समाचार पत्रों में छपी ख़बरों और मीडिया चेनलों पर छाया रखा कि वर्तमान सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी और इंदिरा ग..
जब अपने मंच पर चार-पांच ईमानदार भी नहीं जमा कर पाए अन्ना, तो भ्रष्टाचार से क्या खाक लड़ेंगे?
मीडिया में जिस अग्निवेश की बदनीयती और बेईमानी के बेनकाब होने के बाद उसको अन्ना हजारे ने अपने से अलग किया है उस भगवाधारी के पाखंड की करतूतों का काला चिटठा दशकों पुराना है. लेकिन इसके बावजूद वह अन्ना हजारे की टीम का अत्यंत महत्वपूर्ण सदस्य बना हुआ रहा. प्रशांत भूषण-शांति भूषण के ” सदाचार ” के किस्से दिल्ली पुलिस को CFSL से मिली CD की जांच रिपोर्ट तथा इलाहाबाद के राजस्व विभाग एवं नोएडा भूमि आबंटन के सरकारी दस्तावेजों में केवल दर्ज ही नहीं हैं बल्कि सारे देश के सामने उजागर भी हो चुके हैं. अपनी नौकरी से इस्तीफे तथा खुद पर बकाया सरकारी देनदारी के विषय में लगातर 4 दिनों तक झूठे दावे करने के पश्चात स्वयम द्वारा 4 वर्ष पूर्व विभाग को लिखी गयी एक चिट्ठी में अपने दोषी होने की बात स्वीकारने की सच्चाई एक समाचार पत्र के माध्यम से उजागर होने के पश्चात अरविन्द केजरीवाल को वह सच भी स्वीकरना पडा जो खुद केजरीवाल द्वारा लगातार बोले गए झूठ को तार-तार कर बेनकाब कर रहा था.
सबसे गंभीर प्रश्न तो यह है कि जो अन्ना हजारे महीनों तक साथ घूमने के पश्चात् अपने इर्द-गिर्द पूरी तरह पाक-साफ़ पांच ईमानदार लोगों को एकत्र नहीं कर सके वो अन्ना हजारे किस जादू की कौन सी छड़ी से पूरे देश में हजारों ईमानदार “नेताओं” की फौज खडी कर देंगे…? चुनावी मैदान में उतरे व्यक्तियों में से किसी को भी बेईमान और किसी को भी ईमानदार घोषित करने का अधिकार केवल अन्ना हजारे के पास क्यों और किस अधिकार के तहत होगा…? चुनावी मैदान में उतरे व्यक्तियों में से किसी को भी बेईमान और किसी को भी ईमानदार घोषित करने का उनका आधार,उनका मापदंड क्या होगा…? उनके ऐसे निर्णयों का स्त्रोत क्या और कितना विश्वसनीय होगा…? ऐसा करते समय क्या अन्ना हजारे और टीम अन्ना के सदस्य स्वयं पर उठी उँगलियों और लगने वाले आरोपों का भी तार्किक तथ्यात्मक स्पष्टीकरण सत्यनिष्ठा के साथ देने की ईमानदारी दिखायेंगे या फिर इन दिनों की भांति केवल यह कहकर पल्ला झाडेंगे कि हमको परेशान करने के लिए ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं इसलिए हम इन सवालों का जवाब नहीं देंगे.
अन्ना हजारे ने 13 सितम्बर को ही टाइम्स नाऊ न्यूज़ चैनल के साथ हुई अपनी बातचीत के दौरान बाबा रामदेव से कोई सम्पर्क सम्बन्ध नहीं रखने, उनका कोई सहयोग-समर्थन नहीं करने का ऐलान भी किया, इसी के साथ लाल कृष्ण अडवाणी द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी रथयात्रा निकाले जाने की घोषणा को मात्र एक शिगूफा कहकर अन्ना हजारे ने उसका जबर्दस्त विरोध भी किया. आखिर कौन है ये अन्ना हजारे जो कभी ग्राम प्रधान का चुनाव लड़कर जनता की अदालत का सीधा सामना करने का साहस तो नहीं जुटा सका लेकिन देश में कोई भी व्यक्ति या कोई भी दल या कोई भी संगठन किसी मुद्दे पर क्या करे.? क्या ना करे.? इसका फैसला एक तानाशाह की भांति सुनाने की जल्लादी जिद्द निरंकुश होकर कर रहा है.
लाल कृष्ण अडवाणी या किसी भी अन्य राजनेता या राजनीतिक दल द्वारा केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार के विरोध में किये जाने वाले धरना, प्रदर्शनों, आन्दोलनों एवं आयोजनों का विरोध कर उनके खिलाफ ज़हर उगल कर अन्ना हजारे और टीम अन्ना ने केंद्र सरकार के रक्षा कवच की भूमिका में उतरने का सशक्त सन्देश-संकेत दिया है. अन्ना गुट की यह करतूत केवल और केवल इस देश की राजनीतिक प्रक्रिया-परम्परा को बंधक बनाकर उसकी मूल आत्मा को रौंदने-कुचलने का कुटिल षड्यंत्र मात्र तो है ही साथ ही साथ वर्तमान सत्ताधारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज़ का गला घोंटने का अत्यंत घृणित षड्यंत्र भी है.
