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श्रीलंका में बौद्ध भिक्षुओं ने दरगाह तोड़ी, दरगाह को मस्जिद में बदलने की साजिश का आरोप

बीबीसी को मिली जानकारी के मुताबिक़ श्रीलंका में बौद्ध भिक्षुओं के एक समूह ने पिछले हफ़्ते कुछ लोगों के साथ मिलकर मुसलमानों की एक दरगाह को गिरा दिया है...
ये घटना एक प्राचीन बौद्ध शहर अनुराधापुर में शनिवार को हुई जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है.
दरगाह तोड़ने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले बौद्ध संन्यासी ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया कि जिस ज़मीन पर दरगाह बनी थी वो दो हज़ार साल पहले श्रीलंकाई बौद्धों को दी गई थी.
लेकिन इलाक़े में रहने वाले एक प्रभावशाली मुसलमान व्यक्ति ने कहा कि इस घटना से उन्हें बहुत दुख पहुंचा है. कई सिंहली लोगों ने भी दरगाह तोड़े जाने पर खेद प्रकट किया है.
तस्वीर
श्रीलंका की एक समाचार वेबसाइट पर कुछ तस्वीरें छपी हैं जिनमें बौद्ध
भिक्षुओं वाली एक भीड़ दरगाह को तोड़कर मलबे में तब्दील करते हुए नज़र
आ रही है.
तस्वीर में भीड़ बौद्ध ध्वज लहरा रही है और एक तस्वीर में लोग हरे रंग के मुसलमानों के झंडे को जलाते हुए नज़र आ रहे हैं.
इसके अलावा वहां और क्या कुछ हुआ इसके बारे में और जानकारी नहीं मिल सकी है.
लेकिन बीबीसी ने बौद्ध भिक्षु अमाथा धम्म थेरो से बात की है जिन्होंने दरगाह को तोड़ने की योजना बनाने की बात क़बूल की है.
बौद्ध भिक्षु ने बताया कि सौ से ज़्यादा संन्यासियों को जमा कर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया और उनमें दूसरे एशियाई देशों के संन्यासी भी शामिल थे,
उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय मुसलमान दरगाह को मस्जिद में तब्दील करने की कोशिश कर रहे थे जबकि इस स्थल पर नए निर्माण को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया गया है.
उन्होंने कहा कि स्थानीय सरकारी अधिकारी ने वहां आकर कहा कि वे तीन दिन के भीतर दरगाह को हटा देंगे लेकिन लोगों का कहना था कि वो और इंतज़ार नहीं करेंगे और फिर दरगाह को गिरा दिया गया.
बौद्ध भिक्षुओं की इस कार्रवाई की एक स्थानीय वरिष्ठ मुसलमान और एक सिंहली राजनेता ने भर्त्सना की है.
Read in English : Sri Lanka Buddhist monks destroy Muslim shrine
चिंता
अब्दुल रज्ज़ाक नाम के इस शख़्स ने मस्जिद बनाने की योजना से इनकार
किया और कहा कि गिराई गई दरगाह क़रीब 300 साल पुरानी थी और वहां दूसरे
धर्म के लोग भी आते थे.
उन्होंने कहा कि स्थानीय मुसलमान और बौद्ध धर्मावलंबी दोनों इस घटना से चिंतित हैं लेकिन मुसलमानों ने शनिवार को सांप्रदायिक सद्भाव भंग होने के डर से दरगाह से दूरी बनाए रखी.
राजनेता अरुणा दिसानायके ने कहा कि जिन लोगों ने दरगाह तोड़ी है उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग एक ऐसी जगह पर सांप्रदायिक समस्या खड़ी करना चाहते हैं जहां मुसलमान और श्रीलंकाई बौद्ध मिल-जुलकर रहते आ रहे हैं.
श्रीलंका के ज़्यादातर सिंहली लोग बौद्ध धर्मावलंबी हैं और मुसलमानों को अलग संस्कृति का माना जाता है.
हाल ही में एक अख़बार में छपे लेख में एक वरिष्ठ मुस्लिम पत्रकार ने लिखा था कि मुसलमानों में ये डर बढ़ता जा रहा है कि कुछ लोग सिंहलियों को उनके ख़िलाफ़ भड़काने का अभियान चला रहे हैं और इसके लिए वेबसाइट और प्रिंट मीडिया की मदद भी ली जा रही है.
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