२६/११ : कुछ याद उन्हें भी कर लो, जो लौट के घर न आये

Published: Saturday, Nov 26,2011, 10:41 IST
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26/11, Kasaab, Commando Gajendar Singh, Major Sandeep Unnikrishnan, ATS  Chief  JCP  Hemant Karkare, ACP Ashok Kamte, Encounter Specialist Vijay Salaskar, Shri Tukaram Omble, IBTL

२६/११ को आतंकवादी हमले में भारत के २ एनएसजी कमांडो, १५ पुलिस अधिकारी व सिपाही, एवं लगभग १५० नागरिक अपने प्राणों की आहुति दे गए | आई बी टी एल का नमन उन्हीं में से कुछ शहीदों को जिन्होंने दूसरों के प्राण बचाते हुए अपने प्राण गँवाएँ |

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श्री तुकाराम ओम्बले : ओम्बले को २६-२७ नवम्बर की मध्य रात्रि को लियोपार्ड केफे, ओबेरॉय होटल आदि में गोलीबारी का समाचार आने के बाद मरीन ड्राइव पर तैनात होने का आदेश मिला था | लगभग १२:४५ पर उन्हें सूचना मिली कि २ आतंकवादी एक स्कोडा गाड़ी लेकर गिरगांव चौपाटी की ओर आ रहे हैं | थोड़ी देर बाद ही स्कोडा वहाँ से निकली और ओम्बले ने उसका मोटरसाईकल से पीछा किया | गाड़ी के चौपाटी सिग्नल पहुचते ही वहाँ बैरिकडिंग करने वाली पुलिस पर आतंकवादियों ने गोलियाँ चलाई पर इस बीच ओम्बले ने उनकी स्कोडा को ओवरटेक कर लिया | कसाब गाड़ी से नीचे उतरा और ओम्बले ने उसकी राईफल की नाल पकड़ ली | कसाब ने उन पर अंधाधुध फायर करना शुरू किया परन्तु उन्होंने नाल नहीं छोड़ी | इस बीच बाकी पुलिस वालों ने कसाब को पकड़ लिया पर २० गोली खा चुके ओम्बले ने अपने प्राण त्याग दिए | गणतंत्र दिवस २००९ पर उन्हें उनकी अदम्य वीरता के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया |

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In English : 26/11 : Kuch yaad unhe bhi karlo, jo laut ke ghar na aaye
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मेजर संदीप उन्नीकृष्णन : ३१ वर्षीय मेजर संदीप भारतीय सेना के एनएसजी के कमांडो थे | २६/११ को उन्हें ५१ ताज महल होटल के बचाव का दायित्व सौंपा गया था | उन्होंने १० कमांडो के दल के साथ होटल में प्रवेश किया व छठे तल पर पहुँचे जहाँ उन्हें महसूस हुआ कि आतंवादी तीसरे तल पर छुपे हैं आतंकवादियों ने कुछ महिलाओं को बंधक बनाया हुआ था | दरवाजा तोड़ कर उन्होंने गोलीबारी का सामना किया जिसमें कमांडो सुनील यादव घायल हो गए | मेजर संदीप ने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए सुनील को वहाँ से निकलवाया, लगातार गोलीबारी का उत्तर देते रहे और भाग रहे आतंकवादियों का पीछा भी किया | इस बीच उन्हें पीछे से गोलियों से भून डाला गया और उन्होंने बाद में दम तोड़ दिया | मेजर संदीप को भी उनके साहस के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया |

कमांडो गजेंदर सिंह : ३६ वर्षीय हवलदार गजेंदर सिंह भी एनएसजी में कमांडो थे और उस दल का हिस्सा थे जो नरीमन पॉइंट पर मोर्चा संभाल रहा था | उनके दल को नरीमन हाउस की छत पर उतारा गया था | उनके दल ने भीषण गोलीबारी का सामना किया | उन पर ग्रेनेड भी फेंके गए परन्तु आतंकवादियों को वश में करने के संकल्प के चलते वे दूसरे कमांडो के लिए मार्ग बनाते हुए आगे बढ़ते रहे | उन्होंने अपने सीने पर असंख्य गोलियाँ झेली और अपने प्राण गँवा दिए परन्तु उनका यह अदम्य शौर्य उनके दल को सफलता दिला गया | उन्हें भी मरणोपरांत अशोक चक्र से समानित किया गया |

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एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, अपर आयुक्त अशोक काम्टे, एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर: आतंकवादी हमले का समाचार मिलने पर एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे तुरंत छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पहुंचे और उसके बाद कामा चिकित्सालय पहुँचे | वहाँ से अशोक काम्टे, विजय सालस्कर, इंस्पेक्टर अरुण जाधव एवं ३ सिपाहियों के साथ क्वालिस गाड़ी में बैठ कर आतंकवादियों की तलाश में निकले | आतंकवादियों के एक लाल कार में छुपे होने की सूचना मिली थी | जब वे अपराध शाखा के कार्यालय से रंग भवन की ओर तो उन्होंने एक आतंकवादी (कसाब) को भागते हुए देखा | उस पर उन्होंने गोलियाँ चलायी और उसके हाथ में एक गोली लगी और रायफल उसके हाथ से गिर गयी | उसे पकड़ने के लिए वो गाड़ी से निकले तभी दुसरे आतंकवादी इब्राहीम खान ने उन्हें गोलियों से भून डाला | अरुण जाधव को छोड़ के शेष सभी ६ शहीद हो गए | हेमंत करकरे, अशोक काम्टे और विजय सालस्कर को २६ जनवरी २००९ को अशोक चक्र प्रदान किया गया |

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