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9/11 के 10 साल: अल कायदा का हमला अमेरिकी सरकार की साजिश?

11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए सबसे भीषण आतंकवादी हमले को 10 साल होने वाले हैं। इस दौरान कई किताबों, फिल्मों और वेबसाइट के जरिए यह बात साबित करने की कोशिश की गई कि यह हमला अमेरिकी साजिश का नतीजा भी हो सकता है। साजिश वाले एंगल को किसने किस तरह मजबूत करने की कोशिश की, इस पर ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' में एक कंपाइल्ड रिपोर्ट छपी है।
कई लोग इसे अमेरिकी सरकार की साजिश मानते हैं और कहा जाता है कि
अमेरिका ने इराक में जारी युद्ध और अफगानिस्तान पर हमले का बहाना
ढूंढने के लिए यह साजिश रची और इस हमले का दोष अल कायदा के मत्थे मढ़
दिया। ‘द गार्जियन’ के मुताबिक 9/11 की घटना पर लिखी कई किताबें, बनाई
गई फिल्में और इस घटना की साजिश को लेकर तैयार की गई कई वेबसाइटें
सुपरहिट रहीं हैं। इन सभी की थ्यौरी यही कहती है कि वर्ल्ड ट्रेड
सेंटर और पेंटागन पर हुआ हमला अल कायदा की साजिश से कही ज्यादा जटिल
मसला है। इन सभी थ्यौरी में सबसे प्रचलित कुछ थ्यौरियां इस तरह हैं।
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावरों को उड़ाने के लिए विस्फोटकों का
इस्तेमाल किया गया था। इजराइल की खुफिया एजेंसी को इन हमलों की
जानकारी थी और इसलिए इन हमलों में एक भी यहूदी नहीं मारा गया। इन
टावरों से टकराने वाले विमान विस्फोटकों से भरे थे और इन्हें रिमोट
कंट्रोल से नियंत्रित किया गया था।
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन की इमारत पर हुए हमले के बारे में
कहा जाता है कि इस पर अमेरिकी विमान से नहीं बल्कि मिसाइल से हमला
किया गया था। इस दुर्घटना में कंजर्वेटिव टीवी कमेंटेटर बारबरा ओल्सन
की मौत हो गई थी। इस घटना से कुछ मिनट पहले ही बारबरा ने अपने पति जो
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल थे, को फोन किया था। इस बारे में कहा जाता है
कि ओल्सन को गुपचुप तरीके से अगवा कर लिया गया था और फोन कॉल्स में
सुनाई देने वाली आवाज नकली थी जिसे तकनीक के जरिये तैयार किया गया था।
यही नहीं बारबरा के शव को समुद्र में फेंक दिए जाने की भी बात सामने
आई है।
फ्रांस के एक लेखक थियरी मेसन की बेस्टसेलर बुक ‘9/11: द बिग लाई’ इन
हमलों के कुछ महीने के भीतर ही प्रकाशित हुई थी जिसमें दावा किया गया
था कि पेंटागन पर मिसाइल से हमला किया गया था और इसे विमान से हुई
दुर्घटना साबित करने के लिए मौके पर विमान के कल पुर्जे लाकर रखे गए
थे।
इसी तरह डीन हार्टवेल ने अपनी किताब ‘प्लेन्स विदाउट पैंसेजर्स: द
फेक्ड हाइजैकिंग ऑफ 9/11 एंड ओसामा बिन लादेन हैड नथिंग टू डू विथ
9/11’ में इस बात के दस्तावेजी सबूतों का जिक्र किया है कि हाइजैक
किए गए विमान कभी उड़े ही नहीं थे और अन्य दो विमान सुरक्षित तरीके
से किसी गोपनीय स्थान पर लैंड कर गए थे। कहा जाता है कि अमेरिकी
