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भारतीय घरों में ५० लाख करोड़ का सोना : भारतीय संस्कृति का प्रभाव एवं मजबूत भारत

श्रृंगार का प्रतीक सोना सदैव भारत वर्ष की पहचान रहा है। ज्ञातव्य
है की इसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान दिया गया है। अब इसे आप
अपने पूर्वजों की दूर दृष्टि ही कहेंगे की आज भी प्रत्येक घर में सोना
मिलता है, एवं यह जीवन का अभिन्न अंग है, भारतीय नारियाँ सोने के
प्रति विशेष रूप से आकर्षित होती हैं और यह केवल श्रंगार के रूप मैं
ही नहीं, घर-परिवार की समृधि के रूप में भी देखा जाता है। संकट के समय
भी सोना परिवारों को मजबूत स्तिथि प्रदान करता है।
दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार के अनुसार भारत में सोने की स्तिथि
का आंकलन किया गया है। आंकलन के अनुसार भारतीय घरों में तक़रीबन ५० लाख
करोड़ का सोना है। इससे यह तो स्पष्ट होता ही है की भारत को सोने की
चिड़िया क्यूँ कहा जाता रहा होगा और यह कहना भी बेमानी न होगा की
भारतीय आज भी संस्कृति एवं रीति रिवाजों से जुड़े हुए हैं।
बेशक सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं, पर इस पीली धातु से भारतीयों
का मोह कभी कम नहीं हुआ। अपने घरों में आभूषणों और अन्य रूपों में
१८,००० टन सोना जमा कर रखा है। इसकी कुल कीमत ९५० अरब डॉलर (करीब
४९,४०,००० करोड़ रुपये) है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी
का ५० प्रतिशत है। ग्लोबल अनुसंधान फर्म मैकक्वैरी की रिपोर्ट में ये
तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सोने के सौदे में भी
नंबर वन बन गए हैं।
जनवरी, २०१० से सितंबर २०११ के बीच कीमतों में ६४ फीसदी इजाफे के
बावजूद भी सोने की मांग बढ़ी है। बीते साल भारतीयों ने इसमें करीब
१,३०,००० करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह आंकड़ा बीते साल उनकी कुल
३२९ अरब डॉलर की कुल बचत से निकाला गया है। उन्होंने इसका आठ फीसदी तक
हिस्सा पीली धातु में निवेश किया।
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