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गरीब भारतीय जनता रोज बिना कारण विमान की टिकट का पैसा चुकाती है?

एक बार मैं बैंगलोर से मुम्बई विमान में गया था । विमान की क्षमता
300 यात्रियों की थी । लेकिन विमान में 40 से कम यात्री थे। 250 से
अधिक सीटें खाली पडी थीं । इतनी सीटें खाली देखकर मैं घबरा गया ।
मझे इतनी समझ थी कि इंडियन एयरलाईंस करोडों का घाटा कर रही हैं और
सैकडों सीटें खाली रहने से यह घाटा बढता ही जायेगा । मैं घबराया
इसीलिये कि मैंने तो विमान में यात्रा की इसीलिये मुझे विमान की मेरी
टिकट का खर्च देना पडेगा, लेकिन हमारे करोडों गरीब लोग जिन्होंने कभी
विमान नहीं देखा भी नहीं है – उन्हें यह खाली सीटों का पैसा चुकाना
पडेगा ।
यह बात आम लोग जानते ही नहीं, लेकिन यह सत्य है कि विमान में जो भारी
सँख्या में सीटें खाली रहती हम, उन सब खाली सीटों की विमान की टिकट की
भारी रकम गरीब व आम जनता को चुकानी पडती है । सन 2002-2003 के एक साल
में इंडियन एयरलाईंस ने १९७ करोड का घाटा किया अर्थात ५४ लाख रुपये का
प्रतिदिन का घाटा ।
इतना बडा घाटा जाने का सबसे बडा कारण मात्र यही हो सकता है कि इंडियन
एयरलाईंस के विमानों की सीटें खाली रहती हैं । पूरे यात्री मिलते नहीं
हैं फिर भी निर्धारित समय पर विमान तो उडाना ही पडता है । आप पूछेंगे
फिर रूट को बँद क्यूँ नहीं कर देते ? इसका सीधा का उत्तर है कि किसके
बाप की दीवाली है ? यह तो सरकारी कंपनी है ।
तो प्रश्न उठता है कि ये कंपनियाँ इतना पैसा लाती कहाँ से हैं ? जवाब
सीधा है आम जनता पर कर डालकर सरकार पैसे एकत्र कर लेती है । इसका सीधा
अर्थ यह हुआ कि धनवान लोग जब विमान में प्रवास करते हैं उन्हें तभी
विमान का पैसा देना पडता है लेकिन गरीब जनता को रोज बिना कारण विमान
की टिकट का पैसा चुकाती है चाहे उसने विमान देखा भी ना हो !
स्वराज प्रकाशन समूह की पुस्तक
- गरीबी बढाने का षडयंत्र – बजट का मायाजाल (लेखक वेलजी भाई
देसाई)
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