बाबा रामदेव ने कहा कि राहुल गांधी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन उनके सामने ही कालाधन की मांग करने वालों को पीटा जाता है..
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की लोकप्रियता का ग्राफ इस सप्ताह
काफी नीचे गिरकर औसतन 40 फीसदी रह गया। राष्ट्रपति बनने के बाद पहली
बार उनकी लोकप्रियता का स्तर इतना नीचे गया है।
सर्वेक्षण संस्था ‘गैलप’ के मुताबिक आठ से 14 अगस्त के बीच ओबामा की
लोकप्रियता का आंकड़ा औसतन 40 फीसदी तक आ गया।
इस सप्ताह में 11-13 अगस्त के दौरान ओबामा की लोकप्रियता गिरकर 39
फीसदी तक पहुंच गई। 12-14 अगस्त तक उनकी लोकप्रियता का ग्राफ 41 फीसदी
रहा।
संस्था ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के नाटकीय घटनाक्रम
को देखते हुए यह पता करना कठित है कि राष्ट्रपति के कामकाज की
लोकप्रियता किन कारणों से नीचे गई है।’’ गैलप का कहना है, ‘‘मौजूदा
हालात में यह मानना तर्कसंगत है कि बीते कुछ सप्ताह के घटनाक्रमों का
असर उनकी लोकप्रियता पर हुआ है।’’ अमेरिका में द्वितीय विश्व युद्ध के
बाद 10 अमेरिकी राष्ट्रपति दोबारा चुनाव में खड़े हुए। इनमें से ऐसा
कोई राष्ट्रपति दोबारा नहीं चुना जा सका, जिसकी लोकप्रियता का आंकड़ा
48 फीसदी से नीचे चला गया था।
Share Your View via Facebook
top trend
-
एक ही परिवार ने लूट कर इस देश को बर्बाद कर दिया
-
नरेन्द्र मोदी से भयभीत है पाकिस्तान...
भारतीय उपखंड में इन दिनों गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तूती बोल रही है। भारत में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ही ..
-
जहरीली यमुना पर गुजरने भर से दिल्ली मेट्रो के एसी हो रहे हैं खराब, इंसानों के शरीरों का क्या?
कभी श्रीकृष्ण की मुरली के स्वर-अमृत प्राप्त करने वाली यमुना आज कितनी जहरीली हो चुकी है, वैसे तो इसके लिए दिल्ली में उसे ..
-
गुजरात काँग्रेस के दुष्प्रचार, चुनाव आयोग मे शिकायत दर्ज
गुजरात काँग्रेस अपने ही झूठ के जाल मे फँसती नज़र आ रही है। गुजरात विधानसभा चुनाव मे काँग्रेस द्वारा जारी भ्रामक विज्ञापनो..
-
राम से बाबर तक : अयोध्या एक यात्रा
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)