एनडीटीवी लड़ेगा 2012 का गुजरात विधानसभा चुनाव, बरखा दत्त होंगी मुख्यमंत्री पद की दावेदार - फ़ेकिंग न्यूज़

Published: Monday, Sep 19,2011, 22:19 IST
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एनडीटीवी, 2012, गुजरात विधानसभा चुनाव, बरखा दत्त, मुख्यमंत्री पद की दावेदार

दिल्ली. देश के प्रमुख मीडिया हाउस एनडीटीवी ने एलान किया है कि वो 2012 का गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ेगा जिसके तहत गुजरात की सभी 182 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे।

फैसले की जानकारी देते हुए एनडीटीवी की मैनेजिंग एडिटर बरखा दत्त ने बताया कि वक्त आ गया है कि मीडिया संस्थान भी मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स का हिस्सा बनें। ख़ासतौर पर ऐसे समय जब एक राज्य विशेष में साम्प्रदायिक छवि वाला शख्स सालों से सत्ता पर काबिज़ हो, विपक्ष उसे रोक पाने में नाकाम हो और राज्य सरकार लगातार विकास के झूठे दावे पेश कर जनता को गुमराह कर रही हो।

बरखा ने आगे बताया कि एनडीटीवी में हमने पिछले दस सालों में तकरीबन दस हज़ार डिसकशन्स के ज़रिए ये साबित करने की कोशिश की है कि नरेन्द्र मोदी 2002 दंगों के असली गुनहगार हैं और अगले विधानसभा चुनावों में गुजरात की जनता उन्हें उखाड़ फेंकेगी। हमें उम्मीद थी कि हमारी तरफ से कांग्रेस ये बात गुजरात की जनता को समझा पाएगी मगर एक के बाद एक विधानसभा चुनावों में वो ऐसा करने में नाकाम रही। तभी तो गुजरात दंगों के बाद भी दो बार नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री चुन लिया गया।

हमारे कर्मठ संवाददाताओं ने एक के बाद एक अपनी रिपोर्टों से ये साबित किया कि गुजरात दंगों में सीधे तौर पर मोदी कसूरवार हैं। हमें उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल मोदी को उनके गुनाहों की सज़ा मिलेगी मगर मैं देख रही हूं कि अपने हालिया फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी सीधे तौर पर न सही, मगर उन्हें क्लीन चिट दे दी है।

इस सब के बाद एनडीटीवी के हमारे पूरे स्टाफ में भारी क्षोभ था। हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते थे। गुजरात की जनता ने अगर मोदी को दो बार चुना तो इस पर हम ये तो नहीं कह सकते थे कि वहां की जनता मूर्ख है, ऐसा कहना लोकतंत्र का अपमान होता। सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट पर भी हम कुछ नहीं बोल सकते थे, बोलते तो ये कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट होता।

इस सबके बाद हमने सोचा कि अब क्या किया जाए? गुजरात की जनता मोदी को सत्ता से हटा नहीं रही, सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कार्रवाई की इजाज़त दे नहीं रहा और चूंकि हम मानते थे कि गुजरात दंगों के लिए मोदी कसूरवार हैं इसलिए कुछ करना भी ज़रूरी था लिहाज़ा हमने तय किया कि क्यों न हम खुद 2012 का गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ें।

बरखा ने आगे कहा कि डॉक्टर राय चाहते थे कि मोदी के साम्प्रदायिक चेहरे से निपटने के लिए हम एक उदार चेहरा आगे लाएं। और ये तो सब जानते हैं कि जब से मेरी और राडिया की बातचीत के टेप सामने हैं, आम जनता में मेरी छवि एक उदार पत्रकार की स्थापित हो चुकी है। ऐसी उदार पत्रकार जो बिना किसी लालच के खुले दिल से एक अनजान नेता को ख़ास मंत्री पद दिलवाने के लिए अपने सम्बन्धों का पूरा इस्तेमाल करती है। इसलिए चैनल चाहता है, सॉरी पार्टी चाहती है कि आगामी चुनावों में मुझे मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाकर पेश किया जाए।

इसके अलावा यहां कुछ और बातें बताना भी मैं ज़रूरी समझती हूं। जैसे गुजरात की 182 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए हम किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं टिकट नहीं देंगे बल्कि हमारे ही न्यूज़ एंकर और संवाददाता चुनावी मैदान में उतारे जाएंगे क्योंकि हमें लगता है कि हमारे लोगों में मोदी को लेकर जितना ज़हर है, उतना कोई बाहरी व्यक्ति इंजेक्शन लगवाकर भी अपने अंदर नहीं भर सकता।

इसके अलावा हमने चैनल से कुछ स्टार प्रचारकों की टीम तैयार की है, जो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर मोदी के काले कारनामों से जनता को अवगत करवाएगी। जिनमें एनडीटीवी इंडिया से विनोद दुआ और विजय त्रिवेदी होंगे और एनडीटीवी 24X7 से सोनिया सिंह और विक्रम चंद्रा को चुना गया है। साथ ही हमारे वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार पकंज पचौरी भी अलग-अलग चुनावी सभाओं के ज़रिए तरक्की के गुजरात सरकार के दावों की पोल खोलेंगे।

और आख़िर में बरखा दत्त से जब पूछा गया कि एनडीटीवी तो खुद अगले चुनावों में पार्टी बनकर चुनाव लड़ेगा तो फिर उस दौरान वो निष्पक्ष रिपोर्टिंग कैसे कर पाएगा, तो इस पर बरखा ने मुस्कुराते हुए कहा, अरे भइया…पेड जर्नलिज़्म के ज़माने में निष्पक्ष रिपोर्टिंग होती कहां है? फर्क बस इतना है कि बाकी चैनल दूसरी पार्टियों से पैसे लेकर उनकी ख़बरे दिखाते हैं और हम अपने चैनल पर अपनी ही ख़बरे दिखाएंगे? इसे आप चाहें तो पेड जर्नलिज़्म की जगह रेड जर्निलज्म भी कह सकते हैं…वो रेड जो काफी समय से हम जर्नलिज़्म की मार रहे हैं।

 

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