स्वयम अन्ना के नेतृत्व वाली टीम अन्ना द्वारा लोकपाल बिल की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य सांसदों के घर के बाहर धरना देकर उनपर निर्णायक दबाव बनाने की घोषणा भी इसी षड्यंत्र के अंतर्गत रची गयी कुटिल रणनीति का ही एक अंग है. क्योंकि इसी देश में 1.76 लाख करोड़ की 2G घोटाला लूट में प्रधानमंत्री और तत्कालीन वित्तमंत्री चिदम्बरम की संलिप्तता साक्ष्यों के साथ प्रमाणित करने वाली पीएसी की रिपोर्ट को नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर कूड़े की टोकरी में फिंकवा चुके उसी पीएसी के सदस्य रहे कांग्रेस तथा उसके सहयोगी सत्तारूढ़ दलों के 11 संप्रग सांसदों के खिलाफ अन्ना हजारे और टीम अन्ना ने इसी तरह दबाव बनाना तो दूर उनके खिलाफ आजतक एक शब्द भी क्यों नहीं बोला…?
क्या 2G घोटाले के द्वारा की गयी 1.76 लाख करोड़ की सनसनीखेज सरकारी लूट अन्ना हजारे की “भ्रष्टाचार की परिभाषा” में नहीं आती है…? यदि ऐसा है तो अन्ना हजारे इस देश को बताएं कि 1.76 लाख करोड़ की सरकारी राशि की सनसनीखेज लूट को वो भ्रष्टाचार क्यों नहीं मानते हैं.? और यदि मानते हैं तो उस भ्रष्टाचार का भांडा फोड़ने वाली पीएसी की रिपोर्ट की धजियाँ उड़ाने वाले सांसदों पर दबाव बनाने, उनको धिक्कारने से मुंह क्यों चुरा रहे हैं.? क्या अन्ना हजारे और टीम अन्ना के स्वघोषित दिग्गज ऐसे किसी धरने/मुहिम और उसके जिक्र से भी इसलिए मुंह चुरा रहे हैं , क्योंकि ऐसे किसी धरने/मुहिम का निशाना केवल सत्तारूढ़ कांग्रेस और उसके सहयोगी दल ही बनेंगे तथा मनमोहन सिंह और चिदम्बरम को “तिहाड़” में ए राजा, कनिमोझी, के पड़ोस में भी रहना पड़ सकता है.? जबकि मनमोहन को तो स्वयं अन्ना हजारे आज भी सीधा-सच्चा-ईमानदार मानते हैं…!
ज्ञात रहे कि 1.76 लाख करोड़ के 2G घोटाले, 70 हज़ार करोड़ के CWG घोटाले या KG बेसिन घोटाले में रिलायंस के साथ मिलकर की जाने वाली लगभग 30 हज़ार करोड़ की सनसनीखेज लूट तथा बाबा रामदेव द्वारा उठाये जा रहे 400 लाख करोड़ के कालेधन की वापसी सरीखे सर्वाधिक सवेंदनशील मुद्दों पर अन्ना हजारे और टीम अन्ना के अन्य सेनापति गांधी के तीन बंदरों की भांति अपने आँख कान मुंह बंद किये हैं, तथा अपनी चुप्पी और उपेक्षा कर इन मुद्दों पर देश का ध्यान भी केन्द्रित ना होने देने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं. अपनी इस कुटिल रणनीति के पक्ष में अन्ना हजारे और उनकी टीम यह कह रही है कि अभी हमारा ध्यान केवल जनलोकपाल पर केन्द्रित है. अन्ना हजारे और उनकी टीम के दिग्गजों का यह कुतर्क क्या पुलिस के उस भ्रष्ट और बेशर्म सिपाही की याद नहीं दिलाता जो अपनी आँखों के सामने हो रही लूट या क़त्ल की घटना को अनदेखा कर उपेक्षा के साथ यह कहते हुए आगे बढ़ जाता है कि ये घटना मेरे थाना क्षेत्र में नहीं घटित हुई है.
अतः पाठक स्वयं निर्णय करें कि स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य सांसदों के घर के बाहर धरना देकर सस्ती लोकप्रियता वाहवाही लूटने को आतुर खुद अन्ना हजारे तथा उनकी फौज के सेनापति भ्रष्टाचार के हमाम में देश के सामने पूरी तरह नंगे हो चुके पीएसी के उन 11 सदस्य सांसदों की करतूत के जिक्र से भी क्यों मुंह चुरा रहे है…?
(लेखक सतीश चंद्र मिश्र लखनऊ के जाने माने पत्रकार हैं।)
Share Your View via Facebook
top trend
-
इंदिरा-राजीव जयंती की याद में 7.25 करोड़ खर्च
-
वेद, भारतीय दर्शन और संस्कृति का मूल आधार
वेद क्या हैं? भारतीय दर्शन और संस्कृति का मूल आधार, वेद हैं। सबको अपने में समाहित करने की हमारी प्रकृति और सबके लिए सदा ..
-
कांग्रेस और जेहादियों से जान को खतरा : सुब्रमण्यम स्वामी
टेलीकॉम मामले पर केंद्र सरकार को कटखरे में खड़ा करने वाले जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस और जेहादियों स..
-
भाजपा शासित राज्यों में मुस्लिम बेहतर स्थिति में
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस पर मुस्लिमों को 'आरक्षण की अफीम पिलाकर' वोटों हड़पने का प्रय..
-
फेसबुक ने दिया धोखा लॉग आउट होने के बाद भी चलता रहता था अकाउंट
न्यूयॉर्क, एजेंसी : आपकी चहेती सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक आपको निजता और सुरक्षा देने के लिए लगातार नई-नई एप्लीकेशन और प्र..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)