रामलीला मैदान में हुई पुलिस की कार्रवाई के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एमिकस क्युरी (कोर्ट सलाहकार) ने कहा..
शिवेंद्र के पत्र से टीम अन्ना में असंतोष, केजरीवाल की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही टीम अन्ना की आपस की लड़ाई एक
बार फिर चौराहे पर आ गयी है। यदि टीम अन्ना की भाषा में ही कहें, तो
इस बार ‘विसल्ब्लोअर’ हैं इंडिया अगेंस्ट करप्शन को सोशल मीडिया के
सहारे देश और दुनिया के हर कोने में ले जाने वाले शिवेंद्र सिंह। सोशल
साइटों के जरिए टीम अन्ना और उसके आंदोलन को मशहूर करने वाले शिवेंद्र
ने अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर उनकी एकतरफा कार्यप्रणाली और टीम
में लोकतन्त्र की उपेक्षा पर तीखे सवाल उठाए हैं।
In English : Whistle blown from Within, Are you listening
Anna?
शिवेंद्र की यह चिट्ठी तब सार्बजनिक हुई है जब केजरीवाल ने पिछले
दिनों ही सार्बजनिक रूप से शिवेंद्र और उनके कामकाज के तौर-तरीकों पर
असहमति जताई थी तथा उन्हें सही (?) न करने पर उन्हें टीम से हटाने की
बात भी कही थी। केजरीवाल का यह भी कहना था कि शिवेंद्र लोकतांत्रिक
प्रक्रिया में विश्वास नहीं रखते तथा टीम की सोच के विपरीत एकतरफा
निर्णय लेते हैं।
केजरीवाल को अपने पत्र में शिवेंद्र लिखते हैं, 'जब तक आप यह साबित
नहीं कर देते कि आप इस आंदोलन के अगुवा हैं और मैंने कभी भी आंदोलन के
हितों के खिलाफ काम किया है, आप किस अधिकार से मुझे बाहर निकाल सकते
हैं या मुझ पर मिथ्या आरोप लगा सकते हैं ? मेरा यह दृढ मत है कि है कि
असहमति रखना और यहाँ तक कि, स्वतंत्र रूप से भी आंदोलन के हितों के
लिए काम करना भी कभी, आंदोलन को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं हो
सकता।'
शिवेंद्र ने अपने पत्र में लिखा, 'यह भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जनता का
आंदोलन है तथा इस आंदोलन पर कोई एकाधिकार नहीं चला सकता। और जहाँ तक
किसी को रखने या निकालने का विषय है, तो हम में से अधिकतम लोग स्वयं
इस आंदोलन में जुड़े हैं, न कि किसी प्रक्रिया के अंतर्गत, जो किसी को
बाहर निकाल दिया जाए।'
शिवेंद्र ने कोर कमिटी चुनने की प्रक्रिया पर भी गंभीर प्रश्न उठाये
हैं तथा यह पूछा है कि किस प्रक्रिया से सदस्यों का चुनाव किया गया।
उन्होंने उल्लेख किया है कि किस प्रकार आंदोलन के प्राथमिक चरणों में
कहीं भी नहीं दिखाई देने वाले कई लोग अचानक पूरे आन्दोलन के संचालक
मंडल में शामिल हो गए तथा प्रश्न पूछने वालो को बाहर का रास्ता दिखा
दिया गया। शिवेंद्र यह भी बताते हैं कि किस प्रकार उन्हें जनवरी में
अरविन्द केजरीवाल ने कोर कमिटी का सदस्य बनाने का प्रस्ताव दिया था
जिससे उन्होंने मना कर दिया था और जब बाद में वो केजरीवाल के कहने पर
एक बार बैठक में शामिल हुए, तो आगे से उन्हें बुलाया ही नहीं गया।
उन्होंने अपने पत्र में पूछा है कि , 'मेरा सवाल यह है कि किस
लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत मुझे कोर कमिटी में शामिल करने की पेशकश
की गई थी।' उन्होंने कहा कि सही तरीका वह होता, जिसमें कोर कमिटी के
सदस्यों को चुनने के लिए भी जनलोकपाल के सदस्यों को चुनने जैसा तरीका
अपनाया गया होता।‘
शिवेंद्र के अनुसार केजरीवाल ने उनसे यह भी कहा कि वो फेसबुक पर उनका
महिमामंडन करे और बताया कि बाद में सोशल मीडिया की टीम में जान बूझकर
ऐसे लोग जोड़े गए, जो पूरे समय अरविन्द, मनीष सिसोदिया और उनके
करीबियों का महिमामंडन करते रहते हैं।
शिवेंद्र की इस आंदोलन के प्रति निष्ठा को संपूर्ण देश में लोगो ने
जाना और माना है। परिस्थितियाँ यह कह रही हैं कि इन आरोपों में यदि
हल्का सा भी कुछ दम है, तो अरविन्द केजरीवाल को स्वयं इन सब
बातो की जांच करानी चाहिए।
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