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सलमान रश्दी की भारत यात्रा - 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के ठेकेदारों की पोल खुलेगी
इससे बुरे समय पर शायद ये घटना नहीं घट सकती थी। कल ही भारत ने
प्रवासी भारतीय दिवस मनाया और तभी भारतीय मूल के ही एक अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर ख्याति प्राप्त लेखक सलमान रश्दी को २० जनवरी से प्रारंभ होने
वाले जयपुर साहित्य महोत्सव का आमंत्रण मिल गया। सलमान रश्दी १९८१ में
अपने उपन्यास मिडनाईट चिल्ड्रेन के लिए प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार जीत
चुके हैं परन्तु उनकी १९८९ में प्रकाशित उपन्यास सैटेनिक वर्सेस को
भारत सहित अन्य मुस्लिम आधिपत्य वाले देशों ने प्रतिबंधित कर दिया था
क्योंकि कथित रूप से उसमें इस्लाम के पैगम्बर का अपमान किया गया था।
यहाँ तक कि उनके विरुद्ध फतवे भी जारी हुए थे।
रोचक बात यह थी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिंदू
देवी-देवताओं विशेषकर हिंदू देवियों के नग्न चित्र बनाने वाले एम एफ
हुसैन का बचाव करने वाले उस उपन्यास के प्रतिबंधित होने पर मौन थे ।
उस के बाद रश्दी दो बार गहन सुरक्षा के बीच भारत आये थे । अब उनकी इस
प्रस्तावित यात्रा के ठीक बाद उत्तर प्रदेश के चुनाव हैं । दारुल उलूम
देवबंद जो अपने कुलपति द्वारा मोदी के गुजरात के विकास की प्रशंसा सहन
नहीं कर सका था, उसने भारत सरकार से कहा है कि तत्काल रश्दी का वीजा
निरस्त करे क्योंकि रश्दी ने मुस्लिमों की भावनाओं को आहत करने वाली
पुस्तक लिखी थी (२३ वर्ष पहले) । आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड
ने भी इस मांग का समर्थन किया है।
In English : Champions of 'Freedom of Expression' stand to get
exposed as Salman Rushdie plans arrival to India
परन्तु इस विषय में मुस्लिम वोटों के लोलुप विभिन्न राजनैतिक दलों की
प्रतिक्रिया देखने योग्य है। कांग्रेस के रशीद मसूद ने कहा है कि
रश्दी की जयपुर यात्रा तुरंत रद्द की जानी चाहिए क्योंकि उत्तर प्रदेश
चुनाव के चलते भावनाएं भड़क सकती हैं । कांग्रेस के सहयोगी लोकदल के
कौकब हमीद ने कहा कि उन्हें भारत में प्रवेश करने से तुरंत रोका जाना
चाहिए। सपा के अहमद हसन ने कहा कि भारत सरकार लंबे समय से मुस्लिमों
के शत्रुओं की बातें मानती रही है और उन्हें भारत में घुसने नहीं देना
चाहिए। यहाँ तक कि भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा कि उन्हें
वीजा देना समझदारी का निर्णय नहीं होगा । उन्हें ऐसे समय पर नहीं आना
चाहिए जब चुनाव हैं।
उधर महोत्सव के आयोजक मंडल में संजोय रॉय ने कहा कि साहित्य महोत्सव
लोकतान्त्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति के लिए एक मंच है तथा हमारे
जैसे समरस समाज को साहित्यिक स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
सलमान रश्दी ने ट्विट्टर पर लिखा है कि उन्हें भारत आने के लिए वीजा
की आवश्यकता नहीं है।
पर इस सब से हिंदू भावनाओं और मुस्लिम भावनाओं के लिए हिंदू बहुल भारत
में अपने जाने वाले दोहरे मापदंडों का घृणित चेहरा एक बार फिर उजागर
हो गया है । जहाँ हिंदू देवी देवताओं की नग्न तस्वीर बनने वाले एक
चित्रकार को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण देकर सम्मानित किया
जाता है, उनके निधन पर प्रधानमंत्री इसे ‘राष्ट्रीय क्षति’ कहते हैं,
जहाँ राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगाता शपथपत्र केंद्र सरकार
सर्वोच्च न्यायालय में देती है, जहाँ राम सीता के चरित्र को धूमिल
करते हुए लेख को दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में पढाया जाता
है, उसी देश में ब्रिटेन में लिखी एक लेखक की पुस्तक को इसलिए
प्रतिबंधित कर दिया जाता है कि उससे मुस्लिम भावनाएं आहत हो सकती हैं।
अल्पसंख्यक वोट बैंक की फसल काटने को आतुर राजनैतिक दल उस लेखक को
भारत में न घुसने देने के बातें करते हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
के स्वयम्भू ठेकेदार चादर तान कर सो जाते हैं ।
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