ता बेचने से प्रतिदिन 263 करोड़ रुपये का घाटा
हो रहा है। जून में ही रसोई गैस के सिलेंडर के दाम में 50 रुपये की
बढ़ोतरी की गई थी। एलपीजी के एक सिलेंडर (प्रति 14.2 किलो गैस) पर तेल
कंपनियों को 267 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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