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हिंदुओं के लिए काम करने की सजा, मां के सामने कपड़े उतारने की धमकी देते थे : असीमानंद
पंचकूला धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने वालों हिंदुओं को वापस अपने
में धर्म लाने के कारण केंद्र सरकार, एनआइए, सीबीआई एवं अन्य जांच
एजेंसियां जान-बूझकर मुझे फंसाने की कोशिश कर रही हैं। जबकि समझौता
ब्लास्ट मामले में लश्कर-ए-तैयबा एवं सिमी अपने गुनाह को कबूल कर चुके
हैं। यह बात स्वामी असीमानंद ने राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में कहते
हुए न्याय दिलाने की मांग की है।
स्वामी असीमानंद के वकील नरदेव शर्मा एवं अजय कौशिक ने सोमवार को
बताया कि उन्होंने लिखे पत्र में कहा है कि समझौता ब्लास्ट मामले में
पहले ही लश्कर-ए-तैयबा एवं सिमी ने अपने गुनाह कबूल लिए थे। यूनाइटेड
नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने भी इस मामले में जांच की थी। इसमें पूरा
खुलासा किया गया था।
जांच में बताया गया था कि आरिफ कोसमानी सहित तीन लोगों ने पूरी वारदात
को अंजाम दिया था, जिसकी फंडिंग दाऊद इब्राहिम ने की थी। समझौता
ब्लास्ट के बाद हरियाणा के डीजीपी, मुख्यमंत्री ने भी इस मामले में
लश्कर-ए-तैयबा के हाथ की बात कही थी। असीमानंद ने पत्र में कहा है कि
अजमेर शरीफ बम धमाकों को आतंकी संगठन सिमी के कार्यकर्ताओं ने अंजाम
दिया था। इस मामले में पुलिस ने कुछ मुस्लिम संगठनों के कार्यकर्ताओं
को गिरफ्तार भी किया था। उनके जुर्म कबूलने के बावजूद उन्हें छोड़
दिया गया।
इस प्रकार मालेगांव धमाके के आरोप में पकड़े गए नौ आरोपियों को जमानत
पर छोड़ दिया गया। असीमानंद ने किसी भी धमाके में अपना हाथ होने से
इंकार करते हुए कहा है कि एनआइए के अधिकारी पेशी से पहले उसे बयान याद
करवाते हैं। उन्होंने कहा कि जेल में उनके सामने ब्लैक बोर्ड पर पूरा
बयान लिखा जाता है। उसे पढ़कर याद करने को कहा जाता है और अदालत में
यही बयान देने के लिए दबाव बनाया जाता है।
लश्कर ए तैयबा का हाथ था तो मुझे क्यों फंसाया -
स्वामी असीमानंद के पत्र में लिखा है कि समझौता ब्लॉस्ट की जिम्मेदारी
सबसे पहले लश्कर ए तैयबा ने ली थी। जिसके तीन आतंकवादी पकड़े भी गए थे
और उन्होंने कबूल किया था कि समझौता ब्लॉस्ट उन्हीं की देन है और पैसा
दाउद इब्राहिम ने दिया था। इन तीनों आरोपियों का नाकरे टेस्ट भी हो
चुका है। जब ये बात कबूल चुके थे, तो उन्हें क्यों इस मामले में
फंसाया गया।
याचिका पर एनआईए को नोटिस -
मेरे मानवाधिकार नहीं : असीमानंद ने लिखा है मुझे जमानत नहीं दी गई,
जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे
मुस्लिम हैं और मैं हिन्दू और मेरे कोई मानवाधिकार नहीं हैं।
चंडीगढ़. समझौता एक्सप्रैस ब्लास्ट मामले के आरोपी स्वामी असीमानंद की
याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नेशनल इंवेस्टीगेटिंग एजेंसी
(एनआइर्ए) को नोटिस जारी किया है। असीमानंद ने याचिका में पंचकूला की
स्पेशल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें स्पेशल कोर्ट ने
समझौता एक्सप्रैस ब्लास्ट साइट से मिले नमूनों को अजमेर,
हैदराबाद,मालेगांव व भोडासा ब्लास्ट साइट से मिले नमूनों को हैदराबाद
की सीएफएसएल की लैब में मिलाने की अनुमति दी है।
स्वामी असीमानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि एनआईए जानबूझ
कर नमूनों के मिलान के बहाने उसे फंसाना चाहती है। अदालत ने मामले पर
एक दिसंबर के लिए सुनवाई तय की है। समझौता एक्सप्रेस में धमाका 18
सितंबर की देर रात व 19 सितंबर 2007 की सुबह किया गया था।
इसमें 68 लोग मरे थे जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एनएआई
ने विस्फोटकों की सील खोल इनकी जांच करने की मांग की थी जिसे पंचकूला
की स्पेशल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। कोर्ट के फैसले के खिलाफ
स्वामी ने हाईकोर्ट में दस्तक देकर इसे खारिज करने की मांग की। कहा
गया कि जांच का आदेश दिया गया तो उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर
उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा।
साभार दैनिक जागरण एवं दैनिक भास्कर
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