गुजरात उच्च न्यायलय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा गुजरात के पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति एस एम् सोनी ने भारत के मुख्य न्या..
सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक : एक विध्वंसक प्रस्ताव
बहुसंख्यक समुदाय (हिन्दू) सदस्य को गिरफ्तार करने के लिए किसी
प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है | यदि अल्पसंख्यक समुदाय का कोई
व्यक्ति बहुसंख्यक समुदाय (हिन्दू) के सदस्य के विरुद्ध शिकायत दर्ज
करता है तो बहुसंख्यक समुदाय के सदस्य को यह सिद्ध करना होगा कि वह
निर्दोष है |
अत: यह सिद्धांत आपराधिक न्याय के उस मूल सिद्धांत के ठीक
विपरीत है जो यह कहता है कि कोई भी व्यक्ति उस समय तक अपराधी नहीं है
जब तक कि उसका अपराध सिद्ध नहीं हो जाता | इस बिल के अनुसार बहुसंख्यक
समुदाय का व्यक्ति तब तक दोषी है जब तक कि वह अपने ऊपर लगे आरोप को
गलत सिद्ध नहीं कर देता |
" यह विधेयक राज्य सरकार, की संवैधानिक और कार्यात्मक शक्तियों
में सीधा हस्तक्षेप है "
— सुश्री ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, प. बंगाल
" यह बिल असंवैधानिक है इसकी सोच विखंडनशील है, इसलिए इस बिल की कोई
जरुरत नहीं है " — श्री के. टी. थामस, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय
(सुप्रीम कोर्ट)
" इस विधेयक की आड़ में केंद्र राज्य सरकार की सभी शक्तियों को छिनना
चाहती है "
— सुश्री जय ललिता, मुख्यमंत्री, तमिलनाडु
" यह बेवकूफाना बिल है, इसे वोट बैंक की राजनीति के तहत लाया जा रहा
है "
— सरदार जोगिन्दर सिंह, पूर्व प्रमुख, सी.बी.आई
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