बीबीसी के पूर्व प्रमुख मार्क टूली ने यूपीए अध्यक्षा सोनिया गाँधी की वंशवाद की राजनीती की आलोचना की है | उन्होंने अपनी पुस्..
कब तक सरकार देश के शहीदों का अपमान करती रहेगी ? — आई.बी.टी.एल विशेष
वैसे भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्र शेखर आज़ाद का अपमान तो ये सरकार पिछले ६४ सालो से करती आ रही है... और २६ नवम्बर २००८ के मुंबई हमलो के अमर शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को भी सम्मान न दे सकी, उनके चाचा ने सरकार से शहीदों को सम्मान दिलाने के लाखों प्रयासों के बाद भी निराश ही हाथ लगी एवं उन्होंने ०४ फरवरी २०११ को संसद भवन के बाहर आत्मदाह कर लिया
अपमान किया बाटला हाउस में शहीद हुए मोहनचंद शर्मा का, शहीद शर्मा वही जाबांज पुलिस अफसर हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर बाटला हाउस में अपनी बहादुर टीम के साथ आतंकवादियो पर हमला किया था| ये वो खूंखार आतंकवादी थे जिन्होंने दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट किए थे और भारी तबाही मचाई थी.
वही दूसरी ओर जब इन आतंकवादियो को मारा गिराया अन्य साथियो को गिरफ्तार किया गया तो इन आतंकियों से मिली जानकारी एवं दस्तावेजों के आधार पर गुजरात, मुंबई, दिल्ली में जितनी भी आतंकी घटनाएं हुई उनमें शामिल अपराधियों तक तक पहुंचा जा सका| उनके गुप्त ठिकानों की जानकारी मिली एवं विभिन क्षेत्रों से अनेकों आतंकियों की गिरफ्तारी संभव हुई| अगर एक तरह से कहा जाए तो शहीद मोहनचंद शर्मा जी ने अपना बलिदान देकर देश में पनप रहे इस्लामिक आतंकवाद की कमर तोड़ कर रख दी थी| लेकिन शहीद मोहनचंद शर्मा जी के बलिदान पर राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा हमेशा से उंगलिया उठती रही है, कभी तो एनकाउंटर को फर्जी करार दिया गया तो कभी मारे गये और गिरफ्तार हुए आतंकवादियो को मासूम और बेगुनाह बच्चे बता कर शहीद की शहादत का अपमान किया गया|
बार-बार राष्ट्र द्रोहियो द्वारा मोहनचंद शर्मा जी की शहादत का अपमान किया गया, कभी जामिया के वाइस चांसलर द्वारा, तो कभी वहां के लोगों ने दिल्ली पुलिस की राष्ट्रवादी कार्यप्रणाली पर भी उंगलिया उठाई|
कल १९ सितम्बर को उनके बलिदान की तीसरी पुण्यतिथि पर राष्ट्रवादी संघठनो ने एक जुट हो कर उनको श्रदांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम रखा था... वहां उपस्तिथ पुलिस ने पूर्ण समर्थन दिया, कार्यक्रम के अनुसार होली फॅमिली हॉस्पिटल से बाटला हाउस तक मार्च निकालना था... जिसे पुलिस ने समुदाय विशेष के विरोध के कारण हॉस्पिटल के चौक तक ही रोक दिया... राष्ट्रवादियों ने उस चौक का नामकरण शहीद मोहनचंद शर्मा जी के नाम पर किया परन्तु राष्ट्रवादियों के वहाँ से हटते ही पुलिस ने समुदाय विशेष के दवाब में शहीद मोहनचंद शर्मा जी का नाम हटा दिया|
बाद में पुलिस ने वहाँ कागज़ पर नाम लिखने का सुझाव दिया ओर MCD का बहाना देने लगी... राष्ट्रभक्तो ने बोर्ड पर शहीद मोहनचंद शर्मा जी का नाम कागज़ पर लिख कर लगा दिया और जब वहा पुन: नाम लिखने की कोशिश की गयी तो पुलिस ने सभो को गिरफ्तार कर लिया
श्रदांजलि में सम्मलित संघठनो "भगत सिंह क्रांति सेना", "प्रत्यंचा", "हिन्दू संघर्ष समिति" ने MCD में इसकी लिखित जानकारी दी है और उस चौक का नाम शहीद मोहनचंद शर्मा जी के नाम पर रखने की मांग की है पर क्या आज़ाद भारत में एक शहीद का नाम लिखने के लिए किसी अनुमति की जरुरत होना चाहिए, वहीँ दूसरी ओर अरुंधती राय, गिलानी जैसे लोग पुलिस सुरक्षा में देश को खंडित करने का संकल्प लेते है और देश को टुकडो में बाटने के लिए सेमिनार करते हैं
- तरुण अग्रवाल (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार है)
Share Your View via Facebook
top trend
-
बीबीसी के मार्क टूली ने सोनिया की वंशवादी राजनीति के विरुद्ध भारत को चेताया
-
हिममानव के होने का सबूत मिला, वैज्ञानिकों ने ढूंढे बाल!
नई दिल्ली। एक, दो, तीन नहीं 30 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हिमालय में ही नहीं साइबेरिया के बर्फीले इलाकों में..
-
उत्तर प्रदेश में उभरेगा युवा नेतृत्व : डॉ. वेदप्रताप वैदिक
उत्तरप्रदेश के चुनाव का महत्व किसी भी प्रदेश के चुनाव से कई गुना है। ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं है कि वह सबस.. -
जय जवान जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसी हस्ती थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश को न सिर्फ सैन्य गौरव का तोहफा दिया बल्कि हरित..
-
यह गरीब नहीं, ढोर होने का पैमाना है : डॉ. वेदप्रताप वैदिक
अगर किसी की गरीबी तय करने का पैमाना सिर्फ यही है कि वह रोज़ाना कितना खर्च करता है तो हमारे देश में सबसे ज्यादा गरीब तो न..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)