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केजरीवाल को इनकम टैक्स विभाग का नोटिस, 9 लाख रुपए मांगे

सरकार से पंगा लेना टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल को भी महंगा पड़ सकता है। उन्हें इनकम टैक्स विभाग से एक नोटिस मिल चुका है। इस नोटिस में उन पर न केवल सेवा शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है बल्कि 9 लाख रुपया बकाया बताते हुए उसका भुगतान करने को भी कहा गया है।
गौरतलब है कि केजरीवाल आईआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) के तहत इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत थे। हालांकि 2006 में ही वह इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन उनका इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं किया गया है। विभाग अब भी उन्हें सरकारी अधिकारी मान कर चल रहा है। सरकार के मुताबिक इस्तीफा तभी स्वीकार किया जा सकता है जब सारे बकाये का भुगतान कर दिया जाए।
दिलचस्प बात है कि यह मामला काफी पहले से चल रहा है, लेकिन केजरीवाल को नोटिस तब भिजवाया गया जब अन्ना हजारे जन लोकपाल बिल लाने की मांग को लेकर अनशन का एलान कर चुके और सरकार से टीम अन्ना का आमना-सामना शुरू हो गया। अन्ना का अनशन शुरू होने के एक सप्ताह पहले भेजे गए इस नोटिस में केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने सर्विस बॉन्ड का उल्लंघन किया। केजरीवाल ने गुरुवार को इस नोटिस का जवाब भेज दिया।
अपने जवाब में केजरीवाल ने आरोप को गलत बताते हुए कहा कि उन्होंने सेवा शर्तों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। बकाये संबंधी दावे को भी उन्होंने गलत बताया है। उन्होंने नोटिस के लिए चुने गए वक्त पर सवाल उठाते हुए कहा कि दो साल से चुप बैठे रहने के बाद विभाग ने आनन-फानन यह नोटिस भिजवा दिया। गौरतलब है कि इनकम टैक्स विभाग वित्त मंत्रालय के अंतगर्त आता है जो इन दिनों प्रणव मुखर्जी के पास है।
विभाग का आरोप है कि स्टडी लीव के बाद वह कभी काम पर नहीं लौटे। विभाग ने उनसे दो साल की सैलरी (3.50 लाख रुपए ) और उस पर अब तक का ब्याज (4.16 लाख रुपए) लौटाने को कहा है। इसके अलावा केजरीवाल ने 50 हजार रुपए का कंप्यूटर लोन लिया था जिसका सूद सहित बकाया 1 लाख रुपए बताया गया है।
केजरीवाल के मुताबिक उनकी सेवा शर्तें सिर्फ यह कहती हैं कि वह स्टडी लीव के दौरान नौकरी नहीं छोड़ सकते। उन पर जुर्माना तभी लगाया जा सकता है जब वह स्टीड लीव से वापस न लौटें या लौटने से पहले ही इस्तीफा दे दें या रिटायरमेंट ले लें या फिर स्टडी कोर्स पूरा न कर सकें। वह 1 नवंबर 2000 से 31 अक्टूबर 2002 तक स्टडी लीव पर थे और 1 नवंबर 2002 को दोबारा जॉइन किया। 31 अक्टूबर 2005 को उन्होंने तीन साल पूरा कर लिया और इसके तीन महीने बाद फरवरी 2006 में इस्तीफा दिया। 2004 से 06 के बीच वह वेतन रहित छुट्टी पर थे।
कंप्यूटर लोन के बारे में उनका कहना है कि वह अपने बैंक स्टेटमेंट की कॉपी के साथ विभाग को बता चुके थे कि उनके पास पैसा नहीं है और इसलिए विभाग उनकी जीपीएफ रकम में से बकाया काट ले।
आखिर में केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा है, ' मैंने किसी सेवा शर्त का उल्लंघन नहीं किया है और अगर किया भी है तो विभाग को मेरा बकाया माफ करने का अधिकार है क्योंकि मैं जनहित में कार्य कर रहा हूं। '
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