अमेरिकी वेबसाइट ने सोनिया को बताया अरबों का मालिक, भारतीय मीडिया आहत, दी मुक़दमे की सलाह

Published: Tuesday, Mar 13,2012, 12:21 IST
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यदि चापलूसी के लिए पारितोषिक मिले तो भारत के मीडिया को पछाड़ना मुश्किल होगा | वैसे तो भारत का  इंग्लिश मीडिया कितना कुख्यात है, विशेषकर यदि मामला संघ अथवा मोदी से जुड़ा हो तो मीडिया के रूख का अनुमान लगाना सरल है और यदि कहीं राजनीति के “मन्दिर” में बैठे गांधी परिवार से जुड़ा हो तो तो और भी सरल ।
 
हुआ यूँ कि अमेरिका की बिजनेस इनसाईडर वेबसाइट ने विश्व के सबसे धनी राजनीतिज्ञों की सूची जारी की है । इस सूची में सोनिया गांधी को चौथे नंबर पर रखा गया है । उनकी कुल संपत्ति २ अरब डॉलर से लेकर १९ अरब डॉलर की सीमा में रखी गयी है । यह अनुमान स्विट्ज़रलैंड की पत्रिका में छपे राजीव गांधी के गुप्त खाते के आधार पर निकाला गया हो सकता है । ज्ञात हो कि डॉ. सुब्रमनियन स्वामी कहते रहे हैं कि बोफोर्स से शुरू हुआ दलाली का सिलसिला लंबा चला है और सोनिया एवं उनके परिवार को हिस्सेदारी मिलती रही है । ये भी ध्यान रहे कि सुब्रमनियन स्वामी को सोनिया गांधी के विरुद्ध अभियोग चलाने के लिए आवश्यक अनुमति मनमोहन सिंह की सरकार ने नहीं दी है । सोनिया गांधी के अरबों डॉलर पर पहले भी लेख लिखे जाते रहे हैं – उदाहरण के लिए सोनिया गांधी के दामाद रोबर्ट वढेरा (जिन्हें भारत के किसी भी एअरपोर्ट पर सुरक्षा जाँच से गुजरने की जरुरत नहीं जबकि वो किसी सरकारी पद पर नहीं, केवल सोनिया जी के दामाद हैं) किस तेजी से अरबपति बने हैं, यह भी जनता के संज्ञान में है । मुख्यधारा का मीडिया छापे न छापे लेकिन “robert vadra fastest billionaire” की एक गूगल सर्च चौंकाने वाले परिणाम देती है ।
 
अब इस लेख पर गांधी परिवार की ओर से तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है परन्तु स्वामिभक्त मीडिया ने करतब दिखाने शुरू कर दिए हैं । पहला प्रहसन किया है अंग्रेजी दैनिक फर्स्टपोस्ट ने । पत्र लिखता है कि सोनिया गांधी को बिजनेस इनसाईडर पर केस कर देना चाहिए । यह पत्र की हेडलाईन है । पत्र लेख में इसके लिए नाना प्रकार के तर्क भी देता है ताकि सोनिया गांधी की छवि पर लगे इस दाग को अपनी स्याही से धो सके । पत्र ये भी कहता है कि चूंकि बिजनेस इनसाईडर कोई छोटी मोटी वेबसाइट नहीं है, इसलिए सोनिया गांधी को केस करना चाहिए । बिना मांगे सुझाव देने की इस प्रवृत्ति को क्या कहें । जिस प्रकार सोनिया गांधी के बचाव में पत्र कूदा हैं, उससे संदेह होना स्वाभाविक है ।
 
ज्ञात हो कि अभी कुछ दिन पहले सोनिया गांधी ने अपने आयकर रिटर्न की जानकारी देने से मना कर दिया था । इससे पहले वे किस धर्म को मानती हैं, इस सादे से प्रश्न का उत्तर देने से भी इनकार कर चुकी हैं । उन्हें क्या बीमारी है, यह भी उन्होंने एक रहस्य बनाए रखा है । पर वीना मालिक, पूनम पाण्डेय और सनी लियोन के कपड़े पहनने, न पहनने की खबर परोसने वाला और प्रियंका गांधी के बच्चों तक को समाचार बनाने वाला मीडिया इतनी गंभीर बातों पर चुप लगा के बैठा है ।
 
यह भी गौर करने वाली बात है कि ये वही मीडिया है जिसने अभी कुछ दिन पहले संघ प्रमुख “मोहन भगवत को सुप्रीम कोर्ट की फटकार” शीर्षक से कोरी कल्पनाजन्य सफ़ेद झूठ समाचार बना के जनता को परोसा था जिसका भांडाफोड देशभक्त ट्वीपल्स ने किया । आनन फानन में कुछ मीडिया घरानों ने ये झूठा समाचार हटा दिया और कुछ ने लगा रहने दिया । इससे पहले बाला-साहेब ठाकरे की पोती का “निकाह” एक मुस्लिम के साथ होने की झूठी न्यूज़ मीडिया ने चटकारे ले लेकर छापी थी पर उसका भी देशभक्त नागरिकों ने भंडाफोड दिया क्योंकि उसका विवाह तो एक गुजराती युवक से हुआ था । इस झूठे समाचार को छापने और फिर उसे मिटाने और बदलने के प्रयास करने और जल्दबाजी में निशाँ छोड़ देने का एक उदाहरण यहाँ पर है।  इस लिंक की यूआरएल में स्पष्ट लिखा है कि निकाह किया और समाचार को बदल दिया गया है, वहीँ अंतिम पैरा में भूलवश पुराने समाचार का अंश छूट गया है
 
ऐसे ऐसे कितने ही उदाहरण मिल जायेंगे मीडिया की निकृष्टता के । मीडियाक्रूक्स नामक वेबसाइट मीडिया के इन्ही कुकर्मों का भंडाफोड करती रहती है । उदाहरण के लिए मीडिया लोकतंत्र के चौथा स्तंभ कहा जाता है पर उसी स्तंभ के वरिष्ठ और तथाकथित ‘प्रतिष्ठित’ अंश पहले नीरा राडिया के टेपों में और काश फॉर वोट्स कांड के स्टिंग ऑपरेशन की सीडी पचा जाने के चलते अपना मुँह काला करवा चुके हैं । अन्ना हजारे के अनशन की कवरेज करने पहुँची एनडीटीवी की एक ‘बहादुर’ महिला पत्रकार को जनता ने किस प्रकार दुत्कार कर भगा दिया था, यह काफी लोग जानते हैं । अपनी वेबसाइट के होम पेज पर खुल्लम खुल्ला नग्नता अश्लीलता परोसने वाला मीडिया स्वयं तो निर्वस्त्र हो ही चुका है, फिर भी अपने राजनैतिक आकाओं की इज्ज़त ढकने चला है । और तो और सोनिया गांधी को केस ठोकने की सलाह देने वाले उसी मीडिया के सदस्य हैं जो न्यायालय के निर्णयों एवं न्याय प्रक्रिया का निरंतर अपमान करते हुए जी भर कर गुजरात के विकास पुरुष नरेन्द्र मोदी को “हिटलर” और “मास मर्डरर” कहते आये हैं।
 
देश की जनता समझ रही है, पर थोड़ी हिचक है । जनता को ये खुल कर समझना होगा कि भ्रष्टाचार से लड़ाई में सबसे बड़ा छुपा हुआ शत्रु ये मीडिया घराने ही हैं जो भूखी जनता को सफ़ेद झूठ परोस कर सत्ता की मलाई में से हिस्सा बाँटते हैं।

 

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