सरकार ने इस तरह के दर्दनाक दृश्य इसलिए पैदा किए ताकि लोग
अफगानिस्तान और इराक में कार्रवाई का समर्थन करें।
ऐसा भी नहीं है कि इन थ्यौरी को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है। 2006
में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक हर तीन में एक अमेरिकी का मानना था
कि 9/11 हमलों में बुश प्रशासन का हाथ था। अमेरिका प्रशासन ने इसे
इराक के खिलाफ युद्ध को सही ठहराने या फिर इस तरह की जंग कहीं और
(अफगानिस्तान) में शुरू करने के लिए अंजाम दिया। 2009 में अमेरिकी
सरकार ने इस तरह की साजिश को खारिज करने के मकसद से एक दस्तावेज भी
जारी किया था।
इन हमलों के पीछे साजिश होने की बात बयां करती हाल में प्रकाशित एक
किताब ‘द इलेवेंथ डे: फुल स्टोरी ऑफ 9/11 एंड ओसामा बिन लादेन’ के सह
लेखक रॉबिन स्वान कहते हैं कि ट्विन टावरों को उड़ाने वाले विमानों
को लेकर पहली बार संदेह हमले के दिन ही हुआ था। डेविड रॉस्टचेक नामक
एक अमेरिकी शख्स ने 11 सितंबर 2001 को चैंटिंग में कहा था, ‘ऐसा लगता
है कि टावरों को नियंत्रित तरीके से गिराया गया।’ स्वान का कहना है
कि इस साजिश में न सिर्फ सेना और एफबीआई बल्कि एयरलाइंस और राहत बचाव
दल के सदस्य भी शामिल थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के कई आला
अधिकारी, पूर्व सैनिक और शिक्षाविद् भी इस घटना के पीछे सरकार का हाथ
देखते हैं।
थियोलॉजी के प्रोफेसर डेविड गिफिन ने 11 सितंबर के हमले को अमेरिकी
सरकार की साजिश करार देते हुए 9 किताबें लिखी हैं। इनका तर्क है कि
मध्य पूर्व में साम्राज्य स्थापित करने को सही ठहराने के लिए
अमेरिकी सरकार ने ऐसी साजिश रची थी। यह थ्योरी अरब जगत में भी मशहूर
है कि अमेरिकी सरकार ने इन हमलों का दोष मुस्लिम आतंकवादियों पर मढ़
दिया। अरब जगत में कुछ लोग इसके लिए इजराइल को भी जिम्मेदार ठहराते
हैं।
गिफिन उन लोगों में एक हैं जिनका दावा है कि टावर पर हमला करने के लिए
अपहृत विमानों पर सवार कुछ मुसाफिरों की आवाज तकनीक के जरिये इस तरह
सुनाई गई जैसे वो वाकई डरे हुए हैं। क्योंकि जिस ऊंचाई पर विमान उड़
रहे थे वहां मोबाइल के टावर काम नहीं करते हैं। हालांकि बारबरा और कुछ
और के फोन जहाजों में सीट के पीछे लगे फोन से किए गए थे।बर्घम यंग
यूनिवर्सिटी में फिजिक्स पढ़ाने वाले स्टीवन जोंस का दावा है कि
उनके पास इस बात के वैज्ञानिक सबूत हैं कि ट्विन टावरों को नियंत्रित
विस्फोटकों के जरिये गिराया गया था जो अमेरिकी सरकार की साजिश थी।
जोंस के ये दावे मौके से बरामद धूल और मलबे के नमूनों के विश्लेषण पर
आधारित हैं।
अमेरिका में 9/11 पर कई फिल्में भी बनीं जिनमें यह सवाल उठाया गया कि
क्या कोई विमान पेंटागन से टकराया था, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत
क्यों भरभरा कर गिर पड़ी और विमानों से किए गए मुसाफिर के फोन कॉल्स
फर्जी थे। इन फिल्मों की लाखों डीवीडी बिकीं और इन्हें फॉक्स टीवी
के स्थानीय चैनलों पर दिखाया भी गया।
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