मुझे आपको यह खुला पत्र लिखते हुए बड़ा खेद हो रहा है। मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं। यह भावना आज से नहीं है किन्तु उस समय स..
कांग्रेस की चली तो अब भारत से गौ-मांस का निर्यात कानूनी रूप से होगा, वीएचपी का मुखर विरोध
जैसे आकाश का ओर-छोर नहीं होता, पाताल की गहराई नापी नहीं जा
सकती, उसी प्रकार लगता है कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की
निर्लज्जता की कोई सीमा नहीं | १२वी पंचवर्षीय योजना के लिए सरकार के
कार्यकारी समूह ने योजना आयोग को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें गौ-वंश के
निर्यात पर लगी कानूनी रोक हटा लेने की संस्तुति की गयी है | ये बात
अलग है की अवैधानिक रूप से भारत से अधिक मात्र में गौ-मांस बाहर भेजा
जाता रहा है | ये रिपोर्ट शरद पवार के कृषि मंत्रालय के एक विभाग से
भेजी गयी है |
विश्व हिन्दू परिषद् ने सरकार के इस कृत्य का प्रखर विरोध किया
है | परिषद् ने मांग की है की सरकार अपनी संस्तुति वापस ले इससे पहले
कि देश के सभी धार्मिक एवं राष्ट्रवादी लोगों को सड़क पर आना पड़े
| परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय संगठन सचिव दिनेश चन्द्र ने कहा की
गौ-मांस के निर्यात की वैधानिक अनुमति मिलने से भारत के धर्म पर आघात
होगा और संविधान की आत्मा का भी वध हो जायेगा | ज्ञात हो की भारत के
संविधान के नीति निर्देशक तत्त्व सरकार को गौ-वंश के संरक्षण को
प्रेरित करते हैं | संविधान के अनुच्छेद ४८ में उनका वर्णन है
|
संयोग है कि अभी २ दिन पहले ही राष्ट्रवादी नेता नरेन्द्र मोदी
ने गौ-हत्या के विरोध में देश व्यापी क़ानून बनाने की मांग की थी |
मोदी के गुजरात एवं अन्य भाजपा शासित राज्यों में गौ-हत्या के विरूद्ध
कानून कड़े कर दिए गए हैं |
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