कई सप्ताह की चुप्पी के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अपने कुख्यात अंदाज में अन्ना और उनके साथियों पर जोरदार ह..
भारतीय छात्रों को आकर्षित कर रही तिब्बत की संस्कृति

अपने पड़ोसी देशों की संस्कृति और खान-पान को जानने के उत्सुक रहने वाले भारतीयों को अब तिब्बत की संस्कृति आकर्षित कर रही है। यही कारण है कि प्रतिष्ठित तिब्बत यूनिवर्सिटी के भाषा और संस्कृति से संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के इच्छुक विदेशियों में ज्यादातर छात्र भारतीय हैं।
तिब्बत यूनिवर्सिटी की उपाध्यक्ष त्सेयांग चांगनगोपा तिब्बत की संस्कृति के प्रति भारतीयों के रुझान से काफी उत्साहित हैं। वह कहती हैं, हमें भारतीय छात्रों की ओर से बड़ी संख्या में आवेदन मिल रहे हैं, जो यहां विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना चाहते है। पिछले तीस वर्षो से तिब्बत युनिवर्सिटी में पढ़ा रही चांगनगोपा खुद भारतीय व्यंजन बनाना सीखना चाहती हैं।
उन्होंने अपनी छात्रा मैंडी के साथ पहली बार भारतीय स्वाद चखा था, जिसके बाद से वे इसकी दीवानी हो गई हैं। चांगनगोपा ने बताया कि युनिवर्सिटी में कई भारतीय छात्र तिब्बती भाषा सीखते हैं और बहुत अच्छी तरह से उसका उच्चारण भी करते हैं। स्थानीय लोगों से तिब्बती में बात करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आती।
उन्होंने बताया कि तीस से अधिक विदेशी छात्रों ने पारंपरिक तिब्बती संस्कृति, तिब्बती भाषा और इतिहास जैसे विषयों को अपने अध्ययन के लिए चुना है। इसके बाद विज्ञान और तकनीकी से संबंधित कोर्स काफी प्रचलन में हैं। तिब्बत यूनिवर्सिटी में प्रलेखन विभाग के त्से वांग लांग जी बताते हैं, यहां के पुस्तकालय में भारतीय भाषाओं विशेषकर संस्कृत में लिखी सदियों पुरानी पांडुलिपियों को बहुत ही संभाल कर रखा गया है।
भारत के साथ हमारे नजदीकी संबंध है। मैं जब भी अपने छात्रों को पढ़ाता हूं तो भारतीय संस्कृति और भारत मंें बौद्ध धर्म का संदर्भ अवश्य देता हूं।
Share Your View via Facebook
top trend
-
अब टीम अन्ना एनडीए में शामिल होगी - दिग्विजय सिंह
-
एक उत्तर प्रदेश के भारतीय का खुला पत्र राहुल गाँधी के नाम
श्री राहुल गाँधी जी मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप देश के बड़े राज (?) परिवार से संबंध रखते हैं परन्तु आपके भाषणों से समृ..
-
मातृभूमि के लिए समर्पित थे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद
डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। (जन्म- 3 दिसम्बर, 1884, जीरादेयू, बिहार, मृत्यु- 28 फ़रवरी, 1963, स..
-
कालिदास जयंती कार्तिक शुक्ल द्वादशी पर विशेष
कालिदास संस्कृत भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार थे। इन्हें विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक माना जाता है। इतिहासकार काल..
-
शहीद कारसेवकों को नमन : गोधरा रेल नरसंहार
27 फरवरी 2002. 'आधुनिक' भारत के इतिहास का एक और काला दिन. इसी दिन इस 'स्वतंत्र' और "धर्मनिरपेक्ष&qu..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)