योग गुरु बाबा रामदेव ने पहली बार गांधी परिवार पर हमले का शुभारंभ करते हुए आज उत्तर प्रदेश में एक बैठक के दौरान मतदाताओं ..
भारतीय घरों में ५० लाख करोड़ का सोना : भारतीय संस्कृति का प्रभाव एवं मजबूत भारत
श्रृंगार का प्रतीक सोना सदैव भारत वर्ष की पहचान रहा है। ज्ञातव्य
है की इसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान दिया गया है। अब इसे आप
अपने पूर्वजों की दूर दृष्टि ही कहेंगे की आज भी प्रत्येक घर में सोना
मिलता है, एवं यह जीवन का अभिन्न अंग है, भारतीय नारियाँ सोने के
प्रति विशेष रूप से आकर्षित होती हैं और यह केवल श्रंगार के रूप मैं
ही नहीं, घर-परिवार की समृधि के रूप में भी देखा जाता है। संकट के समय
भी सोना परिवारों को मजबूत स्तिथि प्रदान करता है।
दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार के अनुसार भारत में सोने की स्तिथि
का आंकलन किया गया है। आंकलन के अनुसार भारतीय घरों में तक़रीबन ५० लाख
करोड़ का सोना है। इससे यह तो स्पष्ट होता ही है की भारत को सोने की
चिड़िया क्यूँ कहा जाता रहा होगा और यह कहना भी बेमानी न होगा की
भारतीय आज भी संस्कृति एवं रीति रिवाजों से जुड़े हुए हैं।
बेशक सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं, पर इस पीली धातु से भारतीयों
का मोह कभी कम नहीं हुआ। अपने घरों में आभूषणों और अन्य रूपों में
१८,००० टन सोना जमा कर रखा है। इसकी कुल कीमत ९५० अरब डॉलर (करीब
४९,४०,००० करोड़ रुपये) है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी
का ५० प्रतिशत है। ग्लोबल अनुसंधान फर्म मैकक्वैरी की रिपोर्ट में ये
तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सोने के सौदे में भी
नंबर वन बन गए हैं।
जनवरी, २०१० से सितंबर २०११ के बीच कीमतों में ६४ फीसदी इजाफे के
बावजूद भी सोने की मांग बढ़ी है। बीते साल भारतीयों ने इसमें करीब
१,३०,००० करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह आंकड़ा बीते साल उनकी कुल
३२९ अरब डॉलर की कुल बचत से निकाला गया है। उन्होंने इसका आठ फीसदी तक
हिस्सा पीली धातु में निवेश किया।
Share Your View via Facebook
top trend
-
बाबा रामदेव का गांधी परिवार पर हमला, कांग्रेस का बहिष्कार करने की अपील
-
भारतीय मीडिया एक निरंकुश हाथी...
एमएमएस घोटालों मे हाल ही में आयी बाढ़ को व्यंग्यात्मक रूप से कुछ यूं देखा जा सकता है: यह राष्ट्र एक एमएमएस, मन मोहन सिंह..
-
कांग्रेस और जेहादियों से जान को खतरा : सुब्रमण्यम स्वामी
टेलीकॉम मामले पर केंद्र सरकार को कटखरे में खड़ा करने वाले जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस और जेहादियों स..
-
खाने की थाली को महंगी करने में सबसे बड़ा हाथ ग्लोबल वार्मिग का है
सरकारी आंकड़ों में मात्र 25 रुपये में एक दिन के गुजारे की रूपरेखा तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने क्या इस बात का आकलन किया क..
-
सरहद को प्रणाम, फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी की पहल
फरीदाबाद से जाने वाले दल का विवरण : आशीष गौड़, तुषार त्यागी, दिनेश शर्मा, प्रदीप सिंह, विपिन व..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)