नई दिल्ली, काले धन के मुद्दे पर राजनीतिक समर्थन जुटाने के अभियान में जुटे बाबा रामदेव ने बोफोर्स के मुद्दे को भी छेड़कर ..
क्या कभी आपने संघ के पथ-संचलन का राष्ट्रीय मीडिया कवरेज देखा है
संघ की परम्परा में "भगवा ध्वज" ही सर्वोच्च है, कोई व्यक्ति, कोई पद अथवा कोई अन्य संस्था महत्वपूर्ण नहीं है। प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी यह बात रेखांकित हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा उज्जैन में विजयादशमी उत्सव के पथसंचलन समारोह में भाजपा के पार्षद, निगम अध्यक्ष, वर्तमान एवं पूर्व विधायक, सांसद एवं राज्य मंत्री सभी के सभी सामान्य स्वयंसेवकों की तरह पूर्ण गणवेश में कदमताल करते नज़र आए। जिन गलियों से यह संचलन गुज़रा, निवासियों ने अपने घरों एवं बालकनियों से इस पर पुष्प-वर्षा की।
अन्त में सभा के रूप में परिवर्तित, स्वयंसेवकों के विशाल समूह को सम्बोधित किया संघ के युवा एवं ऊर्जावान प्रवक्ता राम माधव जी ने, इस समय सभी "सो कॉल्ड" वीआईपी भी सामान्य स्वयंसेवकों की तरह ज़मीन पर ही बैठे, उनके लिए मंच पर कोई विशेष जगह नहीं बनाई गई थी…। मुख्य संचलन हेतु विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले स्वयंसेवकों के उप-संचलनों को जो समय दिया गया था, वे पूर्ण समयबद्धता के साथ ठीक उसी समय पर मुख्य संचलन में जा मिले। कांग्रेस (यानी एक परिवार) के "चरणचुम्बन" एवं "तेल-मालिश" संस्कृति को करीब से देखने वाले, संघ के आलोचकों के लिए, यह "संस्कृति" नई है, परन्तु एक आम स्वयंसेवक के लिए नई नहीं है।
परिवारिक चमचागिरी" से ग्रस्त, यही दुरावस्था हमारे मुख्य मीडिया की भी है…। ज़रा दिमाग पर ज़ोर लगाकर बताएं कि क्या आपने कभी किसी मुख्य चैनल पर वर्षों से विशाल स्तर पर निकलने वाले संघ के पथसंचलन का अच्छा कवरेज तो दूर, कोई खबर भी सुनी हो? कभी नहीं…। हर साल की तरह प्रत्येक चैनल रावण के पुतला दहन की बासी खबरें दिखाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। कल तो हद कर दी गई… भाण्ड-भड़ैती चैनलों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में राहुल गाँधी ने चाट खाई, उसमें मिर्ची कितनी थी, उसमें चटनी कितनी थी… तथा लालू यादव ने कहाँ तंत्र क्रिया की, कौन सी क्रिया की, क्या इस तंत्र क्रिया से लालू को कांग्रेस के नजदीक जाने (यानी चमचागिरी) में कोई फ़ायदा होगा या नहीं?, जैसी मूर्खतापूर्ण और बकवास खबरें "विजयादशमी" के अवसर पर दिखाई गईं, परन्तु हजारों शहरों में निकलने वाले लाखों स्वयंसेवकों के पथ-संचलन का एक भी कवरेज नहीं…।
असल में मीडिया को यही काम दिया गया है कि किस प्रकार हिन्दू परम्पराओं, हिन्दू संस्कृति, हिन्दू मन्दिरों, हिन्दू संतों की छवि मलिन की जाए, क्योंकि चर्च के पैसे पर पलने वाले मीडिया को डर है कि अनुशासित, पूर्ण गणवेशधारी, शस्त्रधारी स्वयंसेवकों के पथ संचलन को प्रमुखता से दिखाया तो "हिन्दू गौरव" जागृत हो सकता है।
ज़ाहिर है कि मीडिया की समस्या भी कांग्रेस और वामपंथ से मिलती-जुलती ही है… अर्थात "भगवा ध्वज" देखते ही "सेकुलर दस्त" लगना।
— सुरेश चिपलूनकर (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
Share Your View via Facebook
top trend
-
सोनिया से बोफोर्स की काली कमाई लाने को कहेंगे बाबा रामदेव
-
मेरी शिक्षा मातृभाषा में हुई, इसलिए ऊँचा वैज्ञानिक बन सका - अब्दुल कलाम
उच्च तकनीकी क्षेत्र जैसे उपग्रह निर्माण जिसे उच्च तकनीक कहा जाता जो बहुत कठिन एवं क्लिष्ट तकनीक होती है, उसमें आज तक कोई..
-
रामसेतु सिर्फ हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक नहीं अपितु भारत की सांकृतिक धरोहर है
हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड आज कोई नयी बात है, अयोध्या के राम-मंदिर का मुद्दा हो या अमरनाथ यात्रा को लेकर जमीनी विवा..
-
जैसा अन्न वैसा मन : सात्त्विक भोजन से सात्त्विकता स्वतः बढ़ेगी
आप क्या खाते पीते हो? आप ऐसी चीज खाते-पीते हो जिससे बुद्धि विनष्ट हो जाय और आपको उन्माद-प्रमाद में घसीट ले जाय? आप अपेय ची..
-
गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर शत शत नमन
विश्व के इतिहास में धर्म एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेगबहादुर साहब का स्थान अद्..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
IBTL Gallery
-
-
Action Committee Against Corruption in India (ACACI) with special focus on illgeal money flow in and out of the country
-
Students of various districts of Maharashtra doing parikrama of Amar Jawan Jyoti in Jammu
-
Bharat Mata ki Jai the only voice at Jantar Mantar 03 June 2012
-
The Esteemed Guest : Abhishesk Joshi, Maheish Girri Ji and others
-
Comments (Leave a Reply)