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अफजल गुरु को बचाना चाहते है जम्मू कश्मीर के सीएम?
क्या जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला संसद पर हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरु की फांसी को रोकने की वकालत कर रहे हैं? अपने हालिया ट्वीट ने मुख्यमंत्री ने ऐसे ही संदेहों को हवा दे कर विवाद खड़ा कर लिया है।
उमर ने तमिलनाडु विधानसभा द्वारा राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी पर मंगलवार को पारित किए गए प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि ऐसा ही प्रस्ताव जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में अफजल गुरु के संदर्भ में पारित किया जाता तो अब तक काफी बखेड़ा खड़ा हो जाता और उनसे पूछा जाता कि वह (उमर) किस तरह हैं? उन्होंने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा के प्रस्ताव पारित करने के बाद भी जैसी शांति है वैसी अफजल के मामले में नहीं होती।
उमर ने ट्वीट किया है- अगर जेऐंडके विधानसभा ने तमिलनाडु जैसा ही प्रस्ताव अफजल गुरू के मामले में पारित किया होता तो क्या ऐसी ही चुप्पी भरी प्रतिक्रिया रहती? मुझे लगता है, नहीं।
यहां बता दें कि मुरुगन, संतन और पेरारीवलन को 9 सितंबर को होने वाली फांसी पर मद्रास हाईकोर्ट ने 8 हफ्ते की अंतरिम रोक लगाई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से हलफनामा देकर बताने को कहा है कि दया याचिका पर फैसला करने में 11 साल क्यों लगे। इसी बीच, तमिलनाडु विधानसभा ने मंगलवार को आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति से राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा का सामना कर रहे तीन लोगों की पुनरीक्षण याचिका पर विचार करने की अपील भी कर दी है। इन तीनों को 9 सितंबर को फांसी दी जानी थी।
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